जैसलमेर । दृश्य एवं श्रृव्य मीडिया के दौर में जहां घटनाऐं बडी तेजी से घटती हो रही है वैसे समय में भी सुदुर सीमान्त जिले जैसलमेर में आज भी ऐसे लोग है जो किताओं की अहमियत को समझते हुए पुस्तकों से नित्य साक्षात्कार कर रहे है।
ऐसे ही पुस्तक प्रेमियों द्वारा विश्व पुस्तक दिवस पर स्थानीय राजकीय पुस्तकालय में एकत्रित होकर पुस्तकों की आवश्यकता एवं उसके महत्व पर चर्चा कर युवा पीढी को पठन पाठन के लिये प्रेरित करने पर जोर दिया।
वरिष्ठ चिन्तक बालकृष्ण जगाणी की अध्यक्षता में आयोजित विचार गोष्ठी में साहित्य प्रेमी नेमीचंद जैन ने कहा कि पुस्तके हमारी अच्छी मित्र है तथा सद् साहित्य हमारे तनाव को कम कर आत्म विश्वास बढाती है। कवि नंदलाल व्यास पथिक ने पुस्तको को क्रांति की संवाहक बताते हुए कहा कि पुस्तके स्थाई निधि है। भंवरलाल बलाणी ने कहा कि प्रगति का माध्यम पुस्तके ही है। कमलराम ने ’’शिक्षक ह पर यहमत सोचो कि पठाने बैठा ह’’ व्यंग्य कविता पेश की। नंद किशोर दवे ने शब्द को व्रह की संज्ञा देते हुए कहा कि शब्द ही पुस्तक रूप में जन-जन तक पहुंचते है।
कवि आनन्द जगाणी ने कहा कि पुस्तक पढने से व्यक्तित्व में निखार होता है तथा तर्क शक्ति बढती है। हमें प्रतिदिन कुछ न कुछ पढना चाहिये।
हास्य कवि गिरधर भाटिया ने कहा कि पुस्तक का धन सभी धनो से बढकर है भाटिया ने अपनी कविता थोडी तो होशियारी सीख के जरिये आज के माहौल पर कटाक्ष किया।
वरिष्ठ कवि मनोहर महेचा ने लगती कितनी प्यारी पुस्तक सबकी बडी दुलारी पुस्तक कविता के जरिये किताओ का महत्व बताया।
पुस्तक प्रेमी लक्ष्मण पुरोहित ने पुस्तको को इतिहास व परम्पराओं की संवाहक बताते हुए कहा कि पुस्तको के माध्यम से ही हम प्राचीन परम्पराओं व इतिहास से रूबरू होते है।
गोष्ठी के संचालक मांगीलाल सेवक ने किताओ के बारे में विभिन्न महापुरूषो के विचारो को व्यक्त करते हुए अपनी कविता पुस्तको से सीख प्रस्तुत की।
बालकृष्ण जगाणी ने अध्यक्षीय उद्बोदन में कहा कि पुस्तके मनुष्य को पूर्णता प्रदान करती है तथा हमें कौन सी पुस्तक पढनी है इसका चयन सावधानी पूर्वक करना चाहिये ताकि पुस्तके संस्कारो की वाहक बन सकें।
इस अवसर पर साहित्य प्रेमी भीमसिंह भाटी, भाटिया जी व अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। अन्त में पुस्तालध्यक्ष आनन्द कुमार द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।