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स्वर रागिनी की धुन और ओडिसी डांस से शास्त्रीय बनी शाम

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27 Jul 25
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स्वर रागिनी की धुन और ओडिसी डांस से शास्त्रीय बनी शाम


उदयपुर, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर का दो दिवसीय ‘मल्हार‘ कार्यक्रम शास्त्रीय संगीत व नृत्य के शानदार नवाचारों से क्लासिकल के रसिकों का दिल जीतने के बाद रविवार को पूर्णता पर पहुंचा। रविवार को पं. सुभाष घोष  अपने विशेष वाद्य यंत्र स्वर रागिनी पर शास्त्रीय संगीत की अनूठी प्रस्तुति से संगीत प्रेमियों के दिलों के तार झंकृत कर दिए। वहीं, वाणी माधव ओडिसी नृत्य ने हाई लेवल्ड क्लासिकल डांस के साथ आध्यामिकता की अद्भुत छाप छोड़ी।  
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि केंद्र द्वारा पिछले 15 साल से हर सावन में ‘मल्हार’ कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसमें क्लासिकल के रसिकों के दिलो दिमाग को संगीत और नृत्य की खास खुराक मिलती है। कार्यक्रम का शुभारंभ केंद्र के निदेशक फुरकान खान, उप निदेशक (कार्यक्रम) पवन अमरावत, सहायक निदेशक (वित्त एवं लेखा) दुर्गेश चांदवानी और अधीक्षण अभियंता सीएल सालवी ने दीप प्रज्वलित कर किया।

 पंं. घोष की प्रस्तुति ने रिझाया, झुमाया और भावुक भी किया

पिछले दो दशक से चंडीगढ़ में अपनी “एकेडमी ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड फाइन आर्ट्स” में शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दे रहे सुभाष घोष ने रविवार शाम साल 2011 में अपने ईजाद किए विशेष वाद्य यंत्र नव स्वर रागिनी पर विभिन्न रागों पर शास्त्रीय संगीत की अनूठी कर्णप्रिय प्रस्तुति देकर श्रोताओं के दिलों को झंकृत कर खूब वाहवाही लूटी। महान सरोद वादक पद्म विभूषण अमजद अली खान के शिष्य सुभाष ने पेशकश का आगाज अपने वाद्य ‘स्वर रागिनी’ पर राग मियां की मल्हार में विभिन्न तालों में कई कम्पोजिशन से श्रोताओं पर जो पकड़ बनाई वह सम्मोहन में बदल गई, जो अंत तक बना रहा। इसके बाद उन्होंने खमाज थाट के राग जयजयवंती में गांधी जी के भजन वैष्णवजन तो तेने कहिए... और रघुपति राघव... पेश कर श्रोताओं का मन मोह लिया। वहीं, जब उन्होंने राग किरवानी पर हाल ही में युद्धों और आपदाओं में मारे गए लोगों के प्रति ‘ट्रिब्यूट’ में चिट्ठी न कोई संदेश... ने श्रोताओं को भावुक कर दिया। इसके साथ ही रागा चारूकेशी में ‘आह्वान’ पेश किया, जिसमें वर्तमान हालातों में ईश्वर से पृथ्वी पर आने की प्रार्थना की गई। इस पेशकश में 11 वर्षीय सिद्धार्थ जोगी के बांसुरी वादन ने श्रोताओं का दिल जीत लिया। प.घोष ने अंत में विभिन्न प्रदेशाें के लोक संगीत का शानदार समिश्रण पेश कर सेलिब्रेशन का ऐसा माहौल बनाया कि समूचा दर्पण सभागार झूम उठा।
पं.घोष का साथ तबले पर सिद्धार्थ चटर्जी एवं रजनीश धीमन, पर्क्यूशन पर सुरेश कुमार और बांसुरी पर 11 वर्षीय उभरते कलाकार सिद्धार्थ जोगी ने दिया। बाल संगीतकार सिद्धार्थ जोगी ने पेशकश के दौरान खूब वाहवाही लूटी।

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 वाणी माधव के ओडिसी नृत्य ने छुआ ऊंचाइयां-

प्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना और गुरु देबप्रसाद दास परंपरा की प्रमुख प्रतिनिधि वाणी माधव रविवार को अपने दल के साथ दर्पण सभागार के मंच पर ओडिसी डांस के विभिन्न रूपाें को पेश कर दर्शकों को पूरे समय सम्मोहित सा कर दिया। उन्होंने ओडिसी नृत्य के तीन रूपों मंगलाचरण, कल्याण पल्लवी और भजामि विंध्यवासिनी
से जहां क्लासिकल डांस की ऊंचाइयों को छुआ, वहीं माहौल में अध्यात्मिकता का रस भी घोल दिया। उन्होंने राग पहाड़ी में मंगलाचरण में रावण कृत शिव तांडव प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी। इसके बाद एक ताल में राग कल्याण आधारित विशुद्ध ओडिसी नृत्य कल्याण पल्लवी की प्रस्तुति से समां बांध दिया। यह एक भव्य नृत्य रूप है, जो एक खिलते हुए पुष्प की तरह धीरे-धीरे खुलता है। वहीं, यह मंगलमयी और सौम्य नृत्य है जो कल्याण और शांति का संदेश देता है। अंत में वीणा माधव ने राग मालिका में मां  विंध्यवासिनी की स्तुति के रूप में भजामि विंध्यवासिनी पेश कर माहौल आध्यामिकता से आेतप्रोत कर दिया। इस ओडिसी प्रस्तुति के दौरान शिल्पग्राम का दर्पण सभागार कई मर्तबा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। अंत में सभी कलाकारों का सम्मान किया गया। मंच संचालन मोहिता दीक्षित ने किया।


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