उदयपुर स्थित पशुपालन विभाग, चेतक परिसर में एक गंभीर रूप से घायल ऊंट को किसी व्यक्ति ने बांधे हुए अवस्था में छोड़ दिया। ऊंट का पैर टूटा हुआ था और तत्काल प्लास्टर की आवश्यकता थी, लेकिन विभाग की घोर लापरवाही के कारण समय पर उचित उपचार नहीं मिल पाया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ऊंट के पैर बंधे हुए थे और रातभर किसी भी डॉक्टर ने मौके पर पहुँचने की ज़हमत नहीं उठाई। केवल ड्रिप चढ़ाकर औपचारिकता निभा दी गई। यहां तक कि ऊंट के बंधे पैर भी विभाग द्वारा नहीं खोले गए — यह कार्य एनिमल प्रोटेक्शन सोसाइटी उदयपुर की डॉ. माला मट्ठा ने रेबारियों को बुलाकर करवाया।
इस घटना ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं —
क्या पशुपालन विभाग में रात के समय कोई भी डॉक्टर ड्यूटी पर मौजूद नहीं रहता?
अगर इमरजेंसी में घायल पशु लाए जाते हैं, तो उनका उपचार कौन करेगा?
पहले से भर्ती पशुओं की सुरक्षा और देखभाल की जिम्मेदारी कौन लेता है?
अगर घायल ऊंट की जान चली जाती, तो इसका जवाबदेह कौन होता?
एनिमल प्रोटेक्शन सोसाइटी उदयपुर ने प्रशासन से कड़ा हस्तक्षेप करने की मांग की है। संस्था की ओर से निम्नलिखित माँगें रखी गईं —
घायल ऊंट का तत्काल प्लास्टर और उचित इलाज किया जाए।
पशुपालन विभाग में 24 घंटे आपातकालीन चिकित्सक की स्थायी व्यवस्था की जाए।
इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर अनुशासनात्मक एवं कानूनी कार्रवाई की जाए।
उदयपुर प्रशासन विभाग की कार्यप्रणाली की स्वतंत्र जांच करवाए।
संस्था का कहना है कि यह घटना पशुपालन विभाग की गंभीर लापरवाही को उजागर करती है और यदि स्थिति नहीं सुधारी गई, तो भविष्य में और भी निर्दोष पशुओं की जान पर बन सकती है।