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खेरवाड़ा सीएचसी में राजस्थान का पहला कंगारू मदर केयर लाउंज बनकर तैयार

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30 Aug 25
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खेरवाड़ा सीएचसी में राजस्थान का पहला कंगारू मदर केयर लाउंज बनकर तैयार

 केंद्र एवं राज्य सरकारें स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती को लेकर संकल्प के साथ आगे बढ़ रही हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नीति आयोग के माध्यम से वंचित क्षेत्रों के उत्थान के लिए आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम चलाया जा रहा है। प्रदेश में मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में इस कार्यक्रम की सफल क्रियान्विति की जा रही है। इसी क्रम में उदयपुर जिले के खेरवाड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में राजस्थान का पहला कंगारू मदर केयर (केएमसी) लाउंज स्थापित किया गया है। यह यूनिट मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा देने वाली एक अभिनव पहल है। जिला कलक्टर नमित मेहता के निर्देशन में एवं जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिया डाबी द्वारा इस पहल को क्रियान्वित किया गया है। आकांक्षी ब्लॉक खेरवाड़ा में इस तरह की पहल ग्रामीण अंचल में माताओं और नवजात शिशुओं को एकीकृत एवं सम्मानजनक देखभाल उपलब्ध कराने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।

खेरवाड़ा आकांक्षी ब्लॉक होने के कारण स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी सूचकों में सुधार के लिए यह पहल अत्यंत महत्वपूर्ण है। जिला प्रशासन के निर्देशन में के.एम.सी. लाउंज के मॉडल विकास की पहल अप्रैल 2025 में की गई, जो अगस्त 2025 तक एक इनोवेटिव मॉडल के रूप में स्थापित हे चुका है। इसके पश्चात जिला परिषद एवं सीएमएचओ द्वारा इसे उदयपुर जिला के हर सीएचसी और पीएचसी में स्थापित करने का आदेश जारी किया गया।
इससे नवजात एवं मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम को और मज़बूती मिलेगी। इसके साथ ही एएनसी अवधि में ही उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं की पहचान कर उन्हें सही देखभाल प्रदान करने की व्यवस्था की जाएगी। इस प्रकार यह पहल आकांक्षी ब्लॉक के मानकों के अनुरूप स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत बनाने में अहम योगदान देगी।

यह है केएमसी लाउंज
कंगारू मदर केयर यूनिट जीरो सपरेशन पॉलिसी पर आधारित है, जिसके अंतर्गत माँ और शिशु को अलग न रखकर निरंतर साथ रखने की व्यवस्था की गई है। यह दृष्टिकोण न केवल शिशु के जीवन को सुरक्षित बनाता है बल्कि प्रसवोत्तर अवधि में माताओं को भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करता है। इस लाउंज में कमज़ोर वजन अथवा समय से पूर्व जन्मे शिशुओं (1800 से 2500 ग्राम तक) को उनकी माताओं के साथ त्वचा से त्वचा संपर्क (स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट) में रखा जाता है। इससे शिशु का तापमान नियंत्रित रहता है और हाइपोथर्मिया से बचाव होता है। शिशु का वजन तेज़ी से बढ़ता है और स्तनपान की अवधि लंबी होती है। मां और शिशु के बीच गहरा भावनात्मक जुड़ाव विकसित होता है। माताओं का अस्पताल में ठहराव बढ़ता है, जिससे जटिलताओं की पहचान और उपचार की संभावना बेहतर होती है।

यह होंगे केएमसी के संभावित प्रभाव
प्रसव के बाद कमजोर शिशुओं की निरंतर ट्रैकिंग और देखभाल संभव होगी। 1800 से 2500 ग्राम तक के स्थिर नवजात अब खेरवाड़ा सीएचसी पर ही उपचार पा सकेंगे, जिससे दूरस्थ रेफ़रल की आवश्यकता कम होगी। केवल अत्यधिक कम वजन (1800 ग्राम से कम) या बीमार शिशुओं को ही जिला स्तरीय एसएनसीयू में भेजना होगा। इससे जिला अस्पतालों पर भार कम होगा और रेफ़रल घटने से बेड ऑक्युपेंसी दर कम होगी और गंभीर शिशुओं पर अधिक ध्यान दिया जा सकेगा। माताएं प्रसव के बाद अधिक समय तक अस्पताल में रहेंगी, जिससे एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग और शिशु के वजन की निरंतर निगरानी सुनिश्चित होगी। इसके अलावा यूनिट डॉक्टरों और नर्सों को बेहतर कार्य वातावरण उपलब्ध कराएगी और उनके गर्व की भावना को बढ़ाएगी। साथ ही सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर लोगों का विश्वास मज़बूत होगा और उन्हें वीआईपी जैसी देखभाल का अनुभव मिलेगा।

कलक्टर ने विज्ञान भवन दिल्ली में दिया था प्रस्तुतीकरण
आकांक्षी ब्लॉक में की गई इस पहल की जिला कलक्टर नमित मेहता ने 17वें सिविल सेवा दिवस पर विज्ञान भवन, नई दिल्ली में प्रस्तुति दी थी। इस पर उसे देश भर से आए अधिकारियों तथा विषय विशेषज्ञों ने सराहा था। युनिट स्थापना के दौरान भी जिला प्रशासन की ओर से लगातार मोनिटरिंग की गई। सीईओ सहित विभागीय अधिकारियों ने समय-समय पर निरीक्षण किए।

इनका कहना .....

“केएमसी यूनिट खेरवाड़ा सीएचसी को राजस्थान ही नहीं, बल्कि देशभर में एक मॉडल हेल्थ फैसिलिटी के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल नवजात शिशुओं की जीवन रक्षा, मातृ स्वास्थ्य सशक्तिकरण और सामुदायिक भरोसे को मज़बूत बनाने में एक मील का पत्थर साबित होगी।”
- रिया डाबी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, उदयपुर।

“राजस्थान का पहला केएमसी लाउंज खेरवाड़ा सीएचसी में बनकर तैयार होना उदयपुर जिले के लिए गर्व की बात है। यह पहल न केवल मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में सहायक होगी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता को सुनिश्चित करेगी। हमें विश्वास है कि यह मॉडल पूरे प्रदेश के लिए एक आदर्श के रूप में उभरेगा। जिला प्रशासन मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत रहेगा।”
- नमित मेहता, जिला कलक्टर, उदयपुर


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