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इस्कॉन के बांसवाड़ा केन्द्र में धूमधाम से मना राधाष्टमी पर्व,

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01 Sep 25
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इस्कॉन के बांसवाड़ा केन्द्र में धूमधाम से मना राधाष्टमी पर्व,

राधाष्टमी महोत्सव सुभाष नगर प्रोफेसर कॉलोनी स्थित इस्कॉन केन्द्र में धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान् मनोहारी श्रृंगार, राधा नाम संकीर्तन सहित विभिन्न आयोजनों में बड़ी सख्या में श्रृद्धालुओं ने हिस्सा लिया। 

इस अवसर पर आचार्य अभिनंदन निमाई प्रभु ने भक्तों को संबोधित करते हुए राधा महिमा का बखान किया और कहा कि परब्रह्म भगवान श्रीकृष्ण की चेतना शक्ति और आह्लादिनी शक्ति का नाम ही श्री राधा है। मूल में राधा-कृष्ण एक ही अभिनन्न रूप हैं।

इस अवसर पर चन्द्र कांता वैष्णव ने बरसाना, नंदगांव, गोप, गोपियों एवं ग्वालों तथा ब्रज से संबंधित प्रसंगों को सुनाकर भक्तों को श्री राधा जी एवं कान्हा की लीलाओं के बारे में अवगत कराया। 

 

*अभिषेकार्चन व आरती विधान*

इस अवसर पर विश्व आत्मा दास प्रभु, सुरेश, सुनील, मानव सहित साधिका श्रीमति रचना व्यास ने अभिषेकार्चन मंत्रों के साथ ब्रजेश्वरी श्रीराधा रानी जू के पावन प्राकट्य महोत्सव पर अबीर, गुलाल, इत्र, चन्दन आदि सुगन्धित द्रव्यों से विशेष अभिषेक अनुष्ठान व तुलसी नृसिंह आरती विधान पूर्ण किया।

 

*संकीर्तन की धूम रही*

इस अवसर पर संकीर्तन, भक्ति नृत्य, भजन और विविध धार्मिक अनुष्ठानों में रतन, किशोर पंड्या, निमेष, शाबुनी मंडल, दीपिका, विभा, अर्चना, रचना व्यास, अनिता, भारती, चैतन्य, नीरज पाठक, हिमानी पाठक, कृपाली भट्ट, मानस पंड्या, अरुण व्यास,निमेष सहित काफी संख्या में साधक-साधिकाओं व आमंत्रित श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

 

*पारम्परिक अनुष्ठान और श्रृंगार, विधान*

इस अवसर पर धार्मिक अनुष्ठान अभिनंदन निमाई प्रभु की अगुवाई में विश्व आत्मा दास प्रभु द्वारा शंख, झालर, घंटानाद आदि वाद्ययंत्रों माधुर्य भरी गूंज द्वारा आरती दिखा कर प्रभु श्री गोवर्धन धरण प्रभु के मुखारविंद पर ऊबटन चंदन से कपोल पत्र मांड़े गए। 

इसके अलावा गुलाल, अबीर, चंदन श्री कंठ में कली, कस्तूरी की माला पहनाई गई। पीले एवं श्वेत पुष्पों की विविध रंगों की थागे वाली दो सुन्दर मालाएं पहनाई गई, कुंकुम-अक्षत से तिलक उपरान्त आरती विधान पूर्ण किया। शंख, झालर, घंटानाद के द्वारा स्वामिनी राधा जी के आगमन का चरम भक्तिभाव भरी अभिव्यक्ति से स्वागत किया गया।

 

*उत्सवी भोग का दिव्य प्रसाद*

महोत्सव के अन्तर्गत स्वादिष्ट उत्सव भोग प्रस्तुत किए गए। इनमें विशेष रूप से पंजरी के लड्डू, छुट्टी बूंदी, खस्ता, शक्कर पारा, दूध, घर में सिद्ध मावे के पेड़े-बरफी, दूध पूड़ी, मलाई-पूड़ी, सफ़ेद-केसरी मावा की गुंजिया, केशर युक्त वासुन्दी, जीरा युक्त दही, रवा की खीर, घी में तले बीज-चालनी के सूखे मेवे, अन्न सुखड़ी में दाख, किशमिश का रायता और सुखड़ी में पांच भात, मेवा-भात, दही-भात, राई-भात, श्रीखंड-भात और वड़ी-भात और विविध प्रकार के संदाना का भोग लगाया गया ।

 

*पंजरी के लड्डू , घी में तला सूखा मेवा का भोग*

श्रीजी को श्री नवनीत प्रियाजी, द्वितीय गृहाधीश्वर प्रभु श्री विट्ठल नाथजी एवं तृतीय गृहाधीश्वर प्रभु श्री द्वारकाधीश जी के घर से आए पंजरी के लड्डू, घी में तला हुआ बीज-चालनी का सूखा मेवा का भोग लगाया गया।

 

*ढाढ़ी-ढाढन नाच-गा कर दी गई बधाई*

भोग-आरती के दर्शन में मां राधिका के अवतरण दिवस पर ढाढ़ी-ढाढन नाच-गा कर बधाई दी गई और सभागार में कीर्तन में नृत्य कर ढाढ़ी लीला के पद गाए गए ।

 

*आकर्षक श्रृंगार ने किया मंत्र मुग्ध*

श्रीराधा अष्टमी के पावन अवसर पर श्रीजी को सुन्दर श्रृंगार केसरी जामदानी के वस्त्र एवं श्री मस्तक पर पांच मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ पहनाई गई। प्रभु के मुखारविंद पर ऊबटन चंदन से कपोल पत्र मांड़े गए गुलाल,अबीर,चंदन श्री कंठ में कली, कस्तूरी की माला पहनाई गई। पीले एवं श्वेत पुष्पों की विविध रंगों की थागे वाली दो सुन्दर माला से श्रृंगार किया गया। 

श्रीजी में आज लाल दरियाई की बड़े लप्पा की सुनहरी ज़री की तुईलैस के हांशिया किनारे वाली पिछवाई गादी बिछाई गई और तकिया के ऊपर लाल मखमल बिछावट कर चरण चौकी के ऊपर सफेद मखमल की प्रस्तुत की गई।

श्रीजी को आज केसरी रंग की जामदानी की रुपहली रुपहली फूल वाली किनारी से सुसज्जित चाकदार एवं चोली पहना कर  कोमल रेशम की लाल रंग की सुनहरी छापे वाली ओढ़नी वस्त्र मेघश्याम रंग की पहनाई गई।


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