उदयपुर। विद्या वैभव इन्टरनेशनल की ओर से दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक सम्मेलन एवं पुरस्कार 2025 का उदयपुर के अनंता रिर्ट में सम्पन्न हुआ। जिसमें 20 राज्यों और 4 देशों के शिक्षक मौजूद रहे।
मुख्य अतिथि राजकुमारी जाह्नवी कुमारी ने मानसिक स्वास्थ्य को स्कूली शिक्षा के केंद्र में रखने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला, साथ ही यह सुनिश्चित किया कि शिक्षा सांस्कृतिक मूल्यों का पोषण करती रहे। यह एक ऐसा संदेश था जिसने दर्शकों को गहराई से प्रभावित किया।
सम्मेलन को प्रमोद शर्मा, मेजर जनरल कुलकर्णी, लेफ्टिनेंट जनरल प्रमोद सहगल और डॉ. गुरुराज करजगी ने भी संबोधित किया। उनके व्याख्यानों ने स्कूलों में नेतृत्व से लेकर शिक्षा की वैश्विक भूमिका तक, पारंपरिक सोच को चुनौती दी। दिन भर के सत्रों में प्रौद्योगिकी अपनाने, सतत विकास लक्ष्यों, ओलंपियनों के निर्माण पर एक जोशीली बहस और शिक्षा में अंतर्राष्ट्रीयता पर चर्चा हुई।
सम्मेलन के दूसरे दिन प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा पर एक प्रमुख सत्र के साथ ऊर्जा को और बढ़ाया गया, जहाँ अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों ने संवाद में भाग लिया जिसमें जामत्सो (भूटान), सुश्री थेरेसा अशांती लकमाली सेनेविरत्ने (श्रीलंका), और मधुकर नारायण (मॉरीशस) शामिल थे। युवा शिक्षार्थियों के पोषण पर उनके विचारों ने चर्चा को वास्तव में वैश्विक आयाम दिया।
शाम को विद्या वैभव पुरस्कारों के पहले दौर के साथ हुआ, जिसमें दस श्रेणियों में शिक्षकों को सम्मानित किया गया। सबसे खास बात यह थी कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से योग्यता-आधारित थी। इसके अलावा आठ और स्कूल श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किये गये। जिसके बाद रॉकवुड्स ग्रुप ऑफ स्कूल्स, उदयपुर के छात्रों द्वारा एक जीवंत समापन समारोह आयोजित किया गया। सम्मेलन ने अपना पहला प्रकाशन, “रिफ्लेक्शन“ भी लॉन्च किया और कार्यक्रम के बाद भी इस गति को बनाए रखने के उद्देश्य से आगामी उपक्रमों का अनावरण किया।
अध्यक्ष श्रुतिधर आर्य ने कहा कि विद्या वैभव सिर्फ़ एक आयोजन नहीं है। यह एक सामूहिक आंदोलन है। हमारा ध्यान हमेशा प्रदर्शन से ज़्यादा संवाद, राजस्व से ज़्यादा पहचान और प्रतिस्पर्धा से ज़्यादा सहयोग पर रहा है। उदयपुर में मिली ज़बरदस्त प्रतिक्रिया बताती है कि यह तो बस शुरुआत है।