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विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सर्वदलीय बैठक  से राजस्थान विधानसभा की कार्यशैली में लोकतांत्रिक सौहार्द का नया अध्याय जोड़ा

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27 Aug 25
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विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सर्वदलीय बैठक  से राजस्थान विधानसभा की कार्यशैली में लोकतांत्रिक सौहार्द का नया अध्याय जोड़ा

 गोपेन्द्र नाथ भट्ट 

राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अपने कार्यकाल में एक नई परंपरा की शुरुआत की है । यह नई परंपरा है राज्य में विधानसभा का हर सत्र प्रारंभ होने से पहले एक सर्वदलीय बैठक बुलाना। विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी की राजस्थान विधानसभा में सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिये सर्वदलीय बैठक का यह आयोजन एक ऐतिहासिक और सकारात्मक पहल है। देवनानी ने विधानसभाध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद लोकसभा की तर्ज पर राजस्थान विधानसभा में भी सर्वदलीय बैठक बुलाये जाने का निर्णय लिया जिसके अच्छे परिणाम सामने आए है । 

राजस्थान विधानसभा में पहली बार सोलहवीं विधान सभा के आरंभिक सत्रों के बाद से आरंभ हुई यह सर्वदलीय बैठक की परम्परा के तहत इस बार 28 अगस्त को चौथी बार सर्वदलीय बैठक होने जा रही है। विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी इस सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इस बैठक में राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल, सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग, प्रतिपक्ष के मुख्य सचेतक रफीक खान, बसपा के मनोज कुमार, भारत आदिवासी पार्टी (बाप) के थावर चन्द और रालोद के डॉ. सुभाष गर्ग को आमंत्रित किया गया है।

विधानसभाध्यक्ष देवनानी का मानना है कि राजस्थान विधानसभा का यह पवित्र सदन प्रदेश की आठ करोड जनता की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। सदन की कार्यवाही को आम जनता देखती है। सर्वदलीय बैठक का उद्देश्य सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से सुझाव लेना और समय रहते उस पर आवश्यक कार्यवाही करना है। जैसा विधायकों के प्रश्नों के उत्तर समय पर मंगवाने में दिखाई गई तत्परता है । स्पीकर देवनानी ने राज्य के मुख्य सचिव के माध्यम से सभी विभागों के सचिवों को इसके लिए पाबंद किया है ।

सर्वदलीय बैठक का महत्व सदन में सौहार्दपूर्ण वातावरण सृजित करने के साथ ही सत्र की कार्यवाही सुचारु रूप से चलाना है ताकि सदन की गरिमा बनी रहे। सर्वदलीय बैठक  के द्वारा सदन के मामलों में सर्वसम्मति का निर्माण  करना तथा विभिन्न दलों के बीच संवाद स्थापित कर महत्वपूर्ण विधायी कार्यों पर आम सहमति बनाने का प्रयास करना भी है । साथ ही इसका मुख्य मकसद सदन को निर्बाध संचालित करने और प्रायः होने वाले विघ्न को रोकना भी है ताकि सदन में बार-बार होने वाले हंगामे, अवरोध और शोरगुल से बचते हुए सदन में सार्थक और उत्पादक चर्चा का माहौल तैयार हो सके तथा जनहित पर केंद्रित कार्यवाही  सकें। साथ ही सरकार एवं  विपक्ष मिलकर यह सुनिश्चित कर सकें कि जनता से जुड़े अहम मुद्दों पर अधिकाधिक बहस हो और यथासंभव उसका समाधान भी निकल सके।

राजस्थान में विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी की सर्वदलीय  बैठक बुलाने की यह पहल राजस्थान विधानसभा में एक सकारात्मक लोकतांत्रिक परंपरा के रूप में उभर रही है। विधानसभा की गरिमा और कार्यकुशलता बढ़ाने की दिशा में इसे एक सफल कदम माना जा रहा है। इससे विपक्षी दलों को भी अपनी बात रखने का पूर्व अवसर मिलता है और सत्र में टकराव की स्थिति कम होती है।इस प्रकार विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने संवाद और सहभागिता की इस परंपरा से राजस्थान विधानसभा की कार्यशैली में लोकतांत्रिक सौहार्द का नया अध्याय जोड़ा है।

उम्मीद है एक सितम्बर से शुरू होने वाले राजस्थान की सोलहवीं विधानसभा के चौथे सत्र जिसे मानसून सत्र भी कहा जा रहा है में इसी भावना के अनुरूप सदन की कार्यवाही निर्बाध गति से आगे बढ़ सार्थक और सकारात्मक परिणामों को सामने लायेगी ।


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