जांगिड़ समाज संस्था चुनाव विवाद पहुंचा न्यायालय तक

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16 Aug 25
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जांगिड़ समाज संस्था चुनाव विवाद पहुंचा न्यायालय तक

उदयपुर। जांगिड़ समाज की संस्था, जो विगत 28 वर्षों से समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रूप से कार्य कर रही है, अब चुनावी विवाद में उलझ गई है। संस्था अधिनियम 1958 के अंतर्गत पंजीकृत इस संस्था का अपना संविधान है, जिसमें वर्ष 2012 और 2016 में आवश्यक संशोधन किए गए थे। संविधान के अनुसार हर तीसरे वर्ष चुनाव द्वारा कार्यकारिणी का गठन किया जाता है।

कोरोना काल में लगभग 640 सदस्यों वाली संस्था का 2020 का चुनाव प्रतिबंधों के चलते समय पर नहीं हो पाया। इसी बीच कुछ सदस्यों ने स्व-प्रेरित "हित चिंतन समिति" का गठन कर 19 सितंबर 2022 को चुनाव की घोषणा कर दी। जबकि कार्यकारिणी ने 4 सितंबर 2022 को संविधान सम्मत चुनाव की अधिसूचना जारी की और इसे समाचार पत्रों में प्रकाशित कराया। यही से विवाद प्रारंभ हुआ और मामला न्यायालय तक पहुंचा।

कथित तदर्थ समिति ने चुनाव की तारीख बदलकर 28 अगस्त कर दी और 20 अगस्त को ही खुद को निर्विरोध घोषित कर दिया। इसके बाद उन्होंने संस्था भवन पर ताले लगा दिए। न्यायालय ने हस्तक्षेप करते हुए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर 4 सितंबर को चुनाव करवाए।

संस्था अध्यक्ष द्वारा दायर वाद पर तदर्थ समिति की आपत्ति नकार दी गई और हाई कोर्ट ने भी उनकी अपील खारिज कर दी। इस दौरान कथित समिति ने ₹1100 लेकर अवैधानिक रूप से 600 से अधिक सदस्य जोड़ लिए।

वर्तमान में दोनों वाद बहस की स्थिति में हैं। सेशन कोर्ट ने कहा है कि दोनों कार्यकारिणियों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और चुनाव आपसी समझाइश से करवाए जाएं। हालांकि, तदर्थ समिति ने इस सुझाव की अनदेखी कर 17 अगस्त 2025 को चुनाव घोषित कर दिया है।

संस्था ने न्यायालय से निवेदन किया है कि संविधान के नियमों का पालन करते हुए ही चुनाव करवाए जाएं, क्योंकि संविधान में तदर्थ समिति द्वारा चुनाव कराने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए असंवैधानिक चुनाव को निरस्त किया जाए।


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