उदयपुर। सूरजपोल स्थित दादाबाड़ी में साध्वी विपुल प्रभा श्रीजी ने कहा कि पर्युषण के दिन नज़दीक आ गए हैं। जैन श्रावक इस का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। आठ दिनी पर्व के लिए पर्वाधिराज की प्रतीक्षा करते हैं। जिनवाणी रोज सुनेंगे तो संवत्सरी तक बदलाव आएगा। हर साल पर्युषण आते हैं हम जहां के तहां रह जाते हैं। बदलाव क्या आया,इस पर विचार करना चाहिये। और यदि नही आया तो फिर हर साल की तरह ये भी निकल जायेगा।
उन्होंने कहा कि अगर 10 प्रतिशत भी बदलाव आया तो चातुर्मास का महत्व है। अपने आपको अर्पण करना है। समर्पण श्रद्धा से आता है। बिना किसी से जुड़े समर्पण नही आ सकता। मन में जुड़ाव चाहिए। मन और मोबाइल दोनों एक से हैं। आज मोबाइल ने सबका ब्रेन वाश कर दिया है। घर में कुछ हो तो घर वालों से ज्यादा बाहर वालों को पता चल जाता है। स्टेटस डाल देते हैं। सेव, फॉरवर्ड और डिलीट ये तीन ऑप्शन मुख्य होते हैं। उपयोग करो तो यही मन मोक्ष दिला सकता है। दुरुपयोग करोगे तो नतीजे सबको मालूम हैं।
ंउन्होंने कहा कि अच्छे कार्यों को सेव करो। किसी ने उपकार किया तो डिलीट करो और किसी के अच्छे कामों को फॉरवर्ड कर दो। इसके बिल्कुल उलट हो रहा है। मोबाइल की लिमिटेड मेमोरी है। समय समय पर उसे खाली करने जरूरी है। संवत्सरी पर साल भर में में गलत, बुरी चीजें भरी हैं उन्हें खाली करते हैं। अनावश्यक चीजें मोबाइल से व्हाट्सअप में डाउनलोड करके सेव रखते हैं। मन भी वैसा ही है। खराब समय में मदद करने वाले को हम डिलीट कर देते हैं जबकि सेव करना होता है। डिलीट करने वाली चीज को संग्रहित करते हैं। संग्रहित करने वाली चीज को डिलीट कर देते हैं। आजकल के बच्चों को सब मालूम है उनके माता पिता को नाही पता कि क्या कैसे चलाना है।