मेवाड़ का पर्यायवाची स्वतंत्रता, फिर भी किसी के अधीन पढ़वाना भविष्य के लिए खतरा

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13 Aug 25
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मेवाड़ का पर्यायवाची स्वतंत्रता, फिर भी किसी के अधीन पढ़वाना भविष्य के लिए खतरा


नई दिल्ली, मेवाड़ पूर्व राजपरिवार के सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने देश के शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से शिक्षा मंत्रालय दिल्ली में मुलाकात की। डॉ. लक्ष्यराज सिंह ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी ) द्वारा प्रकाशित सामाजिक विज्ञान एवं इतिहास सम्बंधी पाठ्यपुस्तकों पर चर्चा की। डॉ. मेवाड़ ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान से कहा कि स्वतंत्रता शब्द के जनक वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप हैं, जिन्होंने मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए विदेशी आक्रांता मुग़लों से युद्ध किया। मेवाड़ का प्रर्यायवाची स्वतंत्रता है। मेवाड़ 1500 सालों से भी अधिक समय से स्वाधीनता के लड़ता आ रहा है। 18 अप्रैल 1948 को राजस्थान के एकीकरण में भी बतौर राजपूताना के महाराज प्रमुख महाराणा भूपाल सिंह ने बड़ी भूमिका का निर्वहन किया। मेवाड़ समूचे राजपूताना की आन, बान और शान है। फिर भी पिछले दो दशकों से भी अधिक समय से मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास से छेड़छाड़ की जा रही है। स्कूली बच्चों को मेवाड़ को किसी अन्य के अधीन बताना निंदनीय है। बच्चों को गलत इतिहास पढ़ाकर क्यों उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ की जा रही है। तथ्यहीन प्रकाशनों को भविष्य की पीढ़ी के लिये खतरा बताते हुए कहा कि इतिहास भविष्य की पीढ़ी के लिए वो आइना है, जिसे गलत पढ़-समझ लेने पर कोई भी बच्चा जीवनभर उसी गलती को सत्य मान बैठता है। उन्होंने कहा ऐसी गलतियों को राष्ट्र हित में तुरंत सही कराने की आवश्यकता है।
इतिहास की जानकारियों और तथ्यों को विषय विशेषज्ञों के दल द्वारा ही जाँचा परखा जाना चाहिए। इतिहास को ऐतिहासिक प्रमाणिकता और सही संदर्भों के साथ प्रकाशित किया जाना चाहिए, क्योंकि यह भारत की आने वाली पीढ़ी के भविष्य का सवाल है। डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान से पाठ्यपुस्तकों में गलत प्रकाशित विभिन्न तथ्यों और मानचित्रों पर अपनी बात रखते हुए मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास पर आधारित पुस्तकें भी भेंट कीं। इस पर देश के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किए गलत नक्शे को सही कराने और ऐतिहासिक तथ्यों की जाँच कराने का भरोसा दिलाया।

 


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