उदयपुर। न्यू भूपालपुरा स्थित अरिहंत भवन में विराजमान आचार्य प्रवर ज्ञानचंद्र महाराज ने आज के धर्म सभा में दोस्ती का स्वरूप बताते हुए कहा सबसे अच्छा दोस्त वो है, जो गलती का आगाह करें। दुश्मन वो है जो मुंह पर प्रशंसा करें। वक्त की यारी सब करते हैं। मजा तब आता है, जब वक्त बदल जाए, यारी ना बदले। इसलिए भाईचारे से ज्यादा महत्वपूर्ण दोस्त को बताया है।
इसलिए शास्त्रों में भाईचारे की बात नहीं की, वहां मैत्री भाव का जिक्र आया है।
उन्होंने कहा कि मित्ती में सव्व भूएसु आया है। भाई बहन, मां बेटे में खून के रिश्ते होते हैं। वहां भाईचारे का भाव है। आज तो खून भी खून का प्यासा है। मणिरथ युगबाहू इन दोनों भाइयों में झगड़़ा हुआ। भाई ने भाई को मार डाला। आज तो ना भाई का भाई है। ना भाई की बहन रही है। आज के रिश्ते स्वार्थ के है। इसलिए खून के रिश्ते की बात शास्त्रों ने नहीं की है, वहां मैत्री भाव का रूप बताया है।
दोस्त चॉइस होता है। जो चॉइस हो वह महत्वपूर्ण है। दोस्ती में धनवान निर्धन नहीं देखा जाता। वहां दोस्ती ही दिखती है। दुसरी बात दोस्ती वन वे होती है। दोस्त, दोस्त का सहयोग करेगा, लेकिन वापस सहयोग की अपेक्षा नहीं रखता है। दोस्ती गहरी हो तो दोस्त जान भी दे सकता है। मैत्री भाव रखो। दोस्ती इंसान के साथ हो, यह जरूरी नहीं है। वो पशु के साथ, पक्षी के साथ भी हो सकती है। मेघरथ ने कबूतर से दोस्ती की, उसको बचाया। कबूतर ने उसको कुछ नहीं दिया, किंतु मेघरथ सहयोग करके तीर्थंकर शांतिनाथ बन गए। जो भी अच्छा काम करेंगे, उसका फल किसी न किसी रूप से अवश्य मिलेगा। इसलिए अच्छा काम करके फल की अपेक्षा मत करो।
दोस्ती करते समय जरूर देखो, यह दोस्त कैसा है। नहीं तो वो गलत राह भी ले जा सकता है। अभय कुमार की दोस्ती ने सूलस कुमार को बदल दिया। सुलस जो कसाई का बेटा था। किंतु अभय कुमार की दोस्ती के प्रभाव से वो श्रेष्ठ श्रावक बन गया। वही पुणिया नाम से प्रसिद्ध हुआ।
आज तो दोस्त खाने-पीने वाले मिल रहे हैं। नहीं पीने वाला भी दोस्तों के साथ शराब पीने लगता है। आज जैनियों में शराब क्यों आ गई, दोस्त सही नहीं होने से ये ढांचा खराब हो रहा है। जिस दोस्ती में आदतें बिगड़ती है, ऐसे दोस्त से मर्यादा रखनी जरूरी है। दोस्त ऐसा हो, जो समझदार हो, बुद्धिमान हो, सद् संस्कारी हो, ऐसे दोस्त से ही आप सुरक्षित रह सकते हो।
श्याम सुंदर छाजेड़ ने बताया कि सुदर्शन मुनि जी के 28, दिलीप जी बाबेल के 12 तप वां चल रहा है। जैन सोशल ग्रुप की ओर से आचार्य प्रवर के सानिध्य में बच्चों का शिविर लगा। गौतम प्रसादी का लाभ नररत्न श्री महावीर जी गौतम जी नागौरी ने लिया।