उदयपुर। सूरजपोल स्थित दादाबाड़ी में साध्वी विपुल प्रभा श्रीजी ने कहा कि इस संसार में हर व्यक्ति सीए है, बस मानता कोई नही है।पांच तरह के सीए होते हैं। पहला कम्प्लीट ऐश यानी पूर्ण ऐश करें। जिसके जीवन में धर्म, कर्म, समाज, का कोई अर्थ नहीं। कमाया, खाया, उड़ाया और ऐश किये। आज की युवा पीढ़ी ऐसे ही हो रही है। दूसरी तरह के सीए कम्प्रोमाइज एंड एडजस्टमेंट वाले हैं। ये सब तरह के लोग करते हैं। लड़ाई होना बड़ी बात नही लेकिन लड़ाई को बढ़ावा देना गलत है। समझौता करेंगे तो ही आगे बढ़ेंगे। इसके बिना संसार में चल ही नही सकते।
उन्होंने कहा कि तीसरा सीए यानी कम्प्लीट एक्सेप्टेंस। हम हर चीज में बदलाव चाहते हैं बस खुद में कोई बदलाव नही करना चाहते। अपने हिसाब से बदलाव कर लें। आईना जो है वही बताता है लेकिन उसमें देखकर चेहरा, बाल ठीक करते हैं। जैसा है, वैसा एक्सेप्ट करें। तलाशना और तराशना के फर्क को समझें। चौथा सीए यानी चार्टर्ड अकाउंटेंट। संसार में रहते हुए सबको जरूरत पड़ती है। बैलेंस शीट में एडजस्टमेंट क्या करना है, कैसे करना है उसके लिए इनकी सेवाएं हर वित्त वर्ष में लेते हैं। पांचवां सीए यानी चारित्र आत्मा। ज्ञान को अंगीकार करके परम् तत्व को प्राप्त करना।
साध्वी श्री ने कहा कि एक अन्य तरह का सीए यानी चालाक आदमी। मॉल में गए तो अपने स्टेंडर्ड मानते हुए मोल भाव नाही करते लेकिन वही मंडी में मोल भाव करते हुए बिल्कुल स्टेंडर्ड भूल जाते हैं।
साध्वी विरल प्रभा श्रीजी ने कहा कि परमात्मा की जिनवाणी का एकमात्र लक्ष्य सभी जीव सुखी रहें और उस परम तत्व की प्राप्ति कराना रहा। परमात्मा और हम सभी एक जैसे ही थे लेकिन परमात्मा उस परम तत्व को प्राप्त कर वहां पहुंच गए और हम वहीं के वहीं रह गए। अभी तक धर्म के मर्म को नही समझे हैं। साध्वी कृतार्थ प्रभा श्रीजी ने गीत प्रस्तुत किया।