उदयपुर। स्वामी तत्त्वबोध सरस्वती जी को आर्य समाज का भामाशाह कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। ये विचार भारतीय जनता पार्टी सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक श्री प्रमोद सामर ने व्यक्त किए। वे आज गुलाब बाग स्थित नवलखा महल के माता लीलावन्ती वैदिक सभागार में आयोजित एक शाम राष्ट्र के नाम काव्य संध्या के अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि उनका नवलखा महल से जुड़ाव भवन को आर्य समाज को सुपुर्द करने से ही रहा है। नवलखा महल आर्य समाज को वर्ष 1993 में राजस्थान सरकार से प्राप्त हुआ। इस भवन आर्य समाज को सुपुर्द करने में राजस्थान सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्मृतिशेष माननीय श्री भैरोसिंह जी शेखावत का अतुलनीय योगदान रहा।
जब यह भवन आर्य समाज को प्राप्त हुआ तब ही पूर्ण जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था इस जीर्ण-शीर्ण भवन को भव्य व सुन्दर बनाने हेतु श्रीमद् दयानन्द सत्यार्थ प्रकाश न्यास के तत्कालीन संस्थापक अध्यक्ष स्वामी तत्त्वबोध जी सरस्वती ने उस समय एक करोड़ रुपया दान दिया और भवन का पुनरूद्धार करवाया। स्वामी तत्त्व बोध सरस्वती जिनका पूर्व नाम श्री हनुमान प्रसाद चौधरी था तथा वे प्रख्यात भूवैज्ञानिक थे। उन्होंने वालेस्टोनाइट खनिज की खोज की जो विश्व में महत्वपूर्ण एवु दुर्लभ खनिज है और इस खनिज को दोहन प्रारम्भ किया तथा वोलकेम इंडिया लि. नामक कम्पनी की स्थापना की। आर्य समाज के प्रति आकर्षण इस प्रकार रहा कि उन्होंने अपना गृहस्थ धर्म का त्याग कर दिया और संन्यास ग्रहण किया तथा अपना जीवन आर्य समाज व नवलखा महल को समर्पित किया। ऐसे महानुभाव को में शत-शत नमन करता हूं और श्रीमद् दयानन्द सत्यार्थ प्रकाश न्यास के अध्यक्ष श्री अशोक आर्य जी एवं उनकी टीम का धन्यवाद ज्ञापित करता हूं कि ऐसे महापुरुष की स्मृति को जीवित रखने हेतु उनके द्वारा उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर प्रतिवर्ष यहां भव्य आयोजन किया जाता है।
इससे पूर्व कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में पधारे भारतीय जनता पार्टी के शहर जिलाध्यक्ष श्री गजपाल सिंह राठौड़ ने कहा कि नवलखा महल को आज विश्व स्तर पर पहचान दिलाने में न्यास के अध्यक्ष श्री अशोक आर्य जी एवं उनकी टीम ने अथक प्रयास किए। इसका शुभारम्भ न्यास के संस्थापक एवं अध्यक्ष स्वामी तत्त्वबोध जी सरस्वती ने अपने दान की आहुति दी और उनका प्रयास आज मूर्त रूप में परिवर्तित हुआ है। स्वामी तत्त्वबोध जी सरस्वती जैसे व्यक्तित्व दुर्लभ हैं जिन्होंने समाज के लिए अपना सर्वस्व अर्पित किया। उनसे हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। स्वामी जी द्वारा जो कार्य समाज एवं जनहित में किए गए उनको भुलाया नहीं जा सकता। उनके कार्याें से उनका नाम अमर रहेगा।
इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत करते हुए न्यास के मंत्री श्री भवानीदास आर्य ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। अध्यक्ष श्री अशोक आर्य ने बताया कि नवलखा महल वह भवन है जो मेवाड़ के शासक महाराणा सज्जन सिंह जी के आमंत्रण पर महर्षि दयानन्द सरस्वती उदयपुर पधारे और उन्होंने यहां साढ़े छह माह विराजकर सत्यार्थ प्रकाश का प्रणयन किया था। यह भवन पूर्व में राज्य सरकार के अधीन था जहां राजस्थान सरकार के आबकारी विभाग का गोदाम था तथा पूर्ण जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था। आर्य समाज के अथक प्रयासों से वर्ष 1993 में यह आर्य समाज को राजस्थान सरकार से प्राप्त हुआ था। इस भवन को भव्य रूप प्रदान करने हेतु न्यास के संस्थापक एवं अध्यक्ष स्वामी तत्त्वबोध सरस्वती (पूर्व नाम हनुमान प्रसाद चौधरी)ने एक करोड़ रुपये न्यास को दान दिया। न्यास द्वारा प्रतिवर्ष स्वामी तत्त्वबोध सरस्वती की पुण्य तिथि पर भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। हमें स्वामी जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरणा लेनी चाहिए।
इस अवसर पर आर्य समाज,आबू रोड के प्रधान एवं न्यासी श्री मोतीलाल आर्य ने कहा कि नवलखा महल से मेरा जुड़ाव स्वामी तत्त्वबोध सरस्वती के समय से ही रहा है। स्वामी जी का अनुभव व ज्ञान हमें प्रेरणा प्रदान करता था उनके अनुभव एवं ज्ञान से ही प्रेरणा लेकर आज नवलखा महल को भव्य रूप प्रदान किया गया है। स्वामी जी ने आर्य समाज ही नहीं वरन् देश के स्वतंत्रता संग्राम के आन्दोलन में अपनी महती भूमिका निभायी। वे स्वतंत्रता आन्दोलन में शामिल हुए जिसकी वजह से उन्हें जेल भी जाना पड़ा। वे देश के स्वतंत्रता सैनानी रहे हैं।
काव्य संध्या में राष्ट्रीय कवि डॉ. अजात शत्रु ने आस्था के सेतू बंध टूटने लगे हैं। अस्तु। भ्रष्ट नेताओं का दम्भ तोड़ते चलो। जामवन्त बनके जगा रहा हूं हनुमान। रावण की राज्य में भुजा मरोड़ते चलो।। नामक भाव प्रस्तुत किए। श्री श्रेणीदान चारण ने सत्य के बन सारथी, रथ को बढ़ाकर देखिये। मिट जायेगी सब दूरिया, नजदीक आकर देखिये। अपने लगेंगे सब तुम्हें, पर्दा हटाकर देखिये। मिट जायेंगे दुश्मन सभी खुद को मिटाकर देखिये। नामक प्रस्तुति दी। श्री बृजराज सिंह जगावत ने अटल पुण की धरा मेवाड़ी स्वाभिमान जिन्दा है। नामक प्रस्तुति दी। सुश्री भावना लौहार ने शौर्य पराक्रम की परिपाटी वाला राजस्थान हैं। मां पन्ना और हल्दीघाटी वाला राजस्थान है। पग-पग मीरा बाई के यह प्रेम भक्ति मेें रमा हुआ जौहर ज्वाल समेटे माटी वाला राजस्थान है। नामक अपनी काव्य प्रस्तुति देकर सभी को देश भक्ति की भाव्य से भर दिया।
इस अवसर पर राजसमन्द के पूर्व विधायक श्री बंशीलाल खटीक ने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती ने जाति प्रथा,बाल विवाह,सती प्रथा उन्मूलन जैसी बुराईयों को मिटाने के कार्य किए। वहीं स्वतन्त्रता आन्दोलन में आर्य समाज से जुड़े लाला लाजपत राय व उनकी टीम ने अपनी महती भूमिका निभायी और देश को स्वतंत्रत करवाया। उनकी परम्परा को स्वामी तत्त्वबोध जी सरस्वती ने आगे बढ़ाया और स्वतंत्रता आन्दोलन में अपनी महती भूमिका निभायी ऐसे महापुरुष को मैं नमन करता हूं। इस अवसर पर न्यासी डॉ. अमृतलाल तापड़िया, ललिता मेहरा, डॉ. एस.के.माहेश्वरी, श्री विनोद राठौड़,श्र भवानी दास आर्य ने अतिथयों का पगड़ी व ओ3म् दुपट्टा ओढ़ाकर स्वागत किया।
कार्यक्रम से पूर्व नवलखा महल सांस्कृतिक केन्द्र युवा ईकाई के पदाधिकारी दिवंगत श्री सुकृत मेहरा द्वारा न्यास के लिए किए गए कार्याें का स्मरण करते हूए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर न्यास के उपाध्यक्ष न्यास मंत्री श्री भवानी दास आर्य, संयुक्त मन्त्री डॉ. अमृतलाल तापड़िया, न्यास के कार्यालय मंत्री श्री भंवर लाल गर्ग, न्यासी डॉ.एस.के.माहेश्वरी,पुरोहित नवनीत आर्य, लेखाकार श्री दिव्येश सुथार, जन संपर्क सचिव श्री विनोद राठौड़, आर्य समाज पिछोली के प्रधान डॉ अनन्त प्रकाश गुप्ता, माँ शारदा आर्य समिति की श्रीमती सरला गुप्ता आर्यसमाज सेेक्टर- 4 (महिला प्रकोष्ठ) की श्रीमती चन्द्रकान्ता वैदिका, श्री रमेश पालीवाल, श्रीमती ऋचा पीयूष, श्रीमती दुर्गा गोरमात, गाइड श्री सिद्धम, श्री देवीलाल, श्री कालू, श्रीमती निरमा तथा नवलखा महल सांस्कृतिक केन्द्र के यूथ क्लब के श्री जयेश आर्य, श्री भास्कर मित्तल,श्री शोभित मित्तल, श्रीमती मितिशा मित्तल,श्री रवीन्द्र राठौड़, सुश्री सृष्टि राठौड़,श्रीमती दुष्यन्ता राठौड़,श्रीमती शीतल गुप्ता,सुश्री सृष्टि राठौड़, गौरव, श्री आदर्श,पूर्व पार्षद श्रीमती मनोरमा गुप्ता, श्रीमती आभा आर्य,सुश्री करिश्मा शर्मा, श्री सत्यप्रिय एवं कई कार्यकर्ता एवं उदयपुर शहर के गणमान्य उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन आर्य समाज हिरणमगरी के प्रचार मंत्री श्री भूपेन्द्र शर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम का प्रारम्भ यज्ञ से प्रारम्भ हुआ जिसके पुरोहित श्री इन्द्रप्रकाश यादव थे। धन्यवाद न्यास के कोषाध्यक्ष श्री नारायण लाल मित्तल ने किया।
समारोह का समापन न्यास के पुरोहित श्री नवनीत आर्य के शांतिपाठ के साथ सम्पन्न हुआ।