उदयपुर: वर्ल्ड फिजियोथेरेपी डे के मौके पर पारस हेल्थ उदयपुर ने रविवार को “नी-ओ-थॉन: वॉकफॉर फिट जॉइंट”का आयोजन किया। यह सुबह की वॉक राजीव गांधी पार्क से शुरू होकर रानी रोड स्थित जैन फार्म तक हुई। 300 से ज्यादा लोगों ने इसमें हिस्सा लिया और जोड़ो की सेहत व एक्टिव लाइफस्टाइल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। इस वॉक का नेतृत्व पारस हेल्थ उदयपुर में ऑर्थोपेडिक्स, जॉइंट रिप्लेसमेंट और रोबोटिक-कंसल्टेंट सर्जन डॉ. आशीष सिंघल ने किया। प्रतिभागियों को चलने-फिरने की एक्सरसाइज, फिजियोथेरेपी तरीकों और जोड़ो की सेहत बनाए रखने के आसान उपाय बताए गए। कार्यक्रम में मेडिकल सपोर्ट भी मौजूद था ताकि लोग सुरक्षित रूप से हिस्सा ले सकें और अपनी सेहत पर ध्यान दे सकें। यह कार्यक्रम 94.3 MY FM के सहयोग से आयोजित हुआ और मेरिल, माने, वन2ऑल, उदयपुर ब्लॉग और दैनिक नवज्योति जैसे पार्टनर्स का साथ मिला। यह पारस हेल्थ उदयपुर की समुदाय केंद्रित जागरूकता अभियानों और कम तकलीफ देने वाले एडवांस्ड ऑर्थोपेडिक इलाजों में नेतृत्व को दर्शाता है। कार्यक्रम के बाद पारस हेल्थ उदयपुर में ऑर्थोपेडिक्स, जॉइंट रिप्लेसमेंट और रोबोटिक-कंसल्टेंट सर्जन डॉ. आशीष सिंघल ने कहा, “प्रतिभागियों का उत्साह बहुत अच्छा रहा। ‘नी-ओ-थॉन’ सिर्फ एक सामुदायिक गतिविधि नहीं थी, बल्कि इसका उद्देश्य जोड़ो की सेहत और बचाव के महत्व को बताना था। शुरुआती इलाज, सही लाइफस्टाइल और रोबोटिक सर्जरी जैसे एडवांस्ड विकल्पों के साथ
ऑर्थोपेडिक इलाज लगातार बेहतर हो रहा है। इससे मरीजों को इलाज़ के अच्छे नतीजे मिल रहे हैं।” पारस हेल्थ उदयपुर के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ. प्रसून कुमार ने कहा, “नी-ओ-थॉन हमारे द्वारा लगातार किए जा रहे प्रयासों का प्रतीक है। इन प्रयासों के जरिए हम समुदाय तक जोड़ो की सेहत से जुड़ी जानकारी पहुँचा रहे हैं। प्रतिभागियों को सक्रिय रूप से हिस्सा लेते और फिजियोथेरेपी की सलाह अपनाते देखना इस तरह की पहल के महत्व को दिखाता है। ऐसे कार्यक्रम लोगों को स्वस्थ लाइफस्टाइल अपनाने और हड्डियों व जोड़ो की सेहत के लिए सही निर्णय लेने के काबिल बनाते हैं।” भारत में बुजुर्गों में घुटनों का ऑस्टियोआर्थराइटिस (OA) होना बहुत आम बात है। अध्ययन बताते हैं कि 60 साल से ज्यादा उम्र के लगभग आधे लोग इससे प्रभावित होते हैं। यह एक बड़ी पब्लिक हेल्थ समस्या है। इसलिए ‘नी-ओ-थॉन’ जैसी पहलों की अहमियत बढ़ जाती है। साथ ही भारत का फिजियोथेरेपी बाजार 2030 तक 1.9 बिलियन डॉलर
तक पहुँचने की उम्मीद है। यह दर्शाता है कि हड्डियों और जोड़ो की सेहत संभालने में फिजियोथेरेपी की अहमियत को अब ज्यादा माना जा रहा है।