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जल संरक्षण का संदेश: महिलाओं ने जीवन में पानी बचाने का महत्व उजागर किया

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14 Sep 25
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जल संरक्षण का संदेश: महिलाओं ने जीवन में पानी बचाने का महत्व उजागर किया

उदयपुर। भारत विकास परिषद उत्तर पश्चिम क्षेत्र के दो दिवसीय क्षेत्रीय महिला मिलन कार्यक्रम, जो सॉलिटेयर रिसॉर्ट, उदयपुर में आयोजित किया जा रहा है, में महिलाओं ने नाटिका के माध्यम से दैनिक जीवन में जल संरक्षण का संदेश दिया।

 


 

 

 

 

 

नाटिका में पांच महिलाओं की समस्याएं दिखाई गईं—एक शैम्पू वाले बाल धो नहीं पाती, दूसरी मेहमानों को चाय नहीं पिला पाती, तीसरी का पति बीमार है और घर में पानी नहीं है, चौथी के बच्चे स्कूल जाना चाहते हैं पर नाश्ता तैयार नहीं कर पाती, और पांचवीं स्विमिंग पूल के लिए पानी लेने पनघट पर जाती है क्योंकि मोहल्ले का हैंडपंप सूख गया है। महिलाएं आपस में लड़ने लगती हैं कि कौन पहले पानी भरेगा।

 

इस बीच, डॉ. मंजू जैन आती हैं और समझाती हैं कि अपने-अपने घरों की छतों पर वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) कर, ट्यूबवेल को रिचार्ज किया जाए। इस तरह घरों में पानी की कमी नहीं होगी और झगड़े खत्म होंगे। वरिष्ठ महिला सभी को जल शपथ दिलाती हैं कि वे जीवन में हमेशा पानी बचाएंगी।

नाटक के अगले भाग में रेखा धाकड़ ने वर्चुअल वाटर (अदृश्य जल) के महत्व पर प्रकाश डाला। उदाहरण स्वरूप, 1 किलो शक्कर बनाने में 1,700 लीटर, एक साड़ी बनाने में 5,000 लीटर और 1 किलो चॉकलेट बनाने में 17,000 लीटर पानी खर्च होता है। उन्होंने कहा कि अनावश्यक वस्तुएं खरीदने से भी जल की बर्बादी होती है।

नाटिका के अंत में विकास रत्न बनीं और हर वर्ष पौधा रोपण करने वाली श्रीमती तृप्ता चावला को सम्मानित किया गया।

इस नाटिका में रेखा धाकड़, डॉ. मंजू जैन, सुशील अग्रवाल, संतोष गोयल, सुधा अग्रवाल, किरण दशोरा और तृप्ता चावला ने अभिनय किया। नाटिका की रचना जल मित्र डॉ. पी. सी. जैन और रेखा धाकड़ ने की।


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