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कथाकार विजय जोशी मुंशी प्रेमचन्द राष्ट्रीय कथा सम्मान - 2025 से सम्मानित  

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16 Jul 25
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कथाकार विजय जोशी मुंशी प्रेमचन्द राष्ट्रीय कथा सम्मान - 2025 से सम्मानित  

कोटा । भव्या पब्लिकेशन संस्थान भोपाल, मध्य प्रदेश द्वारा प्रतिवर्ष दिए जाने वाले राष्ट्रीय सम्मान में कोटा राजस्थान के प्रसिद्ध कथाकार विजय जोशी को उनके हिन्दी कथा साहित्य में उल्लेखनीय कार्य एवं अतुलनीय योगदान के लिए समग्र कथा - साहित्य पर  " मुंशी प्रेमचन्द राष्ट्रीय कथा सम्मान - 2025 " प्रदान किया गया।
भव्या पब्लिकेशन संस्थान के निदेशक हेमराज कुर्मी के अनुसार यह सम्मान संस्थान के चतुर्थ वार्षिकोत्सव एवं अलंकरण समारोह में दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय भोपाल, मध्य प्रदेश के सभागार में रविवार 13 जुलाई 2025 को प्रदान किया गया। सम्मान स्वरूप कथाकार विजय जोशी को सम्मान राशि ढाई हजार रुपए, प्रशस्ति - पत्र, प्रतीक चिह्न , शाल, श्रीफल व पुष्प गुच्छ भेंट कर सम्मानित किया।
समारोह की अध्यक्षता डॉ. देवेन्द्र दीपक, पूर्व निदेशक म.प्र. साहित्य अकादमी ने की तथा मुख्य अतिथि, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी भारत भवन, भोपाल श्री प्रेमशंकर शुक्ला, सारस्वत अतिथि श्री अक्षत शर्मा, प्रबंध संपादक, स्वदेश ज्योति तथा विशिष्ट अतिथि श्री महेश सक्सेना, बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केन्द्र, भोपाल रहे। 
समारोह में हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं एवं शिक्षा तथा समाज सेवा के क्षेत्र में देश के ग्यारह साहित्यकार, शिक्षाविद्  एवं समाज सेवियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सात लेखकों की सात पुस्तकों का भी लोकार्पण किया गया। समारोह का संचालन सत्यदेव 'सत्य' ने किया तथा श्रीमती सुधा दुबे ने आभार प्रकट किया। 
उल्लेखनीय है कि कथाकार विजय जोशी के अब तक दो हिन्दी उपन्यास - चीख़ते चौबारे, रिसते हुए रिश्ते, छह हिन्दी कहानी संग्रह - ख़ामोश गलियारे, केनवास के परे, कुहासे का सफ़र, बिंधे हुए रिश्ते, सुलगता मौन, वैकुण्ठगामी एवं अन्य कहानियाँ तथा एक हिन्दी बाल कहानी संग्रह - बदल गया मिंकू प्रकाशित हो चुके हैं। विजय जोशी के कथा साहित्य का मूल्यांकन करते हुए विद्वान् साहित्यकारों के सम्पादन में तीन समीक्षा ग्रन्थ और कथा साहित्य तथा समीक्षा साहित्य पर केन्द्रित एक विनिबन्ध प्रकाशित हुए हैं। यही नहीं देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा छह शोधार्थियों को पीएच.डी. तथा एम. फिल. की उपाधि प्रदान की गई है।


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