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केंद्र व राज्य सरकार किसान हितैषी, अन्नदाता को मिल रहा पूरा सम्मान - श्री चौधरी

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15 Jul 25
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केंद्र व राज्य सरकार किसान हितैषी, अन्नदाता को मिल रहा पूरा सम्मान - श्री चौधरी

उदयपुर, राज्य किसान आयोग के अध्यक्ष श्री सीआर चौधरी मंगलवार को उदयपुर जिले के प्रवास पर रहे। इस दौरान उन्होंने विभागीय अधिकारियों की बैठक ली। साथ ही कृषक संवाद के जरिए धरती पुत्रों की समस्याओं व सुझावों से रूबरू हुए। आयोग ने किसानों की हर समस्या और सुझाव को मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा तक पहुंचाकर उचित कार्यवाही कराने का आश्वासन दिया। कार्यक्रम में उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन, ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, समाजसेवी प्रमोद सागर, गजपालसिंह, पुष्कर तेली, चंद्रगुप्तसिंह चौहान, भंवरसिंह पंवार, तख्तसिंह भी बतौर अतिथि उपस्थित रहे।

नगर निगम परिसर स्थित पं दीनदयाल उपाध्याय सभागार में आयोजित कृषक संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए किसान आयोग अध्यक्ष श्री चौधरी ने कहा कि कृषि उत्पादन को बढ़ाने में प्रकृति और सरकार की नीति दो महत्वपूर्ण घटक हैं। वंदे गंगा जैसे अभियान से प्रकृति का वंदन किया तो उसका सकारात्मक फल अच्छी बारिश के रूप में मिल रहा है। दूसरे घटक में सरकार की नीतियां हैं। यह सौभाग्य है कि केंद्र और राज्य सरकारें किसान हितैषी हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय को दुगुना करने के लिए कई नवाचार व योजनाएं चलाई। किसान सम्मान निधि के जरिए किसानों को खाद-बीज खरीद में संबल प्रदान किया। पूरे विश्व में श्रीअन्न का मान बढ़ाकर उसकी मांग में इजाफा किया, इससे श्रीअन्न उत्पादन करने वाले किसानों को लाभ हो रहा है। प्रधानमंत्री सूक्ष्य सिंचाई योजना सहित अनेकों ऐसी योजनाएं चलाई जा रही है, जिससे अन्नदाता को न केवल राहत मिल रही है, बल्कि उसकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है। इसी प्रकार प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा भी किसानों के हित में कई निर्णय ले चुके हैं। किसान सम्मान निधि को बढ़ा कर 9000 रूपए कर दिया है। रामसेतु लिंक जल परियोजना, यमुना जल समझौता जैसे प्रोजेक्ट से आने वाले समय में किसान का खेत पानी से वंचित नहीं रहेगा। सौलर इकाइयों के माध्यम से बिजली की समस्या भी दूर हो रही है। श्री चौधरी ने कहा कि आगामी 2027 तक प्रदेश के प्रत्येक किसान को 24 घंटे थ्री फेज बिजली मिल सकेगी। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रयास हो रहे हैं। बैलों से खेती पर 30 हजार रूपए प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। यह सभी प्रयास किसानों को समृद्ध और सक्षम बनाने में सहायक हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी का सपना वर्ष 2047 तक भारत को खाद्यान्न, दलहन, तेल आदि का सबसे बड़ा निर्यातक देश बनाना है, इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

परंपरागत ज्ञान के साथ तकनीक का करें इस्तेमाल
श्री चौधरी ने किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि कृषि के परंपरागत ज्ञान के साथ आधुनिक कृषि तकनीकों का इस्तेमाल करें, ताकि उत्पादन को बढ़ाया जा सकें। उन्होंने प्रगतिशील किसानों से स्वयं तकनीक का उपयोग करने के साथ ही अपने आसपास के किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करने की अपील की, ताकि वे भी आगे बढ़ सकें। उन्होंने कहा कि जब तक सभी किसान उन्नत नहीं होंगे, तब तक प्रदेश या देश आगे नहीं बढ़ पाएगा।

सक्षम स्तर पर पहुंचाएंगे किसानों की आवाज
श्री चौधरी ने आश्वस्त किया कि किसान आयोग प्रदेश के किसानों की आवाज है। उन्होंने कहा कि कृषक संवाद के माध्यम से सभी किसानों की समस्याएं व सुझाव सुने जा रहे हैं। इन सुझावों का परीक्षण कराकर उन्हें मुख्यमंत्री सहित केंद्र सरकार में सक्षम स्तरों तक पहुंचाया जाएगा।

किसानों ने रखी समस्याएं, दिए सुझाव
कार्यक्रम में किसान आयोग के सहायक निदेशक केडी वर्मा ने जिले भर से आए किसानों से लिखित एवं मौखिक रूप से अपनी समस्याएं व सुझाव प्रस्तुत करने का आग्रह किया। कृषक प्रभुलाल कटारा, उदयसिंह, छगनलाल जाट, कृष्णगोपाल पालीवाल, धूलाराम भगोरा, मन्नालाल पटेल, देवीसिंह, भैरूलाल, गणपतराम, लालचंद मीणा, रामसिंह मीणा आदि ने आयोग अध्यक्ष के समक्ष किसानों की विभिन्न समस्याएं रखते हुए सुझाव दिए। इसके अलावा सदन में मौजूद प्रत्येक किसान ने निर्धारित प्रपत्र में अपनी समस्याएं व सुझाव अंकित कर जमा कराए। इसमें मुख्य रूप से जनजाति बहुल झाडोल क्षेत्र में सहायक निदेशक कृषि विस्तार कार्यालय स्थापित किए जाने की मांग रखी गई। साथ ही जैविक उत्पादों के विक्रय के लिए मार्केट उपलब्ध कराए जाने, निर्बाध बिजली आपूर्ति, हरयाळो राजस्थान के तहत किसानों की निजी भूमि में पौधरोपण कराए जाने, जंगली जानवरों से फसल को बचाने के लिए कण्ठमाल की झाडियों की बाढ बनाने के लिए योजना लागू करने, नरेगा के माध्यम से खेतों तक ग्रेवल सड़क बनवाए जाने, जिले में गठित किए जा रहे एफपीओ की सदस्य संख्या को 300 से घटाकर 100 करने तथा एफपीओ को मार्गदर्शन की समुचित व्यवस्था किए जाने, कस्टम हायरिंग सेंटर और मृदा जांच की जिम्मेदारी एफपीओ को देने, जिले के सभी पंचायत मुख्यालयों के विद्यालयों में कृषि संकाय शुरू कराकर युवाओं को अध्ययन के अवसर प्रदान करने, ताराबंदी योजना में दायरा घटाकर एक बीघा करने, प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने, जमीकंद उत्पादन को बढ़ावा देने को लेकर सुझाव दिए। प्रारंभ में अतिरिक्त निदेशक कृषि विस्तार निरंजनसिंह राठौड़, संयुक्त निदेशक सुधीर वर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान डॉ अरविन्द वर्मा, निदेशक प्रसार शिक्षा रामेश्वरलाल सोनी, राज्य बीज प्रमाणिकरण निगम के निदेशक एवं भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष प्रेमचंद दामा आदि ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन श्यामलाल सालवी ने किया।


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