जैसलमेर, गिव अप अभियान राज्य में सामाजिक न्याय, खाद्य सुरक्षा सूची शुद्धिकरण, स्वैच्छिक त्याग की भावना व निर्धन सेवा का पर्याय बन गया है। यह अभियान न केवल नैतिकता आधारित आमजन की सोच को उजागर कर रहा है, बल्कि सहयोग और समन्वय का मार्ग भी दिखा रहा है। गिव अप अभियान गरीब के हक मंे कोई सेंधमारी न हो, इस सोच को सामाजिक कर्तव्य और धर्म में बदल रहा है। ऐसे में समाज के सक्षम तबके के अक्षम और गरीबों के प्रति दायित्व और अधिक बढ़ जाते हैं। यह उद्गार राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने खाद्य आपूर्ति सेवा समिति एवं विभागीय अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक में व्यक्त किये। बैठक में श्री गोदारा सचिवालय में प्रवर्तन एजेंसी से गिव अप अभियान तथा खाद्य सुरक्षा सूची में नये नाम जोड़े जाने की प्रक्रिया का फीडबैक ले रहे थे।
सक्षम लोगों का त्याग बन रहा गरीबों का निवाला,
31 लाख से अधिक ने किया गिव अप, लगभग 60 लाख नए पात्र जुड़े
श्री गोदारा ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का उद्देश्य सेवा और संवेदनशीलता के साथ निर्धन के निवाले की चिंता करना है, उसको उसके हक तक पहुंचाना है। माननीय मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा जी के नेतृत्व में वास्तविक हकदारों तक लाभ पहुंचाने के लिये विभाग प्रतिबद्धता से कार्य कर रहा है। इसी क्रम में असल हकदारों तक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू किये गये गिव अप अभियान में लगभग 31 लाख अपात्र लोगों द्वारा स्वेच्छा से खाद्य सुरक्षा छोड़ी गई है। इससे बनी रिक्तियों व ई-केवाईसी नहीं करवाने से लगभग 60 लाख नए पात्र लाभार्थी खाद्य सुरक्षा से जुड़े है। इन नये लाभार्थियों को प्रतिमाह 5 किलोग्राम निःशुल्क गेंहू के साथ मुख्यमंत्री रसोई गैस सब्सिडी योजना के तहत 450 रूपये में प्रति परिवार प्रतिवर्ष 12 घरेलू गैस सिलेण्डर, मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना में परिवार का निःशुल्क पंजीकरण एवं 25 लाख रूपये तक का निःशुल्क इलाज तथा मुख्यमंत्री आयुष्मान दुर्घटना बीमा योजना में परिवार का 10 लाख रूपये तक का निःशुल्क दुर्घटना बीमा कवर का लाभ भी मिल रहा है। इससे उनका जीवन स्तर ऊपर उठ रहा है एवं वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ रहें है। अपात्रों द्वारा खाद्य सुरक्षा छोड़ने से लगभग 568 करोड़ रूपये की राज कोषीय बचत हुई है। यह राशि लाभार्थियों के कल्याण पर खर्च की जा रही है। गिव अप अभियान की ऐतिहासिक सफलता को देखते हुए इसकी अवधि 31 अक्टूबर 2025 तक बढ़ा दी गई है।