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कुलगुरु के रवैये से आक्रोश, संविदाकर्मियों ने उपमुख्यमंत्री को सौंपी गुहार

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15 Sep 25
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कुलगुरु के रवैये से आक्रोश, संविदाकर्मियों ने उपमुख्यमंत्री को सौंपी गुहार

उदयपुर।मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर में कार्यरत संविदा एवं एस.एफ.एस. कर्मियों का धैर्य अब जवाब देता दिखाई दे रहा है। 25 वर्षों से अधिक समय से सेवा दे रहे ये कर्मचारी अब कुलगुरु प्रो. सुनीता मिश्रा के रवैये से क्षुब्ध हैं। कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि कुलगुरु द्वारा तानाशाही और हठधर्मिता के चलते उनकी सेवाओं को अस्थिर किया जा रहा है, जबकि राज्य सरकार ने पहले ही उनके कार्यकाल को पूरे वर्ष के लिए स्वीकृति दे दी है।

बार-बार टुकड़ों में आदेश, कर्मचारियों में असमंजस

राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग ने 24 जनवरी 2025 को ही आदेश जारी कर विश्वविद्यालय के संविदा कर्मियों की सेवाओं को 31 दिसम्बर 2025 तक बढ़ाने की मंजूरी दे दी थी। इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन कभी एक माह, तो कभी दो माह के कार्यादेश जारी करता रहा। कर्मचारियों का कहना है कि कार्यादेश और वित्तीय स्वीकृति अलग-अलग तिथियों में जारी की जाती है, जिससे न केवल असमंजस की स्थिति बनती है बल्कि कर्मचारियों को मानसिक तनाव भी झेलना पड़ता है।

14 जुलाई से धरना, 23 जुलाई को हाईकोर्ट के आदेश पर स्थगित

जब कर्मचारियों की मांगें लगातार अनसुनी की गईं, तो 14 जुलाई 2025 से संविदा/एस.एफ.एस. कर्मियों ने शांतिपूर्ण धरना शुरू किया। 23 जुलाई तक चला यह आंदोलन उच्च न्यायालय के आदेश के बाद स्थगित करना पड़ा और सभी कर्मचारी पुनः कार्य पर लौट आए। लेकिन उनका आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने आंदोलन समाप्त होने के बाद भी नित नए तर्कहीन आदेश जारी कर उन्हें परेशान करना जारी रखा।

पांच सूत्रीय मांगें

कर्मचारियों ने उपमुख्यमंत्री को दिए ज्ञापन में पांच सूत्रीय मांगें रखी हैं—

जुलाई से दिसम्बर 2025 तक प्रशासनिक व वित्तीय आदेश तुरंत जारी किए जाएं।

मानदेय में प्रतिवर्ष 10% वृद्धि लागू की जाए, क्योंकि दो वर्षों से वेतन वृद्धि नहीं हुई है।

महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश पूर्ववत स्वीकृत किया जाए।

श्रीमती किरण कंवर को कार्यादेश जारी किया जाए, जिन्हें पिछले तीन माह से आदेश नहीं दिया गया।

दिवंगत प्रकाश नागदा के परिजन को मुआवजा और रोजगार उपलब्ध कराया जाए।

महिला कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार

धरना आंदोलन के दौरान 21 जुलाई को महिला कर्मचारी श्रीमती किरण कंवर के साथ अभद्र व्यवहार और श्रीमती बेबी गमेती के साथ जातिगत टिप्पणी व मारपीट की घटना घटी। कर्मचारियों का कहना है कि इसकी शिकायत प्रतापनगर थाना में दर्ज कराई गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इतना ही नहीं, कुलगुरु पर भी आरोप लगाया गया कि उन्होंने एक महिला कर्मचारी की पोशाक को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की।

प्रशासन पर निजी स्वार्थ के आरोप

कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया कि कुलगुरु निजी स्वार्थ के चलते संविदाकर्मियों की जगह एजेंसी के माध्यम से सेवाएं लेना चाहती हैं। हालांकि पूर्व में विरोध के चलते एजेंसी की निविदा रद्द करनी पड़ी थी। कर्मचारियों का तर्क है कि उनका मानदेय स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रमों की आय से दिया जाता है और राज्य सरकार पर किसी प्रकार का अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ता।

उपमुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग

कर्मचारियों ने उपमुख्यमंत्री श्रीमती दिया कुमारी से गुहार लगाई है कि वे इस मामले में शीघ्र हस्तक्षेप कर संविदा/एस.एफ.एस. कर्मचारियों की सेवाओं को स्थिरता प्रदान करें। साथ ही, महिला कर्मचारियों के सम्मान से जुड़े मुद्दों पर भी ठोस कार्रवाई की जाए।

कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों का समाधान नहीं किया गया तो वे एक बार फिर से आंदोलन करने के लिए विवश होंगे।

 


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