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विधानसभा ध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने जोधपुर में पर्यावरण संगोष्ठी व वृक्षारोपण कार्यक्रम में लिया भाग

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21 Jul 25
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विधानसभा ध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने जोधपुर में पर्यावरण संगोष्ठी व वृक्षारोपण कार्यक्रम में लिया भाग

*- पर्यावरण संरक्षण कोई विकल्प नहीं, यह हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी – देवनानी*

*- सावित्रीबाई हर्बल पार्क में पौधारोपण कर दिया प्रकृति संरक्षण का संदेश*

गोपेन्द्र  नाथ भट्ट 

जयपुर/जोधपुर। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने रविवार को अपने एक दिवसीय जोधपुर प्रवास के दौरान माता का थान स्थित सावित्रीबाई हर्बल पार्क में आयोजित पर्यावरण एवं जल संरक्षण संगोष्ठी व वृक्षारोपण कार्यक्रम में सहभागिता की।

 

इस अवसर पर उन्होंने “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की संवेदनशील और दूरदर्शी पहल बताया, जो पूरे देश में प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का सशक्त माध्यम बन रही है।

 

*- पौधारोपण कर दिया संदेश*

इस दौरान उन्होंने पौधारोपण कर प्रकृति के प्रति संकल्पित होकर अधिक से अधिक पौधे लगाने का संदेश दिया।

 

*- पर्यावरण संरक्षण हर नागरिक का नैतिक कर्तव्य*

देवनानी ने “वृक्षारोपण, पर्यावरण और जल संरक्षा” विषयक  संगोष्ठी में कहा कि पर्यावरण संरक्षण केवल किसी संस्था या सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का नैतिक कर्तव्य है। उन्होंने आह्वान किया कि पेड़ लगाएं, उन्हें बचाएं, और आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित, स्वच्छ और संतुलित पर्यावरण प्रदान करें।

 

*- भारतीय संस्कृति में है पर्यावरण संरक्षण का संदेश*

विधानसभा अध्यक्ष श्री देवनानी ने वेदों से उद्धरण देते हुए कहा –

“माता भूमिः पुत्रोऽहम पृथिव्याः, पर्जन्यः पिता स उ नः पिपर्तु”

अर्थात् यह भूमि हमारी माता है और हम उसके पुत्र हैं – यह भावना केवल भारतीय संस्कृति में देखने को मिलती है, जहां पृथ्वी को मां और वृक्षों को देवतुल्य सम्मान दिया जाता है।

 

उन्होंने जोधपुर से अपने आत्मीय संबंधों को याद करते हुए बताया कि यही वह शहर है जहां उनका विद्यार्थी जीवन बीता और जीवन मूल्यों की नींव पड़ी।

 

*- वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य से समझें प्रकृति संरक्षण का महत्व*

श्री देवनानी ने कहा कि आज की पीढ़ी पर्यावरण के महत्व से थोड़ा दूर हो चली है, ऐसे में यह आवश्यक है कि उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य से प्रकृति संरक्षण का महत्व समझाया जाए।

 

उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ पौधा लगाना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसका संरक्षण, सिंचाई, देखभाल और पालन-पोषण भी उतना ही जरूरी है। उन्होंने जल संचय, जलवायु संतुलन, स्वच्छ जीवनशैली और स्थायी विकास जैसे विषयों को पर्यावरण सरंक्षण से जोड़ते हुए व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता जताई।

 

*- ये रहे उपस्थित*

इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमि) ओम सिंह राजपुरोहित, पार्षद जानी देवी, अंशु सहगल, प्रदीप शर्मा, मनोहर सिंह सांखला, हरि सिंह चौधरी, पूर्व पार्षद मनो हर लाल परिहार, लक्ष्मण भाटी, महेश व्यास, महेंद्र मेघवाल, गोविंदराज जलानी सहित अनेक जनप्रतिनिधिगण, पर्यावरणविद, सामाजिक कार्यकर्ता और छात्र उपस्थित रहे।

 

*- वक्ताओं ने रखें विचार*

संगोष्ठी में पर्यावरणविद प्रसन्न चंद पुरी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में पेड़ों को जीवंत प्राणियों के रूप में स्वीकारा गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल ने हमें प्रकृति के संतुलन की अनदेखी के घातक परिणामों से अवगत कराया।

 

सभी वक्ताओं ने पर्यावरण एवं जल संरक्षण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन जन-जागरूकता के साथ-साथ जन-भागीदारी को भी मजबूती प्रदान करते हैं, जिससे वृक्षारोपण केवल एक औपचारिकता न रहकर एक जीवंत परंपरा बन सके।

 

*- प्रकृति और भावी पीढ़ी दोनों को करें संरक्षित*

देवनानी ने सभी से अपील की कि वे अपने जीवन में पर्यावरण-संवेदनशील आदतें अपनाएं तथा “एक पेड़ मां के नाम” जैसे अभियानों को जनांदोलन का रूप दें, ताकि प्रकृति और भावी पीढ़ी दोनों को संरक्षित किया जा सके।


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