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हेरिटेज की ओपन आर्ट गैलरी राजस्थान में  पुरातत्व संपदाओं और संग्रहालयों का संरक्षण पर्यटन को नई दिशा देने वाला

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10 Jul 25
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हेरिटेज की ओपन आर्ट गैलरी राजस्थान में  पुरातत्व संपदाओं और संग्रहालयों का संरक्षण पर्यटन को नई दिशा देने वाला

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

राजस्थान में कई पुरातत्व संग्रहालय हैं जो राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को प्रदर्शित करते हैं। इन संग्रहालयों में प्राचीन कलाकृतियों, मूर्तियों, सिक्कों और अन्य ऐतिहासिक वस्तुओं का विशाल संग्रह है। राजस्थान के ये ऐतिहासिक स्थल सिर्फ स्थापत्य के चमत्कार नहीं, बल्कि राजसी जीवन की कहानियाँ भी बयां करते हैं। ये संग्रहालय पर्यटकों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। साथ ही  संग्रहालय राजस्थान के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानने के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन हैं।

राजस्थान में कुछ प्रमुख पुरातत्व संग्रहालयों में
प्रदेश की राजधानी जयपुर का राजस्थान पुरातत्व संग्रहालय, प्रमुख है। यह संग्रहालय जयपुर के रामनिवास बाग में स्थित है और कई भवनों में विभाजित इस म्यूजियम में वस्त्र, चित्रकला, पुरातत्व, हस्तशिल्प इसमें प्राचीन कलाकृतियों और मूर्तियों का विशाल संग्रह है।जयपुर का ऐतिहासिक अल्बर्ट हॉल संग्रहालय, भी रामनिवास बाग में ही स्थित है और इसमें प्राचीन कलाकृतियों, मूर्तियों और सिक्कों का बेजोड़ संग्रह है। यह राजस्थान का सबसे पुराना सरकारी संग्रहालय है तथा इसमें चित्रकला, मूर्तिकला,धातु शिल्प, हथियार आदि का  संग्रह दर्शनीय है। इस इंडो-सारसेनिक शैली की भव्य, सुन्दर और अद्भुत स्थापत्य कला के अनोखी इमारत में एक अति प्राचीन ममी भी है जो कि सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र है। जयपुर सिटी पैलेस म्यूजियम के साथ पैलेस परिसर में स्थित जंतरमंतर और हवा महल  जयपुर को
1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह द्वारा लाल-गुलाबी बलुआ पत्थर से बनवाया था। इसमें 953 जालियाँ हैं जो महल को “पैलेस ऑफ विंड्स” बनाती हैं । राजसी महिलाओं को  बिना बाहर निकले उद्यानों, मेले और सड़कों पर होने वाली सभाओं को देखने का लाभ मिलने के साथ ही यह प्राकृतिक कूलिंग के लिए वेंटिलेशन का अनुभव भी प्रदान करता है । पाँच मंजिला संरचना जिसकी अग्र-दीवार चंद इंच चिकनी है, ग्राउंड फ्लोर से प्रवेश होता है और उपर चढ़ने के लिए रैंप्स हैं । यहाँ छोटे संग्रहालय में लघुचित्र, शाही पोशाकें, ऐतिहासिक दस्तावेज प्रदर्शित होते हैं । जयपुर से सटे  16वीं–17वीं शताब्दी में कछवाहा राजाओं द्वारा निर्मित, आमेर के किलो में राजसी महल जैसे शीश महल, फूल महल, सुख निवास शामिल हैं  । यहां शीश महल की  दीवारों पर सैकड़ों छोटे शीशे और लोमड़ी बीम प्रकाश फैलाने के लिए प्रसिद्ध है । किले में ऑडियो-गाइड, दृश्य मार्गदर्शक ट्रेल्स, और कांच के गैलरीयों में बनावट भी देखने योग्‍य है। नाहरगढ़ फोर्ट की ऐतिहासिक तोप पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है।

जयपुर के अलावा उदयपुर में पिछोला झील के तट पर स्थित उदयपुर सिटी पैलेस म्यूज़ियम एक रॉयल विरासत का खज़ाना है और मेवाड़ के इतिहास और महत्त्व को प्रदर्शित करता है। वर्ष 1559 में महाराणा उदयसिंह द्वितीय द्वारा  इसकी नींव रखी गई थी।  जनाना महल के कुछ हिस्सों को 1969 में सार्वजनिक करने के बाद यह लोकप्रिय म्यूज़ियम बन गया है। इसमें मेवाड़ राजवंश की कलाकृतियाँ ,मेवाड़ का शानदार शाही संग्रह जैसे राजसी पोशाक, हथियार, चित्रकला के साथ वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप से जुड़ी ऐतिहासिक सामग्री संग्रहित है।जिसे महाराणा ऑफ मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन चलाती है । यहां का दरबार हाल और क्लिस्टल गैलरी देखने योग्य है। उदयपुर  का राजकीय संग्रहालय भी मेवाड़ की समृद्ध विरासत का प्रतीक है। उदयपुर सिटी पैलेस म्यूज़ियम सिर्फ ऐतिहासिक वस्तुओं का घर नहीं, बल्कि मेवाड़ की शाही संस्कृति, युद्धकथा, कला और शहरी परिवेश का एक जीवंत म्यूज़िकल, फ़ोटोग्राफ़ी और स्थापत्य मेलोडी है।

उदयपुर के पिछोला झील में स्थित जग मंदिर 1551–1652 बना। मराठा राजाओं द्वारा निर्मित  इस द्वीप का महल मुगल सम्राट अकबर के बेटे ने शरण ली थी और बताते है कि ताजमहल की कल्पना यही से उसके जहां में आई । इसे “लेक गार्डन पैलेस” भी कहते हैं। ग्रीष्मकालीन विश्राम स्थल, पार्टियों का सुरम्य स्थल और यहां तक कि 1857 के दौरान शरणार्थियों के लिए शरण स्थल भी रहा । यहां प्रवेश केवल नाव द्वारा ही होता है  यह स्थल ऐतिहासिक और सुंदरता से परिपूर्ण है।
इसी प्रकार उदयपुर के सरकारी संग्रहालय में अति-प्राचीन सामग्री (उदाहरण: 3000 ईसा पूर्व की काली-लाल मिट्टी की वस्तुएँ), आदि संरक्षित हैं । मेवाड़ की पुरानी राजधानी चित्तौड़गढ़ के ऐतिहासिक किले के भीतर, राजपूत काल की वस्तुएँ, चित्रकला, राजशाही पोशाक आदि प्रदर्शित की जाती हैं । चित्तौड़गढ़ किले के भीतर स्थित राजकीय संग्रहालय में भी कई बेजोड़ संग्रह है।कोटा गवर्नमेंट म्यूजियम में कोटा पेंटिंग्स, हथियार, राजसी वस्त्र है।अलवर के  सिटी पैलेस, में स्थित, म्यूजियम 1940 में स्थापित हुआ। इसमें लगभग 234 मूर्तियाँ, 9702 सिक्के, 2565 चित्र, पांडुलिपियाँ, 2270 हथियार आदि संग्रहित हैं ।

दक्षिणी राजस्थान  के वागड़ अंचल के डूंगरपुर  राजकीय संग्रहालय में पुरातात्विक अवशेषों और मूर्तियों का संग्रह, प्राचीन राजपूताना संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है  । डूंगरपुर का बादल महल
1428 में गैब सागर झील (गैप सागर) के केंद्र में बनाया गया था। झील पर तैरता हुआ यह महल अपनी प्रतिध्वनि और दृश्य प्रभाव के लिए जाना जाता है। बाद में 1609–1657 अवधि में इसमें गोवर्धननाथ मंदिर भी जोड़ा गया  । डूंगरपुर के  उदय विलास और जूना  महल में स्थित चित्रकारी और म्यूजियम भी देखने लायक है।

कोटा के महाराजा मदहो सिंह के नाम पर, शाही चित्रकला, हथियार, लघुप्रेरणा चित्र आदि रखे हैं ।बूंदी के सुंखमहल परिसर में जून 2016 में खोला गया। इसमें हड़ौती क्षेत्र की मूर्तियाँ, बुँदी–कोटा शैली की चित्रकला और ऐतिहासिक हथियार संग्रहित हैं  । झालावाड़ के सरकारी संग्रहालय में
दुर्लभ पांडुलिपियाँ, चित्र, सिक्के, मूर्तियाँ और अन्य ऐतिहासिक कलाकृतियाँ प्रदर्शित करता है ।

पश्चिम-उत्तर राजस्थान के बीकानेर में हरिमंदिर संग्रहालय, का नाम भी राज्य के संग्रहालयों  प्रमुख है। यह संग्रहालय बीकानेर के ऐतिहासिक जूनागढ़ किले में स्थित है और इसमें प्राचीन कलाकृतियों और मूर्तियों का अपार संग्रह है। विशेष कर बीकानेर रियासत के शाही वस्त्र, अस्त्र-शस्त्र, कांच कला का अद्भुत संघर्ष है।जूनागढ़ किला संग्रहालय (बीकानेर) में
बीकानेर रियासत के शाही वस्त्र, अस्त्र-शस्त्र, कांच कला की वस्तुएं है।जोधपुर के प्रसिद्ध मेहरानगढ़ किला संग्रहालय में शाही पालकी, हथियार, संगीत वाद्य,मारवाड़ शैली की चित्रकला आदि का संग्रह है।मेहरानगढ़ किला संग्रहालय राजपूताना इतिहास, कला और संस्कृति की सम्पूर्ण दृष्टि प्रदान करता है। शाही चारित्र्य से जुड़ी कालातीत कलाकृतियों और वास्तुकला से समृद्ध, यह राजस्थान के शीर्ष संग्रहालयों में से एक है। साथ ही उम्मेद उद्यान जोधपुर में स्थित सरदार संग्रहालय में अर्वाचीन मूर्तियाँ, सिक्के, हथियार आदि संग्रहित है।जैसलमेर में 1984 में स्थापित सरकारी म्यूजियममें थार मरुस्थल की जीव-वाश्म, चित्रकला, हाथ से बनी वस्तुएँ, लकड़ी व समुद्री अवशेष संग्रहित हैं  ।पाली में पुरातात्विक और स्थानीय सांस्कृतिक वस्तुओं का भंडार है । मेहरानगढ़ फोर्ट म्यूज़ियम के भीतर सात भव्य पिरियड रूम्स और छह संग्रहालय दीर्घाओं में बंटा है, जहाँ अनमोल राजसी कलाकृतियां और इतिहास के नमूने प्रदर्शित हैं  ।जोधपुर में राजस्थान का विशेष अनुसंधान संस्थान मिनिएचर चित्रकला, हस्तलिपियाँ और प्राचीन ग्रंथों का भंडार, 1954 में स्थापित किया गया  ।

अजमेर में 16वीं शताब्दी के अकबर के किले (अकबरी किला) में स्थित, जिसका आरंभ 1908/1909 में हुआ था। इसमें मूर्तियाँ, सिक्के, शिलालेख, लघुचित्र , हथियार, और प्रागैतिहासिक अवशेष शामिल हैं  । भरतपुर के लोहागढ़ किले में, 11 नवंबर 1944 को स्थापित म्यूजियम में  जैन, शैव, वैष्णव मूर्तियां, स्थानीय हस्तशिल्प, शिकार के लिए उपयोगी हथियारों की विविधता आदि हैं  । लोहागढ़ किले में स्थित गवर्नमेंट म्यूजियम में  प्राचीन मूर्तियाँ, हथियार आदि का संग्रह है।सीकर में स्थानीय कलाकृतियों, शिल्प, चित्रकला की प्रदर्शनी  ।

हाल ही राजस्थान के प्रमुख शासन सचिव पर्यटन,कला,संस्कृति एवं पुरातत्व  राजेश यादव ने राजस्थान में पुरातत्व विभाग के सभी संग्राहलयों और सम्पत्तियों का डिजिटाइजेशन करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने पुरातत्व विभाग की सभी सम्पतियों का एक विजन डोक्यूमेन्ट बनाने और विभाग के कार्यों एवं सेवाओं को ऑनलाइन किया जाने के भी निर्देश दिए हैं।
यह निर्देश आयुक्त पर्यटन रुक्मणी रियाड़ तथा पुरात्व विभाग के निदेशक पंकज धरेन्द्र की उपस्थिति में बुधवार को जयपुर स्थित पर्यटन भवन में आयोजित पुरातत्व एवं संग्राहलय विभाग की समीक्षा बैठक ​में दिए। उन्होंने पुरातत्व विभाग के कार्यों की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि विभाग अपने कार्यों को योजनाबद्ध रूप से निर्धारित समय पर सम्पादित करें। 

उल्लेखनीय हैकि जयपुर में जन्तर मन्तर, आमेर किला, झालावाड़ में गागरोन किला यूनेस्को सूचीबद्ध स्मारक हैं। उन्होंने बताया कि 1950 से राजस्थान राज्य के निर्माण के साथ ही पुरातत्व एवं संग्राहलय विभाग का गठन किया गया। वर्तमान में विभाग द्वारा 345 पुरा स्मारक व 43 पुरास्थ संरक्षित घोषित है। साथ ही विभाग द्वारा 22 राजकीय संग्राहलय व 2 कला दीर्घा संचालित किये जा रहे हैं। जिनमें लभगभ 3 लाख से अधिक कला पुरा सामग्री यथा पाषण प्रतिमाएं,धातु प्रतिमाएं लघुरंग चित्र,अस्त्र—शस्त्र,वस्त्र परिधान,सिक्के,हस्तलिखित ग्रंथ,लिथोग्राफ,शिलालेख,टेराकोटा आदि पुरावस्तुएं संग्रहित एव प्रदर्शित हैं। विभाग द्वारा प्रदेश बिखरी कला—पुरासम्पदा तथा सांस्कृतिक धरोहर की खोज, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण एवं ​जीर्णोद्धार, पुरावशेषों  का सर्वेक्षण, संग्राहलयों का पुनर्गठन एवं विकास का पब्लिकेशन कम्यूनिकेशन एवं मास मीडिया योजनाओं के अन्तर्गत कार्य संम्पादित किए जाते हैं। विभाग द्वारा कलात्मक किले, मंदिर,छतरिया,बावड़िया,हवेलियां व अन्य ऐतिहासिक,धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व के पुरा स्मारकों का सर्वे करवाया जाकर इनके गौरवशाली स्थापत्य, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एवं कलात्मकता को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें संरक्षित घोषित कर मूल स्वरूप में संरक्षण जीर्णोद्धार,रखरखाव व सुरक्षा की समुचित व्यवस्था है।

राजस्थान हेरिटेज की ओपन आर्ट गैलरी है और यहां पुरातत्व संपदाओं का संरक्षण पर्यटन को नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है


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