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बंधुआ मजदूरी मुक्त समाज हेतु मीडिया की अहम् भूमिका - डॉ. पण्ड्या

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09 Jul 25
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बंधुआ मजदूरी मुक्त समाज हेतु मीडिया की अहम् भूमिका - डॉ. पण्ड्या



गंभीर सामाजिक अपराधों पर मीडिया के साथ संवाद

उदयपुर,  राजस्थान प्रदेश में सरकार एवं पुलिस विभाग की सक्रियता के चलते विगत वर्षों में कई मामलों में न केवल बंधुआ श्रमिक उन्मूलन अधिनियम, 1976 एवं मानव दूर्व्यापार अंतर्गत ठोस कार्यवाही हुई है बल्कि बंधुआ मुक्ति प्रमाण पत्र जारी कर पूनर्वास पर भी कार्य हुए हैं। परंतु समाज से इस कलंक को पूर्ण रूप से मिटाने हेतु अभी भी सामूहिक एवं सतत् प्रयास की आवश्यकता है। इस दिशा में मीडिया की सकारात्मक भूमिका पीड़ितों के बचाव, पुनर्वास एवं दोषियों की पहचान में मददगार हो सकती है। अन्य कानूनों की अपेक्षा बंधुआ श्रमिक अधिनियम अंतर्गत पुनर्वास मे ंविशेष आर्थिक सहायता पीड़ितों को मिलने हेतु प्रावधान है। उक्त विचार शहर के सुभाष नगर स्थित निजी होटल में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, जिला उदयपुर, गायत्री सेवा संस्थान एवं इंटरनेशनल जस्टिस मिशन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित एक दिवसीय मीडिया संवेदी करण कार्यशाला को संबोधित करते हुए कार्यशाला के मुख्य वक्ता विषय विशेषज्ञ एवं पूर्व सदस्य, राजस्थान बाल आयोग, राजस्थान सरकार डॉ. शैलेंद्र पण्ड्या ने व्यक्त किए ।




डॉ. पण्ड्या द्वारा राजस्थान के संदर्भ में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के डाटा पर प्रस्तुति देते हुए राजस्थान के संदर्भ में आ रही चुनौतियो, सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास एवं मीडिया की भूमिका पर जानकारी दी गई ।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, जिला उदयपुर के उपनिदेशक गौरीकांत शर्मा ने सरकार द्वारा प्रचार-प्रसार हेतु किया जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए सामाजिक मुद्दों पर आमजन को जागरूक करने हेतु मीडिया की महती भूमिका पर प्रकाश डाला ।
कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञ के रूप में इंटरनेशनल जस्टिस मिशन के  प्रतिनिधि अधिवक्ता जॉनजेम्स ने बंधुआ श्रमिक उन्मूलन अधिनियम, 1976 एवं मानव दूव्यापार संबंधित कानून प्रावधान एवं विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी ।
इस अवसर पर वक्ता के रूप में विशेषज्ञ सुखविंदर सिंह ने राजस्थान प्रदेश में हुए रेस्क्यू अभियान की जानकारी देते हुए पीड़ित को मिले मुआवजे एवं लाभ की जानकारी दी ।




कार्यशाला में बंधुआ श्रमिक पर बनी लघु फिल्म राईस फैक्ट्री को दिखाया गया जिनके माध्यम से बंधुआ श्रमिक पहचान के विभिन्न सूचक एवं मीडिया रिपोर्टिंग की गोपनीयता की महत्वता को स्पष्ट किया गया ।
कार्यशाला में केस स्टडी, संवाद सत्र और कानूनी प्रक्रियाओं पर खुली चर्चा भी की गई। प्रतिभागियो ंको जानकारी दी गई की पत्र कारिता के माध्यम से समाज में किस प्रकार इन मुद्दो ंपर जागरूकता फैलाई जा सकती हैं ।
कार्यशाला मे ंजिले के लगभग समस्त प्रमुख प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधियों सहित, वर्ष 2016 में रेस्क्यू करवाए बंधुआ श्रमिक एवं गायत्री सेवा संस्थान के प्रतिनिधि उपस्थित रहे ।
कार्यशाला का संचालन आशिता जैन एवं धन्यवाद गायत्री सेवा संस्थान के प्रतिनिधि नितिन पालीवाल ने दिया ।


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