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गुरुदक्षिणा का अनूठा रूपः 99 बैच ने साकार किया नारायण सर का सपना

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11 Jul 25
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गुरुदक्षिणा का अनूठा रूपः 99 बैच ने साकार किया नारायण सर का सपना

उदयपुर। गुरुपूर्णिमा के  अवसर पर, आलोक स्कूल, फतेहपुरा के 1999 बैच के पूर्व छात्रों ने अपने दिवंगत प्राचार्य नारायण लाल शर्मा को एक अनुपम श्रद्धांजलि अर्पित की है। बैच द्वारा धार (उदयपुर) के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में स्थापित किया गया भव्य पुस्तकालय, ज्ञान के प्रति उनके गुरु के समर्पण का जीवंत प्रमाण है।
धार में आयोजित उद्घाटन समारोह में, पंकज शर्मा,  अम्बालाल साहू, नीता परिहार पंवार, चेतन खंडेलवाल, कृष्णकांत अग्रवाल, वरुण मेहता, स्वेतल मादावत, दीपक मेहता, विजय साहू,  और उनके साथियों ने मिलकर विद्यालय को लगभग 1500 उपयोगी पुस्तकें, पठन-पाठन के लिए रैक और एक 43 इंच का स्मार्ट टेलीविजन भेंट किया। साथ ही, पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से विद्यालय परिसर में 150 पौधे भी वितरित किए गए।
इस प्रेरणादायी कार्यक्रम में पूर्व सांसद अर्जुन लाल मीना, प्रमोद समर, शहर  जिलाध्यक्ष गजपाल सिंह राठौड़, आलोक फतेहपुरा के पूर्व प्राचार्य विजय सिंह सांखला और डॉ. हेमंत धाभाई की गरिमामयी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा वृक्षारोपण से हुआ, जिसके बाद स्कूल के बच्चों ने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. सत्यनारायण सुथार , प्रधानाचार्य रा उ मा वि धार स्कूल ने की और इसके अतिरिक्त विद्यालय के समस्त स्टाफ गन छात्र-छात्राएं उपस्थित थी पूरे कार्यक्रम का संचालन रेखा जॉन ने किया है
यह पूर्व छात्रों की एक अनुकरणीय पहल है, जो गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व और सामाजिक जिम्मेदारी का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है। नारायण शर्मा सर के प्रति उनका यह स्नेह और योगदान वास्तव में सराहनीय है।यह पहल वास्तव में नारायण लाल शर्मा सर के प्रति पूर्व छात्रों के गहरे स्नेह, उदारता और सहानुभूति को दर्शाती है, जो समाज के लिए एक प्रेरणादायक संदेश है।
नारायण लाल जी शर्मा सर एक प्रधानाचार्य ही नहीं, बल्कि सभी छात्रों के लिए एक मार्गदर्शक, प्रेरणास्रोत और परिवार के सदस्य की तरह थे। उनका स्कूल के प्रति  समर्पण, स्नेह, दूरदर्शिता, छात्रों के प्रति चिंता आदि हमेशा सभी को प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने  विद्यालय को एक ऐसा स्थान बनाया जहाँ हर विद्यार्थी को आगे बढ़ने और अपनी प्रतिभा को निखारने का अवसर मिला।
स्कूल छोड़ने के कई वर्षो बाद भी हर महीने कॉल करके विद्यार्थियों की कुशलक्षेम पूछने का गुण शायद ही इस युग मे कोई बराबरी कर पायेगा। उनकी मधुर वाणी, प्रेरणादायक शब्द, हमेशा मदद के लिए तत्पर रहना आदि, हमेशा विद्यार्थियों के दिलों में जीवित रहेगी। हम उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग और मूल्यों को कभी नहीं भूलेंगे।


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