
उदयपुर, राष्ट्र निर्माण की नींव महर्षि दयानन्द सरस्वती ने रखी थी। आजादी के बाद जो एकजुट भारत बना वह उसमें उनकी महत्वपूर्ण देन तथा आर्यसमाज का विशेष सहयोग रहा है। ये विचार रविवार को त्रिदिवसीय सत्यार्थप्रकाश समारोह के दूसरे दिन डॉ. सोमदेव शास्त्री ने बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि विकसित राष्ट्र की पहचान के लिए वेद का पढना पढाना, सुनना-सुनाना ही एकमात्र विकल्प है। वेदों की शिक्षा का अनुसरण करके ही भारत पूरे विश्व में पूव की तरह अपनी पहचान कायम रख सकता है। इसके लिए राष्ट्र के प्रति सदैव सजग एवं जागरूक रहने की महत्ती आवश्यकता है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में सीकर के सांसद स्वामी सुमेधानन्द सरस्वती ने राष्ट्र निर्माण में आर्यसमाज के योगदान की विस्तृत चर्चा की और कहा कि हमारी शिक्षा पद्धति में बदलाव को जरूरी है। भारत में बच्चों में उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने व वहां पर ही नौकरी करने की भावना विकसित की जाती है। इस नजरियें में परिवर्तन लाने हेतु आर्य समाज को और अधिक सक्रिय व संगठित होना पडेगा।
सत्यव्रत सामवेदी ने ऐसे सम्मेलन को ऐतिहासिक बताते हुए महर्षि दयानन्द सरस्वती के सिद्धांतों को अपनाने पर बल दिया और कहा कि देश को सांस्कृतिक प्रदूषण व मदिरा से मुक्त करना होगा। विट्ठलराव तथा वेदप्रिय शास्त्री ने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए अपने स्वाभिमान को जागृत करते हुए वर्तमान की विसंगतियों में परिवर्तन लाना होगा। इसके लिए स्वामीजी के विचार हमारे लिए सर्वाधिक प्रासंगिक है। कैलाश कर्मठ एवं अमर सिंह वर्मा के देशभक्ति गातों एवं भजनों ने सबका मन मोहा। संयोजन ओ. पी. वर्मा ने किया।
25 हजार पर्यटकों द्वारा ‘आर्यावर्त्त’ दीर्घा का अवलोकन
सत्यार्थ प्रकाश न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक आर्य एवं उप मंत्री डॉ. अमृतलाल तापडिया ने बताया कि राज्य के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया एवं महापौर चन्द्रसिंह कोठारी समारोह में उपस्थित हो आर्यावर्त्त दीर्घा का अवलोकन करते हुए उसकी सराहना की। उन्हें बताया गया कि गत वर्ष इस दीर्घा का देश विदेश के 25 हजार पर्यटकों ने अवलोकन किया और भारतीय संस्कृति धर्म और उसके आध्यात्मिक स्वरूप की विशद जानकारी प्राप्त की।
इससे पूर्व संध्या-रात्रि को श्रीमती ब्रजलता आर्या स्मृति मल्टी मीडीया सेन्टर का उद्घाटन आर्य प्रतिनिधि सभा गुजरात के प्रधान सुरेश चन्द्र अग्रवाल, संसद सदस्य स्वामी सुमेधानन्द सरस्वती के सान्निध्य में किया गया। इस अवसर पर जनजाति विश्वविद्यालय के कुलपति टी. सी. डामोर एवं दिल्ली के विनय आर्य की महत्वपूर्ण उपस्थित रही। संयोजन अशोक आर्य ने किया।
इसी क्रम में अंधविश्वास निर्मूलन सम्मेलन का आयोजन स्वामी आर्येशानन्द सरस्वती की अध्यक्षता एवं सांसद अर्जुनलाल मीणा की प्रमुखता में हुआ। आचार्य वेद प्रकाश श्रोत्रिय, सुरेश चन्द्र अग्रवाल एवं मोतीलाल आर्य ने बढते अंधविश्वासों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि महर्षि दयानंद के समय से भी कहीं अधिक अंधविश्वास एवं पाखंड का दौर आज देखने को मिल रहा है। इसके लिए मीडिया एवं चैनल को साहसपूर्वक आगे आना होगा। स्वामी आर्येशानन्द ने अंधविश्वासों निराकरण हेतु व्यावहारिक पक्षों की जानकारी दी जबकि अर्जुन मीणा ने गुलाबबाग में स्वामीजी के सत्यार्थ प्रकाश के लेखन को विश्व पटल पर लाने के प्रयासों की अवश्यकता महसूस की। कार्यक्रम के अंत में डी.ए.वी.स्कूल, उदयपुर एवं दयानन्द विद्यालय, फतेहनगर के बालकों ने अंधविश्वास पर चोट करने वाली दो लघुनाटिकाएं प्रस्तुत की। आचार्य वेद प्रकाश श्रोत्रिय के निर्देशन में यज्ञ का आयोजन एवं सत्यपाल सरल की भजन प्रस्तुतियां सराही गई।
समापन समारोह आज ः
मंत्री भवानीदास आर्य ने बताया सत्यार्थ प्रकाश समारोह के अंतिम दिन प्रातः 7 बजे आध्यात्मिक सत्र में यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य हरीप्रसाद तथा भजनोपदेशक अशोक आचार्य होंगे। प्रातः 1॰ बजे सत्यार्थ प्रकाश सम्मेलन एवं समापन समारोह होगा जिसकी अध्यक्षता स्वामी प्रणवानंद करेंगे। न्यायमूर्ति सज्जनसिंह कोठारी मुख्य अतिथि एवं ठाकुर विक्रम सिंह, प्रो. विट्ठल राव तथा अरूण अब्रोल विशिष्ट अतिथि तथा वक्ताओं में आचार्य वेदप्रकाश, सोमदेव अपना वक्तव्य देंगे।