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मिजोरम की राजधानी आइजोल को पहली बार राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ने का कार्य किया है बैरबी-सायरंग रेल परियोजना ने

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06 Sep 25
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मिजोरम की राजधानी आइजोल को पहली बार राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ने का कार्य किया है बैरबी-सायरंग रेल परियोजना ने


श्रीगंगानगर,  भारतीय रेलवे के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है। इसी साल 10 जून को हरतकी से सायरंग तक अंतिम रेल खंड के चालू होने के साथ ही बैरबी-सायरंग नई रेल परियोजना पूर्ण हो गई। इसके साथ ही मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल पहली बार भारतीय रेल नेटवर्क से जुड़ गई।
 विगत एक सितम्बर मंगलवार को इस पूरे प्रोजेक्ट की विजिट के दौरान उत्तर पश्चिम रेलवे की जेडआरयूसीसी के सदस्य रहे भीम शर्मा ने नॉर्थ फ्रंटियर रेलवे के मुख्य जन संपर्क अधिकारी श्री कपिंजल किशोर शर्मा से बातचीत के दौरान इस पूरे प्रोजेक्ट की विस्तृत जानकारी ली। कपिंजल किशोर शर्मा बताते है कि यह महत्वाकांक्षी परियोजना 29 नवम्बर 2014 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गई आधारशिला से आरंभ हुई थी। वर्ष 2016 में बैरबी तक मालगाड़ी पहुँचने के बाद, अब 51.38 किलोमीटर लंबी पूरी लाइन को चालू कर दिया गया है। इस परियोजना की कुल लागत लगभग 8071 करोड़ रुपये रही।
 यह रेल मार्ग कोलासिब और आइज़ोल जिलों से होकर गुजरता है और 100 किलोमीटर प्रति घंटे की गति क्षमता के अनुरूप तैयार किया गया है। इसमें चार प्रमुख स्टेशन-हरतकी, कॉनपुई, मुअलखांग और सायरंग, निर्मित किए गए हैं। मार्ग में 153 पुल (जिनमें 55 बड़े पुल और 10 आरओबी, आरयूबी शामिल) और 45 सुरंगें बनाई गई हैं। इसकी कुल 11.78 किलोमीटर लंबाई पुलों से और 15.885 किलोमीटर लंबाई सुरंगों से होकर गुजरती है। सबसे लंबी सुरंग 1.868 किलोमीटर की है और सभी सुरंगों में आधुनिक बलास्ट रहित पटरियाँ बिछाई गई हैं।
 यह परियोजना सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध बनाने हेतु सुरंगों की दीवारों पर मिज़ोरम की लोक संस्कृति, पहनावे, त्यौहारों और जैव विविधता को दर्शाते भित्तिचित्र बनाए गए हैं।
 यह परियोजना कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और प्रतिकूल मौसम के बावजूद पूरी की गई। अप्रैल से अक्टूबर तक चलने वाले भारी मानसून, बार-बार होने वाले भूस्खलन और निर्माण सामग्री की दूर-दराज़ से आपूर्ति जैसी चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया गया। कठिन पहाड़ी इलाकों और कमजोर चट्टानों के बीच 65 मीटर तक गहरी कटाई करके सुरक्षित ट्रैक बिछाया गया।
 इस परियोजना से मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल सहित पूरे क्षेत्र को अनेक लाभ होंगे। सड़क मार्ग की तुलना में यात्रा समय सात घंटे से घटकर मात्र तीन घंटे हो जाएगा। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों तक पहुँच आसान होगी, माल परिवहन की लागत में कमी से आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आएगी और स्थानीय बाजारों को गति मिलेगी, वन आधारित उत्पादों, हस्तशिल्प और बागवानी के सामान को देश के अन्य हिस्सों तक पहुँचाना सरल होगा, प्रमुख स्टेशनों पर बने गुड्स शेड क्षेत्र में व्यापार और रोज़गार के अवसर बढ़ाएँगे।
 श्री कपिंजल किशोर शर्मा के अनुसार आईआरसीटीसी ने अगस्त 2025 में मिज़ोरम सरकार के साथ पर्यटन संवर्धन हेतु दो वर्षीय समझौता किया है। इसके तहत ‘‘गुवाहाटी से आगे पूर्वोत्तर की खोज’’ विशेष पर्यटक ट्रेन में आइज़ोल सायरंग) को एक प्रमुख गंतव्य बनाया जाएगा। इससे स्थानीय आतिथ्य, गाइडिंग, होटल उद्योग, हस्तशिल्प और वस्त्र व्यवसायों को नई ऊर्जा मिलेगी।
 बैरबी-सायरंग रेल परियोजना केवल एक रेल लाइन नहीं, बल्कि मिज़ोरम के सामाजिक, आर्थिक विकास की नई जीवनरेखा है। यह परियोजना पूर्वोत्तर भारत को मुख्यधारा के साथ और मजबूती से जोड़ते हुए क्षेत्रीय संतुलन और राष्ट्रीय एकीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
 भीम शर्मा बताते है कि आइजोल प्रवास के दौरान देखा गया कि वहां के नागरिक इंतज़ार कर रहे है उस दिन का जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी हरी झंडी दिखाकर इस परियोजना का लोकार्पण करेंगे। आइजोल में ट्रेन आने के बाद निश्चित तौर पर मिजोरम के विकास का नया अध्याय शुरू हो जाएगा।
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श्रीगंगानगर से सीधी रेल सेवा पर चर्चा जेडआरयूसीसी पूर्व सदस्य भीम शर्मा के अनुसार मिजोरम के नवनिर्मित सायरंग रेलवे स्टेशन पर दो पिट लाइन की जानकारी मिलने पर उन्होंने नॉर्थ फ्रंटियर रेलवे के सीपीआरओ के साथ श्रीगंगानगर से सायरंग तक सीधी रेल सेवा पर भी चर्चा की। प्रस्तावित रेल सेवा के जरिए प्रयास रहेगा कि श्रीगंगानगर से उत्तर प्रदेश, बिहार, आसाम के प्रमुख नगर को जोड़ती लंबी दूरी के रेल सेवा शुरू हो जिससे सभी दिशाओं का व्यापार और पर्यटन बढ़ाया जा सके। इसके लिए वो पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री निहालचंद को प्रस्ताव बनाकर देंगे ताकि वो रेलमंत्री श्री अश्विनी वैष्णव के समक्ष इसे रख सके।


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