त्योहारों के मौसम में इसे बचत उत्सव के रूप में मनाएं
स्वदेशी उत्पादों से भारत को आत्मनिर्भर बनाने की अपील
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समय-समय पर देश के नागरिकों को सीधे संबोधित करते हैं। ये संदेश केवल नीतिगत घोषणाएँ नहीं होते बल्कि एक व्यापक दृष्टिकोण के साथ राष्ट्र को दिशा देने वाले होते हैं। नवरात्रि की पूर्व संध्या के विशेष अवसर पर 21 सितम्बर 2025 को प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश दिया। उनका यह संदेश त्योहारों के मौसम की शुभकामनाओं के साथ-साथ देश के किए गए क्रांतिकारी कर सुधारो, स्वदेशी अभियान और आमजन की बचत से जुड़ी घोषणाओं पर केंद्रित था।
प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन ऐसे समय हुआ जब देश में एक ओर त्योहारों की रौनक शुरू हो रही है और दूसरी ओर आम आदमी महँगाई एवं करों के बोझ को लेकर बहुत चिंतित था । ऐसे में मोदी सरकार ने हाल ही में वस्तु और सेवा कर (जीएसटी ) की दरों में बड़े बदलाव की घोषणा की है । प्रधानमंत्री ने इसे बचत उत्सव का नाम दिया है। भारत सरकार ने कर संरचना को सरल और पारदर्शी बनाने, आम नागरिक को राहत देने और छोटे एवं मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जीएसटी की दरों को व्यावहारिक बनाया है । प्रधानमंत्री मोदी के संदेश का मुख्य स्वर था कि केन्द्र सरकार जनता के साथ है। करों में राहत देकर उन्होंने यह संदेश दिया कि देश में किए जा रहें आर्थिक सुधार केवल कॉरपोरेट जगत के लिए नहीं बल्कि आम नागरिक के लिए भी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने देश के नागरिकों के नाम संबोधन की शुरुआत में नवरात्रि और आने वाले त्योहारों के लिए देशवासियों को शुभकामनाएँ और बधाई दीं। उन्होंने कहा कि यह समय हमारी संस्कृति, परंपराओं और आपसी सौहार्द को सुदृढ़ करने का है। भारत की आत्मा उसकी संस्कृति और सामूहिकता में बसती है। मोदी ने अपने संदेश में जीएसटी दरों में की गई व्यापक कटौती को उनकी सरकार का सबसे बड़ा निर्णय बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जो वस्तुएँ पहले जीएसटी के 12 प्रतिशत स्लैब में थीं, उन्हें 5 प्रतिशत स्लैब में डालकर उनकी सरकार ने जनता को सीधा लाभ देने का प्रयास किया है। उन्होंने इसे एक बड़ा बचत उत्सव बताया और कहा कि इसका उद्देश्य आम लोगों की जेब पर बोझ को कम करना और उनकी क्रयशक्ति को बढ़ाना है। मोदी ने बताया कि सरकार ने 12 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स में छूट की घोषणा भी की है। इससे मध्यम वर्ग के लोगों को सबसे अधिक राहत मिलेगी। यह वर्ग देश के विकास का इंजन है और उसे सशक्त बनाना ही उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से आग्रह किया कि वे गर्व से कहें कि मैं स्वदेशी खरीदता हूँ और स्वदेशी ही बेचता हूँ। उनका संदेश स्पष्ट था कि स्थानीय भारतीय उत्पादों को अपनाकर हम न केवल देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करेंगे बल्कि लाखों छोटे कारीगरों, किसानों और उद्योगों को भी सहारा देंगे।
प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार जीएसटी में कटौती से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई), कुटीर उद्योगों और स्व-रोज़गार करने वाले लोगों को सबसे अधिक फायदा होगा। जनता पर कर बोझ कम होगा, देश में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और निर्यात क्षमता में भी वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री ने इसे दोगुना लाभ बताया और कहा कि इससे एक ओर ग्राहकों को सस्ती वस्तुएँ मिलेगी, वहीं दूसरी ओर उद्योगों को अधिक अवसर मिलेंगे। मोदी ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में लगभग 25 करोड़ लोग गरीबी की सीमा रेखा से निकलकर नए मध्य वर्ग में आए हैं। उन्होंने इस वर्ग को देश की नई आकांक्षाओं का प्रतिबिंब बताया और कहा कि सरकार उनके सपनों को पूरा करने में हर संभव मदद करेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि त्योहारों के समय करों में राहत से उपभोक्ता भावना मजबूत होती है। लोग ज्यादा खरीदारी करते हैं, बाजार में मांग बढ़ती है और इससे उद्योग एवं रोज़गार दोनों को बल मिलता है। मोदी ने इसे नए आर्थिक युग का शुभारंभ बताया। स्वदेशी का आह्वान करते हुए मोदी ने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत अभियान का एक नया चरण है। यह केवल मेड इन इंडिया नहीं बल्कि बाय इंडियन और प्राउड ऑफ इंडियन का भाव है। जब कर घटेंगे तो वस्तुओं और सेवाओं के दाम घटेंगे, जिससे महँगाई पर भी नियंत्रण होगा। टैक्स छूट और कम कीमतें मिलकर आम आदमी के हाथ में ज्यादा पैसा छोड़ेंगी। इससे जनता की क्रयशक्ति बढ़ेगी । कम कर और सरल प्रक्रिया से उत्पादन लागत घटेगी और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी तथा छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा। चूंकि जीएसटी एक साझा कर है,इसलिए राज्यों को भी ज्यादा कर संग्रह और आर्थिक गतिविधि से लाभ होगा। माँग बढ़ने पर उद्योगों को उत्पादन बढ़ाना होगा, जिससे रोज़गार के अवसर पैदा होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में यह भी माना कि कर सुधारों का वास्तविक लाभ तभी मिलेगा जब प्रशासनिक प्रक्रियाएँ सरल हों और भ्रष्टाचार पर लगाम लगे। साथ ही राज्यों को भी करों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँचाने के लिए सतर्क रहना होगा। व्यापारियों और उपभोक्ताओं को डिजिटल बिलिंग और पारदर्शी व्यवहार को अपनाना होगा। स्वदेशी अपनाने के साथ-साथ गुणवत्ता और नवाचार पर भी ध्यान देना होगा ताकि भारतीय उत्पाद वैश्विक बाजार में टिक कर बेहतर प्रतिस्पर्धा कर सकें। आर्थिक विश्लेषकों के अनुसार मोदी के इस संदेश में विकसित भारत 2047 के सपने की झलक थी। कर सुधार, बचत उत्सव, स्वदेशी अभियान, एमएसएमई को सशक्त करना आदि ये सब कदम मिलकर देश को 2047 तक आत्मनिर्भर और विकसित बनाने में मदद करेंगे लेकिन यह केवल सरकार का काम नहीं बल्कि प्रत्येक नागरिक की भी जिम्मेदारी है।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में सरल, भावनात्मक और प्रेरक भाषा का प्रयोग किया। उन्होंने आँकड़े भी दिए ताकि जनता को उनकी सरकार के प्रयासों के ठोस लाभ दिखे। आने वाले त्योहारों की शुभकामनाएँ देकर उन्होंने संदेश को बहुत सकारात्मक और सार्थक बनाया तथा आर्थिक घोषणाओं को एक उत्सव के रूप में पेश किया। इससे जनता को यह महसूस हुआ कि यह केवल कोई नीति नहीं बल्कि जीवन को आसान बनाने की पहल है। रविवार 21 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का राष्ट्र के नाम संदेश केवल एक भाषण नहीं बल्कि एक समग्र दृष्टि-पत्र था जिसमें आर्थिक सुधारों के माध्यम से आम आदमी को राहत देने, छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन देने, स्वदेशी अपनाने के आह्वान और 2047 के विकसित भारत के विज़न की झलक आदि सब कुछ बातों का सटीक निचोड़ था।
प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश देशवासियों को यह भरोसा देता है कि सरकार उनकी बचत, रोजगार और आकांक्षाओं को महत्व देती है। साथ ही यह भी याद दिलाता है कि वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में भारत सरकार की आम जन के अनुकूल नीतियाँ तभी सफल होंगी जब नागरिक भारत में बनी स्वदेशी वस्तुओं को अपनाएँ, करों में पारदर्शिता लाएँ और विकास यात्रा में सक्रिय रूप से भागीदार बनें। इस प्रकार मोदी का यह भाषण आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक तीनों स्तरों पर एक महत्वपूर्ण सन्देश है। आने वाले समय में इसका प्रभाव भारतीय बाजार, उद्योग, रोजगार और राष्ट्रीय चेतना पर साफ दिखाई देगा,ऐसा भरोसा है।