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भारत सरकार राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करें

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08 Sep 25
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भारत सरकार राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करें

नीति गोपेन्द्र भट्ट 

नई दिल्ली ।अखिल भारतीय मारवाड़ी महासंघ ने केंद्र सरकार से राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध किया है।

नई  दिल्ली के छतरपुर में संपन्न हुए अखिल भारतीय मारवाड़ी महासंघ के दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन समारोह में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि देश में लगभग 10 करोड़ लोग राजस्थानी भाषा बोलते हैं और राजस्थानी भाषा में लगभग 7 लाख शब्दों का समृद्ध भंडार है जिसे संरक्षित किया जाना आवश्यक है, अन्यथा आने वाले वर्षों में राजस्थानी भाषा भी अन्य कई भाषाओं की तरह विलुप्त हो जाएगी।

 

*आगामी जनगणना राजस्थानी भाषा को मातृभाषा लिखेंगे*

 

राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन कुमार गोयनका ने बताया कि सम्मेलन में पारित प्रस्ताव में आगामी जनगणना में मारवाड़ी राजस्थानी भाषा को अपनी मातृभाषा के रूप में शामिल करने का निर्णय लिया गया है ।अगली जनगणना में मारवाड़ी को एक जाति के रूप में और एक विशेष जाति को उप-जाति के रूप में जोड़ने का निर्णय लिया गया। साथ ही देश के सभी राज्यों में मारवाड़ी समुदाय के परिवारों और सामाजिक समारोहों में दैनिक बोलचाल में मारवाड़ी भाषा का प्रयोग करने का निर्णय लिया गया।

 

*बढ़ते तलाक के मद्दे नजर विवाह परामर्शदाताओं की नियुक्ति की जायेगी*

 

उन्होंने कहा कि समुदाय में बढ़ते तलाक के मामलों को देखते हुए,मारवाड़ी समुदाय में विवाह परामर्शदाताओं की नियुक्ति करने का निर्णय भी लिया गया है ।उन्होंने विवाह की पवित्रता बनाए रखने के लिए दम्पतियों को समुदाय के नेताओं और विवाह परामर्शदाताओं से संपर्क करने की सलाह दी और उन्हें अदालती मुकदमेबाजी से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय मारवाड़ी महासंघ दम्पतियों को साथ रहने और समुदाय में संयुक्त परिवारों की सदियों पुरानी परंपराओं को बनाए रखने के लिए प्रेरित करने हेतु सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रशिक्षित विवाह परामर्शदाताओं और मनोवैज्ञानिकों की सहायता लेगा।

 

*ऐसे किसी समारोह  का बहिष्कार जहाँ शराब परोसी जाती हो , दिन के समय विवाह समारोह को देंगे प्रोत्साहन*

 

राष्ट्रीय अधिवेशन में यह प्रस्ताव भी पारित किया गया है कि मारवाड़ी समुदाय ऐसे किसी भी विवाह या सामाजिक समारोह में शामिल नहीं होगा जहाँ शराब या नशीले पदार्थ परोसे जाते हों।साथ ही मारवाड़ी समुदाय ऐसे किसी भी धार्मिक समारोह, अनुष्ठान या समारोह को बढ़ावा नहीं देगा जहाँ शराब परोसी जाती हो।मारवाड़ी समुदाय को दिन के समय विवाह समारोह आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु एक प्रस्ताव पारित किया गया, क्योंकि रात्रिकालीन विवाहों में सजावट और प्रकाश व्यवस्था आदि पर फिजूलखर्ची होती है, जिससे माता-पिता पर आर्थिक बोझ बढ़ता है।

 

*प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की अपील अनुसार वर्ष 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाने में देंगे योगदान*

 

गोयनका ने बताया कि हमेशा की भाँति मारवाड़ी समुदाय अपने राष्ट्रीय दायित्वों का निर्वहन करते हुए प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की अपील अनुसार वर्ष 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाने में अपना योगदान देने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखेगा। सम्मेलन  में इस सम्बन्ध में भी एक प्रस्ताव पारित किया गया है।


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