कान्हा रूठे तो मनाया यशोदा मैया ने, मानो साक्षात् लीला के दर्शन किए नयनों ने

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19 Aug 25
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कान्हा रूठे तो मनाया यशोदा मैया ने, मानो साक्षात् लीला के दर्शन किए नयनों ने

उदयपुर। प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ पर स्वाधीनता दिवस से शुरू हुआ तीन दिवसीय जन्माष्टमी मेला महोत्सव रविवार को नन्हे-मुन्नों की कान्हा-यशोदा और राधा-कृष्ण प्रतियोगिता के साथ विदा हुआ। सज-धज कर आए बच्चों की मनमोहक मुद्राओं ने हर किसी का मन मोह लिया। कान्हा बने कुछ बच्चे तो वाकई ऐसे रूसे कि यशोदा बन कर आई मैया को उन्हें मनाने में एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ गया। दृश्य ऐसा हो गया मानो भगवान श्रीकृष्ण की बालसुलभ लीलाओं के साक्षात् दर्शन नेत्रों के समक्ष उपस्थित हो गया हो। इन बच्चों को देखकर रह-रह कर यही जयघोष गूंजता रहा, जै कन्हैया लाल की।

जन्माष्टमी मेला-महोत्सव के संयोजक शंभू गमेती ने बताया कि भक्तिधाम परिसर में हुए इस आयोजन में बड़ी संख्या में नन्हे-मुन्ने और उनकी माताओं ने प्रतिभागिता की। 5 वर्ष तक की उम्र के बच्चों के लिए आयोजित कान्हा-यशोदा वेशभूषा प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर अदिति, द्वितीय स्थान पर आदिदेव व तृतीय स्थान पर शिवाय कुमावत और उनकी माताएं रहीं। इसी तरह, 5 से 12 वर्ष तक की राधा-कृष्ण वेशभूषा प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर हर्षा, द्वितीय स्थान पर वेदांक और मानवी सोनी संयुक्त विजेता तथा तृतीय स्थान पर लकी त्रिवेदी रही।
सह संयोजक भूपेश पंचाली ने बताया कि प्रथम चरण की प्रतियोगिता में बीना नाहर, अंकिता भटनागर, शुभ्रा जोशी, कमलेन्द्र सिंह राणावत, मनीष श्रीमाली ने निर्णायक की भूमिका निभाई। वहीं, द्वितीय चरण की प्रतियोगिता में सीमा राठौड़, डॉ. सुदर्शन सिंह राठौड़, डॉ. चेतना आमेटा, डॉ. रामसिंह भाटी निर्णायक की भूमिका में रहे।

प्रताप गौरव केन्द्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने बताया कि रविवार को भी जन्माष्टमी मेले में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। तीन दिवसीय अवकाश के दौरान पर्यटकों की भी रेलमपेल रही। पर्यटकों ने गौरव केन्द्र दर्शन के साथ जन्माष्टमी महोत्सव के अंतर्गत चल रहे भक्तिभावपूर्ण आयोजनों में भी भागीदारी की। मेले में रात तक चहल-पहल बनी रही। इस दौरान तीन दिन तक प्रताप गौरव केन्द्र व वाटर लेजर शो का शुल्क 50 रुपए ही रखा गया था। 


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