उदयपुर,उच्च शिक्षा में मानवीय मूल्य व संस्कारों के ज्ञान व तदनुरूप आचरण के लिए व्यापक स्तर पर कार्यक्रम चलाने जरूरी है। सर्व सुख व सर्व समृद्धि के लिए शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को स्वयं के साथ, परिवार,समाज तथा प्रकृति के साथ कैसे सामंजस्य से रहा जाए, यह जानना व सीखना जरूरी है।
यह जानकारी ए आ सी टी ई की यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज कमिटी के अध्यक्ष एवं बी टी यू के पूर्व कुलपति प्रो एच डी चारण ने विद्या भवन पॉलिटेक्निक में आयोजित व्याख्यान में व्यक्त किए।
प्रो चारण ने बताया कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ,ए आई सी टी ई तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, यू जी से ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की अनुपालना में मानवीय मूल्य एवं संस्कारों को शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा बनाने पर जोर दिया है। शिक्षण संस्थान में प्रवेश के समय दीक्षा आरंभ कार्यक्रम से लेकर मूल्य प्रवाह एवं गुरु दक्षता के लिए गाइडलाइन जारी की गई है। दीक्षा आरम्भ समारोह में मानवीय मूल्य तथा संस्कारों पर प्रशिक्षण के लिए आग्रह किया गया है। ए आई सी टी ई ने उससे संबद्ध सभी तकनीकी शिक्षण संस्थानों , विश्वविद्यालयों से कहा है कि मूल्य प्रवाह 2.0 अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाए। इसे पढ़ने वाले शिक्षकों का गुरु दक्षता के नाम से अनिवार्य ओरिएंटेशन होना चाहिए।
प्रो चारण ने बताया कि अभी तक लगभग 2 लाख शिक्षकों का प्रशिक्षण किया जा चुका है एवं 240 से ज्यादा विश्वविद्यालयों के कोऑर्डिनेटर इस काम को आगे बढ़ाने के लिए जुड़े है। मानवीय मूल्यों पर प्रशिक्षण के लिए देश भर के एक हजार विशेषज्ञ स्वैच्छिक सेवाएं दे रहे हैं।
स्वागत उद्बोधन पॉलिटेक्निक प्राचार्य डॉ अनिल मेहता ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन वी बी आर आई की निदेशिका प्रो कनिका शर्मा ने किया। संचालन जय शर्मा ने किया।