पोरबंदर (गुजरात): बारडा वन्यजीव अभयारण्य में जैव विविधता को मजबूत बनाने के उद्देश्य से गुजरात वन विभाग ने वंतारा के सहयोग से 33 चीतलों (स्पॉटेड डियर) का वैज्ञानिक रूप से पुनर्वास किया। यह चीतल वंतारा के जामनगर स्थित एक्स-सिटू संरक्षण केंद्र से विशेष एम्बुलेंस के माध्यम से स्थानांतरित किए गए और वन विभाग की निगरानी में सुरक्षित क्षेत्र में छोड़े गए।
प्रजाति की पारिस्थितिक अनुकूलता की पुष्टि के बाद यह पुनर्स्थापना की गई। वंतारा ने पूरे अभियान में तकनीकी, पशु चिकित्सा तथा लॉजिस्टिक सहायता प्रदान की, जिससे पुनर्वास प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की जा सकी।
ग्रीन्स जूलॉजिकल, रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर के निदेशक डॉ. बृज किशोर गुप्ता ने कहा, “यह पहल बारडा अभयारण्य की जैव विविधता को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। चीतल इस क्षेत्र के प्राकृतिक निवासी रहे हैं और उनका पुनर्वास न केवल पारिस्थितिक रूप से आवश्यक है बल्कि यह भारत में वन्यजीव प्रबंधन के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण भी स्थापित करता है।”
बारडा अभयारण्य 192.31 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है और तेंदुआ, लकड़बग्घा, नीलगाय व अन्य प्रजातियों का आवास है। यह संयुक्त प्रयास राज्य में भविष्य की संरक्षण पहलों के लिए एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करता है