उदयपुर,सूरजपोल स्थित जैन दादावाड़ी में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने शनिवार को पर्युषण पर्व के अवसर पर राष्ट्र-संत श्री चन्द्रप्रभ जी, राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ जी और मुनि शांतिप्रिय सागर महाराज के सान्निध्य में भव्यातिभव्य महावीर जन्मोत्सव मनाने का आनन्द उठाया। सभी ने महावीर भगवान की जय के जयकारे लगाते हुए उनके मनोहारी झूले को झुलाया। इस अवसर पर माता त्रिशला द्वारा देखे गए 14 स्वप्नों का अवतरण किया गया जिन्हें नाचते-झुमते हुए बधाया गया और सबको दर्शन करवाया गया जिससे श्रद्धालु आत्मविभोर हो गए। इस दौरान संतप्रवर द्वारा महावीर प्रभु की भक्ति पर गाए गए ‘माँ त्रिशला रे प्यारे ने आ सारी दुनिया ध्यावे है, वीर प्रभु रे दर्शन ने आ सारी दुनिया आवे है... जय जयकार जयकार लिया प्रभु अवतार जय जयकार, हमें खुशी है तुम्हें खुशी है खुशियाँ अपरम्पार...जय बोलो महावीर स्वामी की, घट घट के अंतरयामी की... देखे देखे हैं स्वप्न महान माँ त्रिशला देखे’ जैसे भजनों को सुनकर सभी आनंद से भर गए। राष्ट्र-संतों द्वारा महावीर जन्म का ऐसा विराट महोत्सव दादावाड़ी में मनाना सम्पूर्ण उदयपुरवासियों के लिए यादगार बन गया।
चौदह स्वप्नों के दर्शन करवाए-इस अवसर पर माता त्रिशला द्वारा देखे गए चौदह स्वप्न-शेर, हाथी, वृषभ, लक्ष्मी, पुष्पमाला, चन्द्र, सूर्य, ध्वज, कुम्भ, पद्म सरोवर, क्षीरसागर, देवविमान, रत्न राशि और अग्निशिखा को दर्शन करवाने का लाभ क्रमशः वासुपूज्य दादा भक्ति मण्डल, राकेश बजावत, मांगीलाल लूणावत, राजेन्द्र खमेसरा, राजेश बजावत, विमनदास तलरेजा, हर्ष मेहता, वीरेन्द्र बोलिया, श्रीमती पुष्पा चावत, विजय जैन, खरतरगच्छ महिला मण्डल, मुकेश भेरविया, दुर्लभ माया सिरोया, कैलाश दोशी परिवार ने लिया। इस दौरान भगवान का पालना झुलाने का लाभ जिग्नेश शिल्पा नाहर परिवार को मिला। इस दौरान भगवान की प्रसादी वितरित करने का सौभाग्य सायर देवी मांगीलाल लुणावत ने लिया। जब संतप्रवर ने भगवान का जन्म वांचन किया तो श्रद्धालुओं ने अक्षत उछालकर सभी को बधाईयाँ दीं।
महावीर मानवता की सर्वाेच्च पहचान-इस अवसर पर संबोधित करते हुए संत चन्द्रप्रभ जी ने कहा कि भारत की धरती का यह सौभाग्य है कि यहँा पर महावीर जैसे महापुरुषों ने जन्म लिया। महावीर ने व्यसन मुक्त, अहिंसक और स्वस्थ समाज की रचना की। वे भारतीयता, मानवता और नैतिकता की सर्वाेच्च पहचान है। उनका जीवन और संदेश आज भी मानव समाज को प्रकाश की राह दिखा रहे हैं। जातिवाद, हिंसक युद्ध, यज्ञ में बलि, नारी अत्याचारों का विरोध कर महावीर ने उज्जवल भविष्य की नींव रखी। उनके अहिंसा, शांति, सहिष्णुता, संयम, नरमाई और भाईचारा जैसे सिद्धान्तों को अपनाकर हम परिवार-समाज और विश्व में स्वर्ग का निर्माण कर सकते हैं। मंच संचालन अनिल जैन ने किया।
अध्यक्ष राज लोढ़ा ने बताया कि रविवार को सुबह 9.15 बजे सूरजपोल स्थित जैन दादावाड़ी में पर्युषण के छठ्ठे दिन राष्ट्र-संत श्री चन्द्रप्रभ जी ‘वर्धमान से महावीर की यात्रा का रहस्य ’ विषय पर आमजनमानस को संबोधित करेंगे।