उदयपुर। सूरजपोल दादावाड़ी में विराजित साध्वी विरल प्रभा श्रीजी, विपुल प्रभा श्रीजी एवं कृतार्थ प्रभा श्रीजी ने आज “मां “ विषय पर अत्यंत सारगर्भित प्रवचन देते हुए कहा कि मां का ही संतान से जन्म होने से पूर्व संबंध होता है, बाकी सारे रिश्ते नाते सभी जन्म के पश्चात् बनते हैं, मां का किसी भी जीवन में ऋण नहीं चुका सकता है। यदि मनुष्य अपनी स्वयं की चमड़ी की जूती भी बनाकर मां को पहिना दे तब भी वह मां का ऋण नहीं चुका सकता है।
साध्वी श्री विपुल प्रभा श्रीजी ने श्रवण कुमार के माता पिता आदि का उदाहरण देकर बताया। विदुषी साध्वी कृतार्थ प्रभा श्रीजी ने कहा कि मां यदि अपनी संतान को धर्म के लिए समर्पित कर दीक्षित करती है तो उसे भी पुण्य का छठवां भाग माता पिता को प्राप्त होता है एवं स्वयं का भी पुण्यानुबंध होता ही है।
दादाबाड़ी ट्रस्ट के सचिव दलपत दोशी ने बताया कि साध्वी कृतसर्थ प्रभा श्रीजी ने रविवार को ज्ञान वाटिका के बच्चों की क्लास लेकर कई प्रकार के संस्कारों से बच्चों को अवगत कराया और उनकी आजीवन पालना करने का संदेश दिया।