चित्तौडगढ़ : आगामी अफीम नीति में किसानों को राहत पहुंचाने का प्रयास होंने चाहिए तथा किसानों के हितों को प्राथमिकता मिलनी चाहिये इसके साथ ही किसानों के पुराने कटे हुये पट्टे भी बहाल होने चाहिये, उक्त बात चित्तौड़गढ़ सांसद सी.पी.जोशी ने आगामी वर्ष 2022-23 के लिये जारी होने वाली अफीम नीति के विभिन्न सुझावों के लिये केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के दौरान कहीं।
सांसद जोशी ने बैठक के दौरान अपने सुझाव पत्र में कहा कि अफीम किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुये क्षेत्र के किसानों के द्वारा दिये हुये सुझावों का समावेश आगामी अफीम नीति (2022-23) में करने की आवश्यकता हैं।
-अफीम खेती में अनियमितताओं में संबधित अधिकारीयों पर कठोर कार्यवाही की जाये तथा इससे जुड़े सब लोगो की जांच करवाकर उनके खिलाफ भी कार्यवाही की जाये।
-वर्तमान समय में अफीम खेती में लागत की अपेक्षा काफी कम दाम किसानों को मिल रहे अतः अफीम फसल का मूल्य बढ़ाया जाये।
-वर्ष 1998 से अभी तक के सभी प्रकार के पट्टे घटीया मार्फीन से हो या कम औसत से हो या अन्य किसी प्रकार से कटे हों उन्हे बहाल किया जाये।
-अफीम का रकबा यानि क्षेत्रफल को समान रूप से बराबर आवंटित किया जाये।
-दैनिक तौल को बन्द कर दिया जाना चाहिये क्योंकी अफीम निकालते समय अफीम में पानी की मात्रा होती है। समय के साथ ही पानी सुखता रहता हैं एवं अफीम का वजन कम होता जाता है।
-जिन किसानों को अफीम लाईसेंस के लिये पात्र माना गया हैं उन किसानों को विभाग के द्वारा लाईसेंस पात्रता की सूचना लिखित में दि जावें। किसान यदि फसल बोना नही चाहता हैं तो यह किसान से लिखित में लिया जाये।
-अफीम तौल केन्द्र पर ही अफीम जाँच का अंतिम परिणाम प्राप्त हो सके ऐसी प्रक्रिया अपनाई जाये।
-अफीम फसल बुवाई के 45 दिनों के अन्दर गिरदावरी कार्य पूर्ण कर लिया जाये।
-विगत वर्ष में जिन किसानों को लाईसेंस तो मिल गये लेकिन किसी कारणवश फसल बो नही पाये, ऐसे किसान उसी वर्ष फसल बोने की शर्त के कारण वचित रह गये, उन्हे भी इसी वर्ष फसल बाने की अनुमति प्रदान कि जाये।
-1998-2003 तक वालों को पुर्व में सिर्फ 1 किग्रा की छुट दी गयी थी, इनको 5 किग्रा की छुट प्रदान की जाये।
-जिन किसानों की औसत में 5 वर्ष पुरे नही हो रहे हैं उनको प्रतिवर्ष औसत में छुट प्रदान कि जाये।
-अफीम फसल की नपाई, कच्चे तौल, तौल एवं फैक्ट्री जाँच के सिस्टम को पारदर्शी बनाया जाये।
-प्रत्येक किसान के अफीम लाईसेंस को दो भुखण्डो में बोने का नियम जो पिछले साल के अलावा सभी विगत वर्षो से चला आ रहा है,उसे पुनः लाघु करवाया जाये।
-किसान की मृत्यु के उपरान्त नामान्तरण के बाद न्यूनतम क्षेत्र के लाईसेंस की बजाय उसकी उपज(योग्यता) के अनुसार अफीम लाईसेंस जारी करवाया जाये।
-वर्ष 2001 के पश्चात लगातार 3 वर्ष लाईसेंस मिलने पर फसल हंकवाने वाले काश्तकार को पुनः अवसर प्रदान किया जाना चाहिये।
-लाईसेंस मिलने की योग्यता में न्यूनतम मार्फिन को 3.5 किग्रा न्यूनतम औसत को रखा जाये, तथा किसान की उपज दोनो में से जिसमें में भी योग्यता पूर्ण कर रही हो, उसे लाईसेंस के लिये पात्र माना जाये।
-जिन अफीम काश्तकारों की फसल तौल से पुर्व चोरी हो गयी एवं उन्होने प्राथमिकी दर्ज करवायी ऐसे किसानों के प्रकरणों पर सहानुभुतिपुर्वक विचार कर उन्हे भी अफीम खेती का अवसर प्रदान किया जाना चाहिये।
-लाईसेंस प्राप्त किसान को पानी की कमी के कारण अन्य गांव में फसल बोने की छूट पदान करवायी जाये।
-वर्ष 1998-99 में किसानों को नये लाईसेंस प्रदान किये गये लेकीन पानी की कमी के कारण जो किसान अफीम फसल की बुवाई नही कर पाये, विभाग की जानकारी वाले इस प्रकार के किसानों को पुनः लाईसेंस प्रदान करवाये जाये।
-पुर्ववर्ती अफीम पॉलिसी में औसत में छुट देते हुये 103 प्रतिशत के स्थान पर 100 प्रतिशत किया गया। वर्ष 2001-02-03 के काश्तकार इस नीति से वंचित हैं उन्हे भी इसमें सम्मिलित किया जाये तथा इसमें प्रतिशत में कुछ और छुट प्रदान की जाये।
-मृतक किसानों के नामांतरण उनके उत्तराधिकारी जैसे पत्नी, पुत्र, पुत्री, के अलावा मृतक किसान के विधिक/वैध वारिसान जैसे :- दत्तक पुत्र-पुत्री, पौत्र-पौत्री, या किसान द्वारा आवदेन पत्र में दर्शाए गए वारिसान/उत्तराधिकारी के नाम पर नामांतरण करके प्रक्रिया को आसान किया जाकर किसानों को अनावश्यक परेशानी से बचाया जावे।
-अफीम नीति की घोषणा सितम्बर माह के द्वितीय सप्ताह तथा लायसेंस वितरण सितम्बर माह के अंतिम सप्ताह तक अनिवार्यत किया जावे।
-अफीम लायसेंस वितरण प्रक्रिया में नवाचार करते हुए पात्र किसानों को लायसेंस आवेदन प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जावे।
-एन.डी.पी.एस. की धारा 8/29 को समाप्त किया जाये तथा डोडा चूरा को इस धारा से बाहर रखा जाये।
-2016-17 में रोके गये 83 काश्तकारों को लाईसेंस दिलाये जाने के संबध में मंत्रालय के द्वारा जारी आदेश दिनांक 11.12.2017 को विड्रो करते हुये उन 83 काश्तकारों को उनके 50 ग्राम अफीम नमूने की जांच रिपार्ट के आधार पर लाईसेंस जारी कराया जावे।
सांसद जोशी ने वित्तराज्य मंत्री के माध्यम से केन्द्र सरकार का आभार व्यक्त करते हुये बताया की पिछले 2014 से 2022 तक विगत 8 वर्षो के दौरान 20 हजार से लाईसेंस को बढ़ाकर 76 हजार तक पंहुचाने का कार्य किया है।
सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष की पॉलिसी में किसानों को बड़ी राहतें प्रदान की गयी हैं तथा शेष जो पट्टे पहले किसी कारण से कट गये व अभी तक बहाल नही हुये हैं उनको भी बहाल किये जाने की मांग की।
इसके साथ ही पट्टों का निर्धारण प्राचीन पद्धति के आधार पर ही किया जाये तथा वर्तमान में 5400 हैक्टेयर में अफीम की खेती हो रही हैं इसका रकबा भी बढाये जाने का आग्रह किया।
इस बैठक में केन्द्रीय वित्तराज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी के साथ झालावाड़-बांरा सांसद श्री दुष्यन्त सिंह, मन्दसौर-नीमच सांसद श्री सूधीर गुप्ता, शाहजहॉपुर सांसद श्री अरूण कुमार सागर के साथ वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अतिरिक्त सचिव श्री विवेक अग्रवाल, राजस्व विभाग के सयुक्तं सचिव श्री रित्विक रंजन पाण्डेय, नारकोटिक्स कमीश्नर श्री राजेश फत्तेसिंह ढाबरे, नारकोटिक्स कन्ट्रोल डायरेक्टर दिनेश बौद्ध भी उपस्थित रहे।