निम्बाहेड़ा। भागवत ममज्र्ञ एवं श्री कल्लाजी वेद विद्यालय के आचार्य ऋषिकेश शास्त्री ने कहा कि धर्म रक्षति रक्षितः यानि जो धर्म की रक्षा करता है धर्म भी उसी की रक्षा करता है। उन्होनें परिक्षित संवाद के माध्यम से धर्म की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए कहा कि गौमाता को परिवार का सदस्य मानकर मातृवत सेवा करने पर गौमाता भी मन से आशीर्वाद देकर परिवार को आनंदित करती है। इसलिये प्रत्येक व्यक्ति को गौसेवा का संकल्प लेना चाहिए। आचार्य ऋषिकेश शास्त्री श्री कल्लाजी वेदपीठ एवं शोधसंस्थान द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत ज्ञानगंगा महोत्सव के द्वितीय दिवस रविवार को व्यासपीठ से संबोधित कर रहे थे। उन्होनें भगवान के चोबिस अवतारो का वर्णन करने के साथ ही कुंती स्तुति, परीक्षित जन्म, कर्दम तपस्या, कपिल उपाख्यान, दक्ष प्रजापति यज्ञ, ध्रुवसंवाद एवं ध्रुव द्वारा ईश्वर प्राप्ति के प्रसंगो का भावपूर्ण वाचन करते हुए कहा कि श्रीमद भागवत के इन प्रसंगो को आत्मीय भाव से अंगीकार कर ईश्वर की कथा की जा सकती है। उन्होनें कहा कि द्वेशपूर्ण किया गया सत्कर्म भी भगवत प्राप्ति का साधन नहीं बन सकता। उन्होनें दक्ष प्रजापति यज्ञ का उल्लेख करते हुए कहा कि यज्ञ के दौरान उनके द्वेशभाव के कारण ही यज्ञ सफल नहीं हो पाया। उन्होनें कहा कि नित्य निरंतर भगवत चरणों में ही प्रीति रखना जीवन का लक्ष्य बनाना चाहिए। प्रारंभ में वेदपीठ के न्यासियों एवं कल्याण भक्तों द्वारा व्यासपीठ तथा मुख्य आचार्य के रूप में ठाकुर श्री कल्लाजी का विधिवत पूजन किया गया। वहीं कथा विराम पर की गई महाआरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। इस दौरान विभिन्न प्रसंगो पर भजनानंदी स्वर लहरियों से परिसर में भक्तिरस की धारा प्रभावित होती रही।