उदयपुर, भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण, पश्चिमी क्षेत्रीय केंद्र, संस्कृति मंत्रालय (भारत सरकार), उदयपुर द्वारा स्वच्छता 5.0 अभियान के अंतर्गत “वेस्ट टू आर्ट” विषय पर आयोजित दो दिवसीय आंतरिक कार्यशाला का समापन शुक्रवार को किया गया।
यह कार्यशाला डॉ. निलांजन खटुआ, कार्यालय प्रमुख एवं उपनिदेशक के नेतृत्व में तथा आर्ट एंड क्राफ्ट आर्टिस्ट नीलोफर मुनीर के कलात्मक पर्यवेक्षण में सम्पन्न हुई।
कार्यशाला का उद्देश्य अनुपयोगी वस्तुओं के रचनात्मक पुनः उपयोग को बढ़ावा देना और कला के माध्यम से स्वच्छता व पर्यावरण जागरूकता का संदेश देना था।
*रचनात्मकता के रंगों में सजा स्वच्छता का संदेश*
कार्यशाला में वैज्ञानिक और अन्य अनुभागों के सदस्यों ने पुराने समाचार पत्रों से आकर्षक एवं पर्यावरण-अनुकूल फाइल कवर बनाए। इसी प्रकार सदस्यों ने घरेलू अनुपयोगी सामग्री से रंग-बिरंगी पतंग शिल्प (Kite Craft) तैयार की, जो टीम भावना और सतत विकास की उड़ान का प्रतीक बनी।
कार्यालय में दोनों दिन उत्साह, सहभागिता और सृजनशीलता का वातावरण रहा। प्रतिभागियों ने यह सिद्ध किया कि पर्यावरणीय उत्तरदायित्व और रचनात्मकता साथ-साथ चल सकते हैं।
*स्वच्छता केवल आदत नहीं, सुंदर भविष्य की दिशा है :*
समापन समारोह को संबोधित करते हुए उपनिदेशक डॉ. निलांजन खटुआ ने कहा कि जहाँ लोग अनुपयोगी सामग्री देखते हैं, वहीं एक कलाकार संभावना देखता है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता 5.0 अभियान के अंतर्गत “वेस्ट टू आर्ट” जैसी पहल न केवल पुनर्चक्रण (Recycling) को बढ़ावा देती है, बल्कि समाज में स्वच्छ, हरित और सृजनशील जीवनशैली के प्रति जागरूकता भी उत्पन्न करती है।
उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला इस सोच का प्रतीक बनी कि स्वच्छता केवल एक आदत नहीं, बल्कि एक सुंदर भविष्य की दिशा है।