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बदलता राजस्थान: बाल विवाह में आई 66 प्रतिशत की गिरावट

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29 Sep 25
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बदलता राजस्थान: बाल विवाह में आई 66 प्रतिशत की गिरावट

बाल विवाह मुक्त भारत अभियान का सपना होगा साकार,बाल विवाह करवाने पर होगी क़ानूनी कार्यवाही-डॉ.पंड्या 

उदयपुर  | राजस्थान में पिछले तीन वर्षों में लड़कियों के बाल विवाह की दर में 66% और लड़कों के बाल विवाह की दर में 67% की गिरावट आई है। ‘टिपिंग प्वॉइंट टू जीरो: एविडेंस टूवार्ड्स ए चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया’ नाम की ये रिपोर्ट जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन (जेआरसी) ने जारी की है। रिपोर्ट बताती है कि बाल विवाह के मुख्य कारणों में गरीबी (91%) और सांस्कृतिक व पारंपरिक मान्यताएं (45%) हैं। उदयपुर जिले  में बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए काम कर रहे जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के सहयोगी संगठन गायत्री सेवा संस्थान  ने पिछले तीन वर्षों में जिला प्रशासन, पंचायतों और सामुदायिक सदस्यों के साथ बेहद करीबी समन्वय से काम करते हुए जिले में 400 से अधिक बाल विवाह रुकवाए हैं। संस्थान द्वारा बाल विवाह की रोकथाम हेतु समय समय पर विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाता रहा हैं | बाल विवाह की सूचना सही समय पर मिले इस हेतु संस्थान द्वारा अक्षय तृतीय के अवसर पर एक हेल्पलाइन संचालित की जाती है एवं सूचना देने वालो को प्रोत्साहन राशी की भी घोषणा की जाती है ताकि पुख्ता एवं समय पर जानकारी मिल पाए ताकि किस बच्चे का जीवन बाल विवाह कि आहुति चढने से बच पाए | 
यह रिपोर्ट जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन के सहयोगी संगठन इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की पहल पर सेंटर फॉर लीगल एक्शन एंड बिहैवियरल चेंज फॉर चिल्ड्रेन (सी-लैब) ने तैयार की है। बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए 250 से भी अधिक नागरिक समाज संगठनों के देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन के राजस्थान में 17 सहयोगी संगठन राज्य के 38 जिलों में काम कर रहे हैं। इस सर्वे में राजस्थान के 150 गांवों के आंकड़े जुटाने के लिए सबसे पहले आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, स्कूल शिक्षकों, सहायक नर्सों, दाइयों और पंचायत सदस्यों जैसे अग्रिम पंक्ति के लोगों से संपर्क कर उन्हें इस शोध और सर्वे से जोड़ा गया। 
इस रिपोर्ट के नतीजों से उत्साहित गायत्री सेवा संस्थान के निदेशक एवं पूर्व सदस्य राजस्थान बाल आयोग डॉ.शैलेन्द्र पंड्या ने कहा, “राजस्थान के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है। हमें बाल विवाह की रोकथाम के मोर्चे पर अभूतपूर्व और अप्रत्याशित नतीजे मिले हैं। अब हमें बदलाव की इस रफ्तार को कायम रखने के लिए जिला प्रशासन, कानून लागू करने वाली एजेंसियों और ग्रामीण समुदाय के साथ मिलकर और कड़ी मेहनत की जरूरत है। यह रिपोर्ट हमारा हौसला बढ़ाने वाली है और इसके निष्कर्षों से साबित होता है कि बाल विवाह के खात्मे के लिए हमारा माडल काफी प्रभावी साबित हुआ है।” 
यह भी बताया की संस्थान द्वारा बाल विवाह के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए जिले की पहली निषेधाज्ञा भी संस्थान एवं जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन के संयुक्त प्रयासों से संभव हो पाई है एवं हमारे प्रयास इस प्रकार होने चाहिए की समाज में कोई भी अभिभावक अपने बच्चो के बाल विवाह के बारे में सोचे ही नहीं | 
रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में 99% लोगों ने जागरूकता अभियानों को बाल विवाह रोकने का सबसे असरदार तरीका माना। वहीं, 82% लोगों का कहना था कि एफआईआर और गिरफ्तारियां इस समस्या से निपटने के लिए दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कदम है। जब लोगों से पूछा गया कि क्या उन्हें भारत सरकार के ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के बारे में पता है, तो 99% ने ‘हां’ में जवाब दिया और सभी ने कहा कि उन्होंने बाल विवाह के खिलाफ शपथ में हिस्सा लिया है। इसके साथ ही, 75% लोगों ने नागरिक समाज संगठनों को इस राष्ट्रीय अभियान का स्तंभ बताया।
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन के राष्ट्रीय संयोजक रवि कांत ने राजस्थान सरकार की पहलों, न्यायपालिका के रुख और हर स्तर पर सभी पक्षों के आपसी तालमेल की सराहना करते हुए कहा, “बाल विवाह के खिलाफ राजस्थान का मजबूत और नवाचार से भरा रुख बेहद असरदार साबित हुआ है। पंचायतों और सरपंचों को जवाबदेह बनाने, शादियों का अनिवार्य पंजीकरण सुनिश्चित करने और अक्षय तृतीया जैसे संवेदनशील अवसरों पर सख्ती से कार्रवाई जैसे कदमों ने साफ संदेश दिया है। राजस्थान की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां सरकारी योजनाएं, कानून व्यवस्था, न्यायपालिका और नागरिक समाज संगठन, सभी मिलकर जमीनी स्तर पर एक साथ काम कर रहे हैं। यही एकजुट प्रयास असली बदलाव ला रहे हैं और इसी से 2030 से पहले राजस्थान को बाल विवाह मुक्त बनाने का रास्ता तैयार हो रहा है।”
रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशों में कहा गया है कि बाल विवाह को 2030 तक पूरी तरह खत्म करने के लिए कानून पर सख्ती से अमल, बेहतर रिपोर्टिंग व्यवस्था, विवाह का अनिवार्य पंजीकरण और बाल विवाह मुक्त भारत पोर्टल के बारे में गांव-गांव तक लोगों में जागरूकता का प्रसार जरूरी है। साथ ही रिपोर्ट ने यह सुझाव दिया है कि बाल विवाह के खिलाफ देशभर में लोगों को जोड़ने और जागरूक करने के लिए एक राष्ट्रीय बाल विवाह विरोधी दिवस घोषित किया जाए।
 


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