अपनी अज्ञानता में हम भूलों को सुधारने के बजाय बढ़ा रहेःविरलप्रभाश्री

( Read 2606 Times)

18 Aug 25
Share |
Print This Page


उदयपुर। सूरजपोल स्थित दादाबाड़ी में साध्वी विरलप्रभा श्रीजी ने कहा कि मानव भव अपनी भूलों को सुधारने के लिए मिला है। अपनी अज्ञानता में हम भूलों को सुधारने के बजाय बढ़ा रहे हैं। प्रज्ञावान हैं हम समझदार होते हुए भी नासमझ हैं। अगर धर्म आराधना नही कर पाता तो इंसान और पशु में कोइ फर्क नहीं है। आगे चलकर लड़ाई झगड़ा कभी नहीं करना। पर्युषण यह बताता है कि साल भर किये गए कषायों से मुक्ति पाना है। कर्म बंधन के कहीं 5 तो कहीं 6 कारक बताए गए हैं। जब तक धर्म से लगाव नाही होगा, आत्मा का परिचय नही होगा तब तक मनुष्य अज्ञान ही रहेगा। अब भी धर्म नाही किया मतलब अनंत काल से मिथ्यात्व में ही भटक रहे हैं। इच्छा हुई कि सामायिक करनी है लेकिन नहीं कर पाए।
सभी जीवों पर कल्याण करके परमात्मा कहते हैं कि अपना भव सुधार लो। देवता तटस्थ हैं। संवत्सरी के लिए ज्ञानी भगवंत कहते हैं कि एक दिन त्याग करके उपासरे में रहना चाहिए और धर्माराधना करनी चाहिए। आराधना आराध्य का साधन है। शरीर को सब स्वस्थ रखने चाहते हैं आत्मा की ओर कोई देखना नाही चाहता। पशु को कुछ दो तो वह खाने योग्य और अखाद्य को छोड़ देता है। हम पशुवत हो गए हैं। जो अखाद्य है, वह भी खा रहे हैं। साधु कितना भी दुखी हो लेकिन वह धर्म नही छोड़ता। हमारा सबसे पहले धर्म छूटता है। शादी है घर में तो सामायिक नहीं की जबकि काम धर्म ही आता है। सबसे मिलने के लिए समय है लेकिन अगर सन्डे आ गया तो छुट्टी कर ली कि आज टाइम नही है।
सह संयोजक दलपत दोशी ने बताया कि पर्वाधिराज पर्युषण की तैयारियां जोर शोर से चल रही है। श्रावक-श्राविकाएं उपासरे में नियमित रूप से व्याख्यान सुनकर धर्म लाभ ले रहे हैं।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like