सूरजपोल दादावाड़ी उदयपुर में प. पू. साध्वीश्री विरल प्रभा श्रीजी, विपुल प्रभाश्री एवं साध्वीश्री कृतार्थ प्रभाश्री मा.सा की पावन निश्रा में आयोजित कार्यक्रम में साघ्वीश्री कृतार्थ प्रभा श्रीजी मा.सा ने विदेशी वस्तुओं के आकर्षण के बारे बताते हुए कहा कि हमें अपने देश की वस्तुओं को ही अपनाना चाहिए जिसमें भारतीयों का पसीना बहा हो। वस्त्रों और खानपान की समृद्ध भारतीय विरासत को नहीं छोड़ना चाहिए और बाहरी अनजानी वस्तुओं तथा फल आदि खाने से बचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मंदिर, उपाश्रय ,भोजन शाला में कभी भी अभद्र वस्त्रों को पहन कर नहीं जाना चाहिए इसके लिए बाहर ही बोर्ड लगाना चाहिए। यहां अलग अलग जप तप निर्बाध गति से चल रहे हैं उन सभी तपस्वियों के लिए बुलंद स्वर में अनुमोदना की।
खतरगच्छ महिला परिषद की बहिनों एवं सभी श्राविकाओं द्वारा तपस्वियों के अभिनंदन स्वरूप आज चौबीसी गीत गान किया गया।
इस अवसर पर साध्वी विरल प्रभा श्रीजी ने कहा कि पापों की सीमा किस तरह से करनी है। हर घड़ी, हर क्षण, हर पल पापों का बंध हो रहा है। परलोक का बीमा करना है तो दूरदर्शी बनना पड़ेगा। प्यास लगी और पानी पी लिया तो वह दुख सुख में बदल गया। दूरदर्शी हो सामान्य क्रियाएं करते हों लेकिन जीवन के बारे में सोचो। संसार के इस जीवन के लिए बहुत सारी पॉलिसी बदल लिए। हेल्थ पॉलिसी ले ली शरीर के लिए। दुकान के लिए पॉलिसी ले ली। गाड़ी की पॉलिसी ले ली। पत्नी, बच्चों के लिए पॉलिसी ले ली। इस जीवन के लिए सब पॉलिसियां ले ली, परलोक के लिए कोई पॉलिसी ली? परलोक की चिंता नही की। मोक्ष नहीं परलोक की बार कर रही हूँ। परलोक की चिंता नहीं की।
ट्रस्ट सह संयोजक दलपत दोशी ने बताया कि रविवार 17 अगस्त को गिरी वधमाणा और शत्रुंजय के 16 उद्धार का भव्य महोत्सव होगा। पर्वाधिराज पर्युषण के कार्यक्रम बुधवार 20 अगस्त से आरंभ होंगे। तैयारियां पूर्ण हो चुकी है। श्रावक-श्राविकाओं में पर्वाधिराज के लिए काफी उत्साह है। सभी लाभार्थी पूजा के वस्त्रों में समय पर पधारकर शोभा में अभिवृद्धि करावें। खतरगच्छ युवा परिषद,खतरगच्छ महिला परिषद एवम् धर्मानुरागी भाई बहिनों के साथ ट्रस्ट मंडल के (वडील)वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।