उदयपुर। ब्रह्मपुरी स्थित सहस्त्र औदीच्य समाज धर्मशाला में भागवत सत्संग परिवार के तत्वावधान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन पंडित राकेश मिश्रा ने मंगलाचरण की महिमा का अत्यंत भावपूर्ण और सारगर्भित वर्णन करते हुए श्रद्धालुओं को अध्यात्म के सच्चे मर्म से अवगत कराया।
उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत समस्त शास्त्रों का सार है, जो व्यक्ति कथा के भाव को समझता है, वही इसकी ओर आकर्षित होता है। यह केवल कहानी नहीं, आत्मा के परमात्मा से मिलन की प्रक्रिया है। प्राणी मात्र के जीवन का अंतिम लक्ष्य कृष्ण की प्राप्ति होना चाहिए। बिना सत्संग के न तो विवेक जागृत होता है और न ही मोक्ष का मार्ग स्पष्ट होता है।
कथा के श्रवण के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं की आंखें कई बार छलक उठीं, जब पं. मिश्रा ने सरल भाषा में भक्ति की गहराई और मंगलाचरण के महत्व को स्वर और भाव के माध्यम से श्रोताओं के अंतर्मन तक पहुंचाया।
कथा संयोजक सुनील व्यास ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य समाज में आध्यात्मिक चेतना का विस्तार करना है। इस अवसर पर सगसजी बावजी के पुजारी प्रकाश दशोरा, समाजसेवी त्रिभुवन वल्लभ दवे, युगल किशोर मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता रामकृपा शर्मा, दिनेश दवे, रमाकांत त्रिवेदी, सुधीर व्यास, योगेंद्र रावल, पुष्कर लाल दवे, जिनेंद्र शास्त्री और कीर्ति प्रकाश व्यास सहित अनेक श्रद्धालुजन उपस्थित रहे और उन्होंने पं. राकेश मिश्रा महाराज का पुष्पमालाओं से स्वागत किया।
भागवत कथा प्रतिदिन दोपहर 31 मई तक चलने वाली यह कथा सहस्र औदीच्य धर्मशाला में नियमित रूप से शाम 4 से 7 बजे तक होगी।