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मैं शब्द गुरु अर्थ, गुरु बिना जीवन व्यर्थ-साध्वी संयमलता

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05 Aug 24
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मैं शब्द गुरु अर्थ, गुरु बिना जीवन व्यर्थ-साध्वी संयमलता


सेक्टर 4 में गुरु आनंद केवल जन्मोत्सव पर 1500 सजोड़े से अधिक एवं अनेक श्रावक श्राविकाओं ने मिलकर किया सव्वा लाख से भी अधिक बार मन्त्र उच्चारण
उदयपुर। श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी डॉ श्री संयमलताजी म. सा.,डॉ श्री अमितप्रज्ञाजी म. सा.,श्री कमलप्रज्ञाजी म. सा.,श्री सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में यह ऐतिहासिक चातुर्मास दिन प्रतिदिन एक नया अध्याय जोड़ रहा है। आचार्य आनंद ऋषि म. सा. एवं उपाध्याय केवल मुनि जी  म. सा. की जन्म जयंती सजोड़े भगवान पार्श्वनाथ अनुष्ठान के रूप में भव्य रुप से संपन्न हुई।
अनुष्ठान पश्चात गुणानुवाद सभा का आयोजन किया गया धर्म सभा को संबोधित करते हुए साध्वी डॉ संयमलता ने कहा कि गुरुदेव द्वय का संपूर्ण जीवन श्रमण संघ की एकता के लिए वरदान रहा। वे एक वट वृक्ष के समान थे जिसकी छाया तले लाखों दुखी प्राणियों को शांति मिलती थी। श्रमण संघ के एक प्रभावी, ओजस्वी, तेजस्वी, मनस्वी साधक थे जिनका जीवन एक विद्वता, अदम्य साहस, उत्तम कर्तव्यनिष्ठा, अद्वितीय त्याग, निस्सिम कर्मठता, स्नेह, मनभावन मूरत और संगठन के निर्मल भावना को देखकर प्रत्येक व्यक्ति मंत्रमुग्ध हुआ करता था।
साध्वी ने आगे कहा गुरु के दर पर कोई मनमानी नहीं होती यह बात भी पक्की है कोई परेशानी नहीं होती। मैं शब्द तुम अर्थ तुम बिन सब व्यर्थ है। रिश्ता गहरा हो ना हो भरोसा गहरा होना चाहिए।
साध्वी अमितप्रज्ञा साध्वी कमलप्रज्ञा साध्वी सौरभप्रज्ञा ने सामूहिक रूप से पार्श्व स्तुति का गान किया।  अभिमंत्रित रजत यंत्र, केसर प्रभावना एवं गौतम प्रसादी के लाभार्थी परिवार बेंगलुरु निवासी अखिल भारतीय दिवाकर संगठन समिति के पूर्व अध्यक्ष श्री पन्नालालजी भरतकुमारजी कोठारी परिवार रहे।चातुर्मास संयोजक ललित लोढ़ा ने बताया की इस कार्यक्रम को सफल बनाने में चातुर्मास समिति, श्री संघ, युवा मण्डल, महिला मण्डल, बहु मण्डल सभी का अपूर्व योगदान रहा।


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