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महाराणा सज्जन सिंह कालीन (१८७४-१८८४) प्रशासनिक कार्य

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09 Jul 20
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महाराणा सज्जन सिंह कालीन (१८७४-१८८४)  प्रशासनिक कार्य

उदयपुर ।  महाराणा सज्जन सिंह जी के जन्मोत्सव पर १० दिनों तक इटर्नल मेवाड पोस्ट पर अलग-अलग ऐतिहासिक जानकारियां प्रदान की जा रही है। इसी क्रम के चलते प्रथम पोस्ट में महाराणा सज्जन सिंह जी के शासनकाल के दौरान किये गये प्रशासनिक कार्यों की ऐतिहासिक पोस्ट प्रस्तुत की गई।

महाराणा सज्जन सिंह जी १५ वर्ष की आयु में ८ अक्टूबर १८७४ को गद्दीनशीनी सम्पन्न हुई। आरम्भ के तीन वर्षों में महाराणा ने रीजेंसी काउंसिल के साथ काम किया। महाराणा कई प्रशासनिक कार्यों से संतुष्ट नहीं होने पर मात्र १८ वर्ष की आयु में उन्होंने राज्य के शासन-सुधार के कार्यों को अपने हाथों में लिया। महाराणा ने १० मार्च १८७७ को न्यायिक कार्य व्यवस्था में सुधार करते हुए ’इजलास खास‘ की एक कौंसिल का निर्माण किया। दिवानी, फौजदारी तथा अपील महकमों के आखिरी फैसले ’इजलास खास‘ द्वारा किये जाने लगे।

स्थानीय स्तर एवं ब्रिटिश रीजेंसी के कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते पहाडी इलाकों में कई अव्यवस्थाएं पनप गई, इन अव्यवस्थाओं पर ध्यान देते हुए महाराणा ने वहां हाकीम नियुक्त कर ’शैलकान्तार-संबंधिनी सभा‘ नाम से एक नया विभाग स्थापित किया। इस सभा का नियंत्रण स्वयं महाराणा ने अपने हाथों में ही रखा। यहीं नहीं महाराणा ने राज्य के सभी परगनों के लिए बजट प्रणाली को आरम्भ किया। महाराणा ने स्थानीय अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए मेवाड पुलिस का पुनर्गठन किया। महाराणा ने सेटलमेंट के बंदोबस्त का महत्वपूर्ण कार्य आरम्भ करवाया। भूमि सुधार एवं राजस्व संबंधी कार्यां में सुधार के लिए महाराणा ने १८७९ में मिस्टर विंगेट को नियुक्त किया गया।

२० अगस्त १८८० को इजलास खास के स्थान पर महद्राज सभा की स्थापना की गई। इस सभा की स्थापना का उद्देश्य प्रजा को पक्षपातरहित न्याय तथा प्रजा के जानमाल की रक्षा का यथोचित प्रबंध था। इस सभा के दो विभाग बनाये गये पहला ’इजलास कामिल‘ व दूसरा ’इजलास मामूली‘। इजलास कामिल का सभापतित्व महाराणा स्वयं करते थे, जिसमें कम से कम १० सदस्य होते थ। मोहन लाल पंड्या को महद्राज सभा के प्रथम सेकट्री बनाये गये थे।

राज्य के सुप्रबंध के लिए नया कानून तैयार किया गया जिसके अनुसार राज्य का सारा कारोबार दो विभागों ’महकमा खास‘ और ’महद्राज सभा‘ में बांटा गया। माल, सेना, पुलिस, खजाना, चुंगी, हिसाब, टकसाल, प्रेस, जंगल, शैलसभा, महकमा इंजीनियरिंग, बख्शी का दफ्तर, रावली दुकान तथा पर राज्य विभाग (अंग्रेजी सरकार व देशी राज्य संबंधी) का कार्य महकमा खास के सुपुर्द किया गया और सदर फौजदारी, सदर दीवानी, रजिस्ट्री, स्टाम्प, जेल और हाकिमों के अधीन दीवानी फौजदारी के काम महद्राज सभा के अंतर्गत रखे गये। इन कार्यो में कुछ विषयों के लिए महाराणा के अनुमोदन की आवश्यकता भी निर्धारित की गई थी।


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