श्रद्धेय श्री अशोक माथुर का आकस्मिक निधन हो गया। वे एसआईईआरटी, आरपीसी डिवीजन तथा बाद में आरपीएससी अजमेर में उपनिदेशक के पद पर कार्यरत रहे थे। उनके निधन से साहित्य, शिक्षा और प्रशासनिक सेवा क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है।
उनका अंतिम संस्कार आज प्रातः 11:30 बजे अशोक नगर मोक्षधाम, उदयपुर में संपन्न होगा। अंतिम यात्रा 404, दया अपार्टमेंट, चौथी मंजिल, अभय बाग के पास, सरदारपुरा, उदयपुर स्थित निवास स्थान से प्रारंभ होगी।
श्री माथुर ने अंग्रेजी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे एक दशक से अधिक समय तक रॉयल हार्बिंजर टीम के साथ जुड़े रहे और अपनी गहन साहित्यिक समझ और विश्लेषणात्मक लेखों से पाठकों को समृद्ध करते रहे। उनके लेखन ने परंपरा और आधुनिकता के बीच सेतु का कार्य किया।
सेवानिवृत्ति से पूर्व वे एसआईईआरटी, तथा तत्पश्चात राजस्थान लोक सेवा आयोग, अजमेर में अपनी सेवाएं देकर शिक्षा नीति और सुधारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके थे। उनके कार्यकाल को उनके विशिष्ट ज्ञान, कुशल प्रशासन और प्रतिबद्धता के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
श्री अशोक माथुर अपने पीछे शोकसंतप्त परिवार छोड़ गए हैं:
डॉ. ऋचा माथुर (पुत्री), राहुल माथुर (जमाई), पवित्रा माथुर (पुत्री), राजू माथुर (जमाई), असीम माथुर (पुत्र), डॉ. गरिमा माथुर (पुत्रवधू), तन्वी, ईशा, हर्षभ, गार्गी (नातिनें) और ध्रुव (पोता)।
विरेंद्र श्रीवास्तव और रॉयल हार्बिंजर टीम की ओर से विशेष श्रद्धांजलि:
"श्री अशोक माथुर केवल एक लेखक नहीं, बल्कि हमारे मार्गदर्शक, प्रेरणास्रोत और एक आदर्श व्यक्तित्व थे। उनका जाना हमारे लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका साहित्यिक योगदान सदैव नई पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। हम उनके चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं और उनके मोक्ष की प्रार्थना करते हैं।"
साहित्य और शिक्षा जगत में उनके योगदान को युगों तक स्मरण किया जाएगा। परमात्मा उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।