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भगवान वाल्मीकि जयंती पर गूंजा समरसता, सेवा और राष्ट्रधर्म का संदेश*

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06 Oct 25
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भगवान वाल्मीकि जयंती पर गूंजा समरसता, सेवा और राष्ट्रधर्म का संदेश*

श्रीगंगानगर,विश्व हिन्दू परिषद श्रीगंगानगर के तत्वावधान में **भगवान वाल्मीकि जयंती महोत्सव** अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। यह भव्य आयोजन **श्री सनातन धर्म महावीर दल मंदिर** में हुआ, जहाँ समाज के सभी वर्गों से श्रद्धालु, संत-महात्मा, समाजसेवी और युवा सम्मिलित हुए।

 

कार्यक्रम का शुभारंभ **भगवान वाल्मीकि जी के मूल मंत्रोच्चार** से हुआ। मंच पर विराजमान संतों ने भगवान वाल्मीकि के चित्र पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का मंगलारंभ किया। पूरे परिसर में “जय श्री वाल्मीकि” और “भारत माता की जय” के उद्घोष गूंज उठे। वातावरण में भक्ति, एकता और प्रेरणा का अद्भुत संगम देखने को मिला।

 

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### **स्वामी कर्मनाथ जी महाराज का उद्बोधन**

 

कार्यक्रम के पावन सान्निध्य में पधारे **स्वामी कर्मनाथ जी महाराज** (संस्थापक, तप स्थान गुरु ज्ञाननाथ जी महाराज वैलफेयर ट्रस्ट, भारत) ने कहा कि —

 

> “भगवान वाल्मीकि जी केवल कवि नहीं, बल्कि धर्म और मर्यादा के साक्षात् आचार्य थे। उन्होंने रामायण के माध्यम से त्याग, सेवा, मर्यादा और कर्तव्य का ऐसा संदेश दिया, जो युगों-युगों तक मानवता का मार्गदर्शन करता रहेगा। जो व्यक्ति भगवान वाल्मीकि के जीवन से प्रेरणा लेकर धर्म और समाज के कल्याण हेतु कार्य करता है, वही सच्चे अर्थों में उनके शिष्य कहलाता है।”

 

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### **देवज्ञ मुकुंद जी त्रिपाठी का प्रेरणादायक संबोधन**

 

**देवज्ञ मुकुंद जी त्रिपाठी (प्राचार्य, श्री धर्मसिंह संस्कृत महाविद्यालय)** ने अपने उद्बोधन में कहा कि —

 

> “भगवान वाल्मीकि जी ने रामायण के माध्यम से यह सिखाया कि चरित्र ही जीवन की आत्मा है। जब व्यक्ति अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान रहता है, तभी वह समाज के लिए प्रेरणा बनता है। वाल्मीकि जी ने मानवता को यह समझाया कि हर व्यक्ति अपने कर्म और त्याग से ब्राह्मणत्व को प्राप्त कर सकता है।”

 

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### **वाल्मीकि समाज की मांग — “राजकीय अवकाश घोषित हो”**

 

कार्यक्रम में उपस्थित **श्री विजय द्रविड़ (वाल्मीकि समाज)** ने राज्य सरकार से मांग की कि भगवान वाल्मीकि जी की जयंती को *राजकीय अवकाश* घोषित किया जाए, ताकि समाज के सभी वर्ग इस पावन दिन को भक्ति, एकता और सेवा के भाव से मना सकें। उन्होंने कहा कि —

 

> “महर्षि वाल्मीकि जी का योगदान केवल एक समाज या वर्ग तक सीमित नहीं, बल्कि उन्होंने पूरी मानवता के लिए धर्म और नैतिकता की नींव रखी है। उनके आदर्शों पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि है।”

 

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### **मुख्य वक्ता श्रीमान राजेश पटेल का उद्बोधन — "भगवान वाल्मीकि भारत की आत्मा हैं"**

 

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता **श्रीमान राजेश जी पटेल (प्रांत संगठन मंत्री, विश्व हिन्दू परिषद, जोधपुर प्रांत)** ने अपने विस्तृत उद्बोधन में कहा कि —

 

> “भगवान वाल्मीकि जी केवल किसी समाज के नहीं, बल्कि संपूर्ण भारतवर्ष के हैं। उन्होंने अपने लेखन में भगवान राम जैसे आदर्श चरित्र का सृजन किया, जो आज भी भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं। राम के बिना भारत की कल्पना अधूरी है, और वाल्मीकि जी के बिना रामायण संभव नहीं।”

 

उन्होंने आगे कहा —

 

> “हजारों वर्षों से विदेशी आक्रमणकारियों ने हमारी संस्कृति को मिटाने का प्रयास किया, परंतु हमारे महर्षियों और उनके ग्रंथों को कोई नष्ट नहीं कर सका। हमारे शास्त्रों में कहीं भी जातियों की ऊँच-नीच की व्यवस्था नहीं है। यह विभाजन बाहरी षड्यंत्र का परिणाम है। विश्व हिन्दू परिषद स्पष्ट रूप से कहता है कि ‘अस्पृश्यता से बड़ा कोई अपराध नहीं’। भगवान वाल्मीकि के जीवन में वह शक्ति है जो समाज को एक सूत्र में पिरो सकती है।”

 

उन्होंने कहा कि —

 

> “अब समय आ गया है कि हिंदू समाज जातीय भेदभाव को समाप्त कर एक संगठित शक्ति के रूप में खड़ा हो। वाल्मीकि समाज के हर व्यक्ति में धर्म, सेवा और समर्पण का भाव है। हमें मन में यह संकल्प धारण करना होगा कि हम सभी जाति-भेद मिटाकर एक हिंदू के रूप में राष्ट्र सेवा में जीवन अर्पित करेंगे।”

 

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मुख्य अतिथि **श्रीमान विजय जी वाल्मीकि (जिलाध्यक्ष, वाल्मीकि समाज)** ने कहा कि —

 

> “भगवान वाल्मीकि का जीवन तप, साधना और समाज सुधार का प्रतीक है। हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलकर समाज में शिक्षा, समरसता और आत्मनिर्भरता का संदेश फैलाना होगा।”

 

 

कार्यक्रम का संचालन **संदीप गोयल** ने किया। **विजय आहूजा** और **अरविंद स्वामी** ने कार्यक्रम संयोजक के रूप में पूरे आयोजन की व्यवस्थाएँ संभालीं।

अंत में **स्वामी कर्मनाथ जी महाराज** ने राष्ट्र कल्याण और समाज एकता के लिए सामूहिक प्रार्थना कर सभी को धर्म और संस्कृति की रक्षा का संकल्प दिलाया।


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