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ग्राम पंचायत हरदयालपुरा में दो दिवसीय आईपीएम कार्यक्रम का आयोजन

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01 Aug 25
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ग्राम पंचायत हरदयालपुरा में दो दिवसीय आईपीएम कार्यक्रम का आयोजन

श्रीगंगानगर। भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के टिड्डी-सह-एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र श्रीगंगानगर द्वारा ग्राम पंचायत हरदयालपुरा में दो दिवसीय आईपीएम ऑरिएण्टेशन कार्यक्रम का शुभारंभ गुरूवार को किया गया, जिसमें किसानों ने उत्साह के साथ भाग लिया। कार्यक्रम शुक्रवार को भी जारी रहेगा।
कार्यक्रम का शुभारंभ केन्द्राधीक्षक एवं उप निदेशक डॉ. आरके शर्मा एवं हरदयालपुरा ग्राम सरपंच द्वारा किया गया, जिसमें डॉ. शर्मा द्वारा आई पी एम तकनीक का महत्व एवं खरीफ की फसलों में खरपतवार प्रबंधन की विस्वार पूर्वक जानकारी दी। इसमें खेत की तैयारी से लेकर कटाई तक आई पी एम विधियों के उपयोग पर प्रकाश डाला। इसमें व्यवहारिक, यांत्रिक या भौतिक, जैविक तथा रासायनिक तरीकों पर चर्चा की। डॉ. शर्मा ने किसानों को बताया की कीटनाशकों के असुरक्षित एवं अंधाधुंध उपयोग से फसलों में बेवजह जहर की मात्रा बढ़ती है, जिससें मनुष्य में तरह तरह की बीमारियां होती है। साथ ही साथ खाद्यान फसलों जैसे दालों, फलों, सब्जियों आदि के उत्पाद में एम आर एल (अधिकतम अवशेष स्तर) की मात्रा भी बढ़ती है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होता है। इससे बचने के लिए जैविक कीटनाशकों का अधिक उपयोग एवं रासायनिक कीटनाशकों को अंतिम उपचार के रूप में ही उपयोग करने की सलाह दी।
श्री प्रकाश चन्द्रा, सहायक निदेशक (कीट विज्ञान) ने किसानों को खरीफ की फसलों में लगने वाले कीट एवं उनके नियंत्रण के बारे में चर्चा की। श्री चन्द्रा ने बताया कि किसानों को जैविक कीटनाशकों जैसे नीम का तेल, हरी मिर्च एवं लहसुन से बने घरेलू कीटनाशकों को रासायनिक कीटनाशकों के विकल्प के तौर पर उपयोग करें ताकि पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव से भी बचा जा सके एवं उपज भी अच्छी ली जा सके। जैविक कीटनाशक मित्र कीटों को बचाने में भी महत्वपूर्ण होते है तथा कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है।
श्री लोकेश कुमार मीना सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी ने किसानों को कपास में लगने वाले सभी कीटों की पहचान एवं उनके नियंत्रण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। श्री मीणा ने बताया कि कपास की फसलों में लगने वाले रस चूसक कीटों के लिए पीले एवं नीले चिपचिपे कार्ड आदि उपयोग में लाये ताकि रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग के बिना ही कीटों का नियंत्रण किया जा सके। किसान इन कार्डो को घर पर भी बना सकते हैं, जिसके लिए किसान किसी भी पुराने गत्ते एवं टिन के टुकडें को पीले या नीले रंग से रंग कर सूखनें के पश्चात् इस पर ग्रीस लगा कर इनकों खेतों में लगा सकते हैं। इससे कम लागत में कीटों के नियंत्रण का उपाय किया जा सकता है। इसके अलावा गुलाबी सुंडी के समय से तथा प्रभावी नियंत्रण के लिए खेतों की रोजाना निगरानी करने को लेकर जागरूक किया, जिसमें किसानों को अपने खेतों में भीतर जाकर निगरानी के तरीकों पर चर्चा की जैसे जिग-जैग, क्रास, डायमण्ड आकार में घूमकर सैम्पल के तौर पर फूलों एवं टिंडों को तोड़कर चैक करे ताकि गुलाबी सुंडी का समय से पता लगाया जा सके एवं कीट के आर्थिक हानि स्तर से अधिक होने पर प्रभावी प्रबंधन किया जा सके। साथ ही साथ मित्र कीटों जैसे क्राईसोपर्ला, लैडी बर्ड बीटल, मकडियों, ब्रैकॉन, चीलोनिस ब्लैकबर्नी आदि की पहचान करवायी तथा इनके संरक्षण पर जौर दिया ताकि पर्यावरण संतुलन को हानि पहुंचाए बिना ही हानिकारक कीटों को मित्र कीटों द्वारा ही नियंत्रित किया जा सके।
श्री जितेन्द्र मीना सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी ने खरीफ की फसलों में लगने वाली बीमारियों के लक्षण एवं उनके नियंत्रण के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही साथ खेत पर जैविक कीटनाशकों तथा उर्वरकों को तैयार करने की विधियों के बारे में बताया। श्री मीना ने ट्राईकोडर्मा को बनाने की विधियों के बारे मे किसानों को अवगत करवाया तथा ट्राईकोडर्मा को रासायनिक फफूंदनाशी के विकल्प के तौर पर उपयोग करने को लेकर जागरूक किया।
श्री रोहिताश्व कमार चौधरी वैज्ञानिक सहायक ने किसानो को भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही मोबाईल एप्लीकेशन एनपीएसएस के बारे में किसानों को खेतों में लेजाकर प्रैक्टिकल प्रदर्शनी करके बताया। एनपीएसएस (राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा नियंत्रित एक मोबाईल एप्लीकेशन है, जिसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। इस एप्लीकेशन से सभी किसान किसी भी कीट एवं बिमारियों की पहचान कर सकते तथा साथ ही साथ उसके उपचार के बारे में भी पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
वैज्ञानिक सहायक सुश्री वर्षा एवं तकनीकि सहायक रिया चावला ने किसानों को मित्र कीटों की पहचान करवाई। कार्यक्रम आईपीएम की अवधारणा एवं घटक, रसायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग की रोकथाम, हानिकारक एवं मित्र कीटों की पहचान, गुलाबी सुंडी के नियंत्रण, राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली, जैविक कीटनाशकों आदि पर केन्द्रित रहा। सभी किसानों को एक-एक पैकेट ट्राईकोडर्मा का भी वितरण किया गया। कार्यक्रम में राज्य कृषि विभाग की तरफ से श्री भूरा राम, कृषि पर्यवेक्षक भी मौजूद रहे तथा किसानों को राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी दी।


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