नादौन -हिमाचल प्रदेश के नादौन शहर में प्रथम बार स्थानकवासी जैन समाज के 32 आगमों की भव्य दिव्य आगम यात्रा का भव्यतम रूप से आयोजन किया गया, जिसमें समाज के श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। आगम यात्रा का उद्देश्य भगवान महावीर के वचनों और जैन आगम ग्रंथों के प्रति श्रद्धा, आस्था तथा ज्ञान के प्रसार को बढ़ावा देना था।
यात्रा की विशेषता यह रही कि 32 श्रद्धालु जोड़ों ने नग्न पाँव प्रत्येक आगम ग्रंथ को अपने हाथों में श्रद्धापूर्वक धारण कर यात्रा में सहभागिता की, जिससे सम्पूर्ण वातावरण ज्ञान, भक्ति और आस्था से ओतप्रोत हो उठा।
सुबह यात्रा की शुरुआत मंगलाचार और प्रभु वंदना के साथ की गई। यात्रा संघ के प्रधान श्री रमेश जैन जी के निवास स्थान से प्रारंभ होकर विभिन्न मार्गों से होती हुई मेन बाजार स्थित जैन स्थानक पहुंची। समाज के अग्रणी सदस्यों और युवाओं ने हाथों में धर्मध्वजा एवं शांति के संदेश वाले बैनर लेकर यात्रा में भाग लिया। सुश्री श्रेया जैन शासन माता की भूमिका निभाती हुई सबसे आगे चली। युवक, युवतियां और बच्चे हाथों में उत्तराध्ययन सूत्र के 36 अध्यायों के पट्टिका उठाकर चले। पूरे मार्ग में “जय जिनेन्द्र”, “अहिंसा परमो धर्मः” और “जियो और जीने दो” के नारे गूंजायमान रहे।
यात्रा का समापन जैन स्थानक मे प्रवचन और मंगलपाठ के साथ हुआ। सभी जोड़ों ने गुरुदेवों से आशीर्वाद लेकर आगम (जैन शास्त्र) को जैन स्थानक में स्थापित किया ।जैन स्थानक में चातुर्मास हेतु विराजमान श्रमण संघीय सलाहकार पूज्य गुरुदेव श्री दिनेश मुनि जी, डॉ श्री द्वीपेंद्र मुनि जी, डॉ पुष्पेंद्र मुनि जी ने आगमों के महत्व, जैन दर्शन के मूल सिद्धांतों और वर्तमान युग में अहिंसा व सत्य की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
आगम की आराधना से जीवन में खुशियों का आगमन -
आगम का अध्ययन व श्रवण करने वाले के जीवन में खुशियों का आगमन होता है। आगमन हमे जीने का मार्ग बताते हैं। आगम सम्मत जीवन जीने वाला कभी परेशान नहीं हो सकता। सलाहकार दिनेश मुनि ने आगे कहा कि एक गलती भी आपकी सभी अच्छाईयों को नष्ट कर सकती है ओर धर्म कभी हार नहीं सकता व अधर्म कभी जीत नहीं सकता।
कार्यक्रम के अंत में समाज के महामंत्री श्री मनोज जैन ने सभी श्रद्धालुओं का धन्यवाद किया। समारोह पश्चात प्रधान श्री रमेश जैन जी के परिवार की और से गौतम प्रसादी का भी आयोजन किया गया।
आगम यात्रा को सफल बनाने में युवक मंडल, युवती मण्डल, महिला मण्डल एवं समाज के सभी सदस्यों का विशेष योगदान रहा।