केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 11 वर्ष पूरे कर चुकी भाजपानीत एनडीए सरकार ने देश के आदिवासी एवं पिछड़े इलाकों को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने की अपनी नीति के अन्तर्गत आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी रेल सुविधा से वंचित दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले को रेल लाइन से जोड़ने के लिए डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम (मध्यप्रदेश) रेल लाइन के निर्माण कार्य को पुनः शुरू कराने के साथ ही अब एक और नई रेल लाइन नीमच- बांसवाड़ा- दाहोद के सर्वेक्षण को मंजूरी प्रदान की है। इस परियोजना के सर्वेक्षण की लागत करीब 5 करोड़ रुपये आंकी गई है।
अगर मोदी सरकार के वर्तमान कार्यकाल में डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम तथा नीमच- बांसवाड़ा-दाहोद रेल लाइने तैयार होकर उन पर रेल्वे आवागमन शुरू हो जाता है तो राजस्थान मध्य प्रदेश और गुजरात के आदिवासी अंचलों में एक नया इतिहास रचा जा सकेगा। इसमें कोई संशय नहीं है। दक्षिणी राजस्थान का बांसवाड़ा जिला लंबे समय से रेल सेवा से वंचित है लेकिन, यदि ये रेल लाइन बन जाती है तो आजादी के बाद पहली बार यह जिला भी रेल सुविधा से जुड़ेगा। आदिवासी अंचलों में नया रेल नेटवर्क बिछाने के अहम कार्य में केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।
नीमच-बांसवाड़ा-दाहोद के मध्य लगभग 380 किमी लंबे प्रस्तावित नए रेल मार्ग की यह विशेषता रहेगी कि यह मार्ग भारत की राजधानी नई दिल्ली को देश की औद्योगिक राजधानी मुंबई से जोड़ने वाला सबसे छोटा रेल कॉरिडोर होगा। जिससे यात्रियों के समय और धन की बचत हो सकेगी। यह रेल लाइन नीमच (मध्यप्रदेश) से शुरू होकर बांसवाड़ा (राजस्थान) होते हुए दाहोद (गुजरात) और नंदुरबार (महाराष्ट्र) तक जायेगी तथा टीपूड़ी (ताप्ती) रेल लिंक साइड से मुम्बई की दूरी को कम करेंगी।
नीमच- बांसवाड़ा- दाहोद रेल एक महत्वपूर्ण विकास परियोजना है, जिसका उद्देश्य राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के आदिवासी एवं पिछड़े इलाकों को रेलवे नेटवर्क से जोड़ना है। इस परियोजना के तहत तीन प्रदेशों के तीन प्रमुख जिलों नीमच (मध्यप्रदेश), बांसवाड़ा (राजस्थान), और दाहोद (गुजरात) को रेल लाइन से जोड़ा जाएगा। साथ ही मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात की लगभग छह नगरों नीमच (मध्यप्रदेश) बांसवाड़ा (राजस्थान) दाहोद वाया झालोद (गुजरात) अलीराजपुर (मध्यप्रदेश)
नंदुरबार (महाराष्ट्र) शहादा (महाराष्ट्र) आदि को इसके रेल मार्ग में शामिल किया जा सकता है, जोकि 50,000 से अधिक आबादी वाला शहर है।
इस रेल लाइन से आदिवासी बहुल क्षेत्र के लोगों को बेहतर परिवहन सुविधा, रोजगार और आर्थिक विकास का लाभ मिलेगा। साथ ही ग्रामीण एवं आदिवासी क्षेत्रों के लिए रोजगार एवं सामाजिक जुड़ाव के नए अवसर उत्पन्न होंगे । यात्रियों और व्यापारियों के लिए भी परिवहन सुविधा बढ़ेगी। साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा क्योंकि राजस्थान और गुजरात के आदिवासियों का जलियांवाला बाग माने जाने वाला मानगढ़ धाम इस रेल लाइन के निकट हो जाएगा। साथ ही राजस्थान के शक्ति पीठ त्रिपुरा सुन्दरी,मध्यप्रदेश के मन्दसौर का शिव मन्दिर और सैलाना का जग प्रसिद्ध कैक्टस गार्डन और ऐसे ही अन्य कई पर्यटन स्थल आसपास होंगे।
आदिवासी बहुल क्षेत्र बांसवाड़ा खनिज संपदा (जैसे मैंगनीज, डोलोमाइट, सोना, तांबा, क्वार्टजाइट आदि) से भरपूर है, पर अब तक रेल से अनछुआ रहा है। नए रेल मार्ग से इन खनिज संसाधनों का परिवहन अधिक कुशल, त्वरित और सस्ता होगा। अब आगे की प्रक्रिया में सबसे पहले इस परियोजना की डीपीआर तैयार की जाएगी, जिसमें सर्वेक्षण की सटीक मार्ग रेखा, लागत, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन और भूमि अधिग्रहण व्यवस्था आदि शामिल होगी। डीपीआर तैयार हो जाने के बाद परियोजना को संसदीय अनुमोदन, वित्तीय स्वीकृति और निर्माण कार्य की ओर आगे बढ़ा जाएगा।
उधर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के प्रयासों से पुनः हाथ में ली गई बांसवाड़ा–डूंगरपुर–रतलाम नई रेल लाइन की वर्तमान स्थिति उत्साहवर्धक नहीं कही जा सकती। लगभग 191 किलोमीटर (जिसमें 143 किमी राजस्थान में और 48 किमी मध्यप्रदेश में शामिल) लम्बी इस परियोजना की
प्रारंभिक लागत (2011‑12) लगभग ₹2,082 करोड़ थी लेकिन अब इसकी वर्तमान संशोधित अनुमानित लागत लगभग ₹4,262 करोड़ हो गई है जो कि इसकी मूल लागत की लगभग दोगुनी लागत हो गई है ।
परियोजना की शुरुआत और बाधाएँ
2011 में रेल बजट में स्वीकृति के बाद 3 जून 2011 को यूपीए की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा इसका शिलान्यास किया गया था। तब राजस्थान सरकार द्वारा 200 करोड़ रु का प्रारंभिक योगदान भी दिया था । केन्द्र और राजस्थान सरकार के मध्य हुए एमओयू के अनुसार परियोजना की लागत की 50–50 हिस्सेदारी केंद्र और राज्य सरकार की साझा जिम्मेदारी थी, जिसमें राज्य द्वारा भूमि अधिग्रहण की लागत वहन करना भी शामिल था।वर्ष 2013–17 तक राजस्थान सरकार ने बकाया 136 करोड़ रु देने से इंकार कर दिया, जिसके कारण इसका काम रुक गया था ।
केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और तत्कालीन स्थानीय सांसद कनकमल कटारा के प्रयासों से मई 2023 में रेलवे बोर्ड ने कार्य पुनः शुरू करने की मंजूरी दी और इस चीर प्रतीक्षित परियोजना का कार्य लगभग 9 वर्ष बाद फिर से शुरू हुआ
भारत सरकार के 2024‑25 के बजट में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस परियोजना के लिए 150 करोड़ रु आवंटित किए गए, जिससे कार्य के पुनरारंभ में तेजी आई ।आगामी बजट में भी अतिरिक्त निधि मिलना अपेक्षित है।
इस प्रकार रेल परियोजना के कार्य में पुनः गति तो आई है और अब इसके फील्ड सर्वे एवं पूरे फाइनल लोकेशन सर्वे पूरे हो चुके हैं तथा डी पी आर तैयार हो चुकी है और टेंडर प्रक्रिया जारी है । साथ ही मध्यप्रदेश हिस्से की 49 किमी और राजस्थान में 143 किमी भू-भाग को अधिग्रहीत किया जा चुका है। इसके अलावा 1,282 हेक्टेयर से अधिक भूमि के लिए मुआवज़ा घोषित किया गया, जिसमें से कई गांवों में भुगतान लंबित (31 करोड़ रु में से पूरा भुगतान नहीं हुआ) है। दक्षिणी राजस्थान के डूंगरपुर जिले में आरओबी, आरयूबी और छोटे पुल तैयार किए जा रहे थे, लेकिन कई संरचनाएँ बिना उपयोग के गिरने लगी हैं । मिट्टी बिछाने कटिंग एवं अर्थ वर्क शुरू हुआ था पर भूमि मुआवज़ा भुगतान अधूरा होने से कई गांवों में भुगतान रुका हुआ है, जिससे काम बाधित हो रहा है ।स्थानीय विरोध और प्रशासनिक विलंब — किसानों के विरोध और फाइलिंग धीमी प्रक्रिया के कारण भी काम में रुकावटें आना बताया जा रहा हैं ।परियोजना के पूर्ण होने के लिए स्थानीय प्रशासन, राज्य व केंद्र सरकार के बीच समन्वय, भूमि मुआवज़ा भुगतान, और टेंडर संचालन की समयबद्धता जरूरी है।
इसके बावजूद आदिवासी बहुल इलाकों में रेल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। बांसवाड़ा को रेल नेटवर्क से जोड़ने की लंबे समय से उठ रही मांग को पूरा करने की दिशा में ये प्रस्ताव और कार्य स्थानीय प्रतिनिधियों और समुदायों दोनों द्वारा स्वागत योग्य बताए जा रहें है क्योंकि ये आदिवासी बहुल तीन राज्यों को रेल नेटवर्क से जोड़ने वाली एक है
नई आर्थिक और सामाजिक सांस्कृतिक जीवन रेखा बनने वाले प्रयास है । इन प्रयासों को मूर्त रुप तभी मिलेगा जब संबंधित राज्य सरकारें, जनप्रतिनिधि ,क्षेत्रीय जनता और प्रशासन संयुक्त रूप से मिल कर मार्ग में आने वाली रुकावटों को यथा शीघ्र दूर करने के गंभीर प्रयास करेंगे।
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