उदयपुर, भारतीय कंपनी सचिव संस्थान द्वारा उदयपुर में शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय सततता सम्मेलन 2025 का भव्य शुभारंभ हुआ। “स्थायित्व को बढ़ावा देना : एक सक्षम भविष्य की ओर” विषय पर आधारित इस दो दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य व्यावसायिक संगठनों में उत्तरदायी और सतत सोच को प्रोत्साहित करना है, ताकि नीतियों के स्तर से आगे बढ़कर सततता को कॉरपोरेट संस्कृति का हिस्सा बनाया जा सके।
इस अवसर पर राजस्थान के उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य प्रोफेसर (डॉ.) गौरव वल्लभ विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रहे थे। सम्मेलन में देशभर से लगभग 300 प्रतिभागी प्रत्यक्ष रूप से तथा 2 हजार से अधिक प्रतिभागी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े।
डॉ. बैरवा ने अपने संबोधन में राजस्थान सरकार के सतत विकास प्रयासों की चर्चा करते हुए भारतीय कंपनी सचिव संस्थान की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह संस्थान देश की व्यावसायिक संस्थाओं को सतत विकास लक्ष्यों से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि कंपनी सचिवों द्वारा अपनाई जा रही नैतिक व्यावसायिक नीतियाँ और उत्तरदायी आचरण भारत के उज्ज्वल भविष्य के प्रति विश्वास को सशक्त करते हैं। वे केवल कॉरपोरेट संचालन को सुदृढ़ ही नहीं कर रहे, बल्कि पर्यावरणीय, सामाजिक और शासकीय मूल्यों के साथ संतुलित और उत्तरदायी कारोबारी दृष्टिकोण को भी आगे बढ़ा रहे हैं।
प्रोफेसर (डॉ.) गौरव वल्लभ ने कहा, “सततता भारत के लिए एक अनिवार्यता है और इसका पहला सिद्धांत ‘धर्म’ है, जिसे भारतीय कंपनी सचिव संस्थान ने अपने आदर्श वाक्य में सही रूप से आत्मसात किया है।” उन्होंने कहा कि कंपनी सचिव पर्यावरणीय, सामाजिक और शासकीय ढांचे के सक्रिय परिवर्तनकर्ता के रूप में न केवल व्यावसायिक नैतिकता और पारदर्शिता को सशक्त कर रहे हैं, बल्कि वे भारत की विकास प्राथमिकताओं के अनुरूप उत्तरदायी सोच और सतत व्यवहार को संस्थागत स्वरूप भी प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने अंत्योदय का जिक्र करते हुए आर्थिक नैतिकता व अनुकूल परिवर्तन को अपनाने की बात कही। सस्टेनेबल प्रेक्टिस हमारे जैसे विविधताओं वाले देश में अलग अलग होनी चाहिए।
भारतीय कंपनी सचिव संस्थान के अध्यक्ष धनंजय शुक्ला ने कहा कि वर्तमान समय में सततता व्यवसायों के लिए रणनीतिक आवश्यकता बन चुकी है। कंपनी सचिव अपने संगठनों की लाभप्रदता और सामाजिक उत्तरदायित्व के बीच संतुलन बनाते हुए सततता के प्रमुख संवाहक बन चुके हैं। यह सम्मेलन इस बात का प्रमाण है कि संस्थान अपने सदस्यों को संचालन से जुड़ी ज़िम्मेदारियाँ प्रभावी रूप से निभाने में निरंतर सक्षम बना रहा है।”
सम्मेलन में निम्न विषयों पर केंद्रित परिचर्चाएँ आयोजित की जा रही हैं :
पर्यावरणीय, सामाजिक और शासकीय दायित्वों में पेशेवरों की भूमिका का पुनर्निर्धारण
जलवायु नीति, सतत विकास लक्ष्य, चुनौतियाँ और समाधान
पर्यावरणीय, सामाजिक और शासकीय सिद्धांतों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और प्रौद्योगिकी का एकीकरण
सतत और समावेशी विकास के लिए उत्तरदायी प्रबंधन और संचालन
इस अवसर पर निम्नलिखित प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया :
राष्ट्रीय सततता सम्मेलन की स्मारिका
“पर्यावरणीय, सामाजिक और शासकीय सिद्धांतों को सरल बनाना” दृ इस विषय पर सामान्य प्रश्नों की श्रृंखला
भारतीय कंपनी सचिव संस्थान की संचालक परामर्श योजना का विवरण पुस्तिका
आगामी राष्ट्रीय सम्मेलन की जानकारी देने वाला फ्लायर
कॉरपोरेट कार्यालय की सहजता में आईसीएसआई बोर्ड मेंटरशिप कार्यक्रम का फ्लायर।