पुस्तक समीक्षा अद्भुत भारत - मध्यभारत

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23 Aug 25
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पुस्तक समीक्षा    अद्भुत भारत - मध्यभारत

अद्भुत भारत श्रृंखला की  पुस्तक मध्य भारत क्षेत्र के इतिहास, कला, संस्कृति और पर्यटन आदि विशेषताओं के दर्शन करती है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ दो राज्य मिल कर मध्य भारत क्षेत्र का निर्माण करते हैं। प्राचीन काल से ही इस क्षेत्र का महत्व इस से है कि भगवान राम के चौदह साल के बनवास का ज्यादातर समय यहां स्थित चित्रकूट में बीता था। छत्तीसगढ़ का जगदलपुर भी राम की स्मृतियों से जुड़ा है। ओरछा  में आज भी भगवान राम का शासन चलता है। ओरछा एक मात्र देश का ऐसा स्थल है जहां राम की पूजा राजा के राम  के रूप में की जाती है।  शिव पुराण में वर्णित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में दो ज्योतिर्लिंग उज्जैन में महाकाल और नर्बदा के पावन तट पर ओंकारेश्वर महादेव मध्य क्षेत्र में धार्मिक आस्था के साथ पूजे जाते हैं। उज्जैन का महाकुंभ और महाकाल की भस्मी आरती महान सांस्कृतिक परंपराएं हैं। देश के महान कवि और नाटककार कालिदास, तानसेन और बैजू बावरा जैसे संगीतकार  भारतीय संस्कृति को यहीं की दें है। 

    यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में खजुराहो के कलात्मक मंदिर समूह, भीमबैठका के प्रागैतिहासिक काल के पुराने शैलचित्र और सांची के बौद्ध धर्म के स्तूप मध्य भारत  ही नहीं देश  का गौरव हैं। पंचमढ़ी एक मात्र हिल स्टेशन है तथा कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान भारत के सुंदरतम उद्यानों में से एक है। छत्तीसगढ़  तक यात्रा करती महानदी इस क्षेत्र की जीवन रेखा है और छत्तीसगढ़ की गंगा कही जाती है। आदिवासी संस्कृति की अनेक विशेषताओं के साथ भीलों का भगोरिया नृत्य लोकप्रिय है। अकेले छत्तीसगढ़ में लगभग 35 से ज्यादा जनजातियां निवास करती हैं जिनकी अपनी - अपनी समृद्ध परमपराएं हैं। 

     भारत का दिल कहा जाने वाला मध्यप्रदेश अपने ऐतिहासिक महत्व के साथ विकास और संस्कृति की विभिन्नताओं को समाये हुए भारत का महत्वपूर्ण राज्य है। भोपाल के इतिहास में बेगमों का शासन काल दिलचस्प है। मध्य प्रदेश खाद्यान्न उत्पादन और उद्योगों के विकास में अपनी खास पहचान बनाता है। प्राचीन काल से देश की सप्तपुरियों में शामिल उज्जयिनी (वर्तमान उज्जैन) धार्मिक नगर है।

 उज्जैन में महाकाल परिसर का विकास कर धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से खूबसूरत बना दिया गया है। भस्मी आरती के लिए ऑन लाइन बुकिंग व्यवस्था है। शिव रात्रि यहाँ विशेष धूमधाम से मनाई जाती है। काल भैरव के प्रसिद्ध मंदिर सहित अन्य अनेक मंदिर धार्मिक रूप से प्रसिद्ध हैं। 

     भोपाल में भारत भवन, अखंड भारत का मानचित्र, शान-ए-भोपाल शहर के मध्य सुंदर झील, श्यामला पहाड़ी और अनेक संग्रहालय अपने अंक में समाए राज्य की राजधानी है। भोपाल से 30 किमी. की दूरी पर भोजपुर राजा भोज की प्राचीन नगरी और मंदिर दर्शनीय है। ग्वालियर का किला, बिड़ला द्वारा निर्मित विश्वान सूर्य मंदिर, सहित अनेक पर्यटन स्थल इस राज्य की विशेषताएँ हैं। ग्वालियर घराने का शास्त्रीय संगीत कला जगत में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। इंदौर में सिंधिया का जय महल और संग्रहालय है। भारतीय रेलवे की दृष्टि से इटारसी महत्वपूर्ण जंक्शन है। इसे भारतीय रेल के विशाल नेटवर्क का चौराहा कहा जाता है। पूरब पश्चिम और उत्तर-दक्षिण को जोड़ने वाले मुख्य रेल मार्ग इटारसी जंक्शन से ही क्रॉस होते हैं। इंदौर, भोपाल और जबलपुर ऐतिहासिक महत्व के बड़े शहर हैं।

      प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ 'दक्षिण कौशल' के नाम से जाना जाता था। यहाँ के प्राचीन मन्दिर और उनके भग्नावशेष इस बात के प्रतीक हैं कि यहाँ पर वैष्णव, शैव, शाक्त, बौद्ध के साथ ही अनेकों आर्य तथा अनार्य संस्कृतियों का विभिन्न कालों में प्रभाव रहा है। खनिज संपदा से भरपूर राज्य कोयला और हीरा उत्पादन के लिए जाना जाता है। राज्य में देश का 20 प्रतिशत इस्पात और 15 प्रतिशत सीमेंट का उत्पादन होता है। कच्चे टीन का उत्पादन करने वाला यह देश का एकमात्र राज्य है तथा विश्व का सबसे बड़ा किंबरलाइट भंडारण क्षेत्र है। हीरे के साथ-साथ सोने का भी यहाँ उत्पादन होता है। छत्तीसगढ़ के दरीमा में मौजूद टिनटिनी पत्थर को मंगल ग्रह से गिरा हुआ उल्का पिंड माना जाता है। उल्का पिंड जब धरती के वायुमंडल में प्रवेश करता है तो उसमें आग लगती है जिससे उसकी संरचना में काफी बदलाव आ जाते हैं। इसी के चलते टिनटिनी पत्थर को बजाने से छह अलग-अलग तरह की आवाजें आती हैं। प्राचीन स्मारक, दुर्लभवन्य जीवन, अति सुंदर घुमावदार मंदिर, बौद्ध स्थल और पहाड़ी पठार यहाँ की विशेषताएँ हैं।                 

      बस्तर 'छत्तीसगढ़ के कश्मीर' के रूप में प्रसिद्ध है क्योंकि पूरा क्षेत्र हरे भरे पहाड़ों, सुंदर झरनों और प्राकृतिक गुफाओं से घिरा हुआ है। यह भारत के आदिवासी क्षेत्रों में से एक है। जगदलपुर छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में एक सुंदर और प्राकृतिक रूप से समृद्ध शहर है। यह राज्य के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। यह शहर स्मारकों और महलों के साथ-साथ झीलों, झरनों और जंगलों जैसे प्राकृतिक अजूबों के लिए सबसे प्रसिद्ध है। रायपुर खारुन नदी के तट पर बसा छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा शहर है। राज्य में मड़ई उत्सव, बस्तर का दशहरा, बस्तर लोकोत्सव, भोरमदेव महोत्सव, गोंचा महोत्सव, नारायणपुर मेला एवं चंपारण मेला प्रसिद्ध सांस्कृतिक आयोजन हैं जिनमें विदेशी पर्यटक भी शामिल होते हैं। विभिन्न प्रकार के नृत्य, संगीत, वाद्य, उत्सव और पारंपरिक खेल गिल्ली-डंडा, बांटी, भँवरा, बिल्लस, फुगड़ी, गेड़ी दौड़ आदि परंपराएँ इसे अन्य राज्यों से अलग बनाती हैं। आप असाधारण कुछ देखना चाहते हैं तो डोंगरगढ़ जरूर जाएँ।

      पुस्तक की भूमिका लिखते हुए पर्यटन प्रेमी और रेलवे के सीनियर सैक्शन इंजीनियर अनुज कुमार कुच्छल लिखते हैं, " मध्य भारत की जनजातियों का लयबद्ध लोक संगीत, नृत्य और नाट्य कला राज्य की संस्कृति के बारे में एक अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। प्राकृतिक सौंदर्य चप्पे-चप्पे पर बिखरा है। देश के बड़े-बड़े झरने, गुफाएँ, हरे-भरे जंगल और व्यापक जैव विविधता यहाँ की अपनी कुदरती विशेषताएँ हैं। विभिन्न क्षेत्रों में अनेक महान व्यक्ति देश को मध्यप्रदेश से मिले हैं जिन्होंने इस राज्य का गौरव बढ़ाया है। इस पुस्तक में हर वो जानकारी देने का प्रयास किया गया है जो पर्यटकों के लिए उपयोगी है। कई जगह लेखक ने पर्यटकों को उचित सलाह भी दी है। किसी एक विषय को लेकर पुस्तक बोझिल नहीं होती वरन् विषयों को लिखते समय रोचकता और संतुलन बनाए रखा गया है। जरूरी आँकड़े संदर्भ रूप से दिए गए हैं। वे विषय पर हावी नहीं होते हैं। पुस्तक को सूचनात्मक, तथ्यपरक और पाठकों के लिए उपयोगी बनाने का लेखक का प्रयास कसौटी पर खरा उतरता है। यह पुस्तक पर्यटन प्रेमियों के लिए मार्गदर्शिका बनेगी और साथ ही सामान्य ज्ञान की दृष्टि से विद्यार्थियों के लिए भी उपयोगी होगी, मेरा ऐसा विश्वास है।" 


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