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कविता-वर्षा में गोरी

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14 Jul 21
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कविता-वर्षा में गोरी

गोरी आओ!
वर्षा 
की हो रही बौछार 
आया है तुमसे 
मिलने का त्योहार।
आओ 
भिगो मेरे संग 
रिम-झिम है उमंग।
बादल
कर रहे गर्जन 
अपना 
हो रहा मिलन।
धरती 
पर वर्षा की तरंग 
आओ 
मिलकर पीते भंग
मोरो ने 
खोले हैं पंख 
आओ 
प्यार का 
बजाते हैं शंख।


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