GMCH STORIES

कविता-वर्षा में गोरी

( Read 8025 Times)

14 Jul 21
Share |
Print This Page
कविता-वर्षा में गोरी

गोरी आओ!
वर्षा 
की हो रही बौछार 
आया है तुमसे 
मिलने का त्योहार।
आओ 
भिगो मेरे संग 
रिम-झिम है उमंग।
बादल
कर रहे गर्जन 
अपना 
हो रहा मिलन।
धरती 
पर वर्षा की तरंग 
आओ 
मिलकर पीते भंग
मोरो ने 
खोले हैं पंख 
आओ 
प्यार का 
बजाते हैं शंख।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like