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प्रोफेसर पूरन चंद टंडन अनुवाद साहित्यश्री पुरस्कार’ से सम्मानित हुए दिनेश कुमार माली

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08 Oct 25
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प्रोफेसर पूरन चंद टंडन अनुवाद साहित्यश्री पुरस्कार’ से सम्मानित हुए दिनेश कुमार माली

कोटा  / निर्मला स्मृति साहित्यिक समिति चरखी दादरी हरियाणा द्वारा प्रेरणा साहित्य एवं शोध संस्थान कुरुक्षेत्र एवं हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी पंचकूला के सयुंक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य उत्सव, सम्मान एवं पुरस्कार तथा पुस्तक लोकार्पण का आयोजन प्रेरणा साहित्य एवं शोध संस्थान सभागार में किया गया। निर्मला स्मृति साहित्यिक समिति द्वारा देश विदेश के 85 साहित्यकारों, अनुवादकों एवं चिंतकों को सम्मानित किया गया।

सरस्वती वंदना तथा मंचासीन गणमान्यों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के निदेशक डॉ धर्मदेव विद्यार्थी की अध्यक्षता में मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रो. रवींद्र कुमार मेरठ, प्रो. नरेश मिश्र रोहतक, प्रो. पूरनचंद टण्डन, प्रो लालचंद गुप्त मंगल, प्रो. बाबूराम कुरुक्षेत्र, डॉ मधुकांत, डॉ जयभगवान सिंगला, प्रो पवन अग्रवाल, प्रो सुशील कुमार, डॉ. संजय अनंत दुबई की उपस्थिति में  साहित्यकारों, हिंदी सेवियों को सम्मानित किया गया। निर्मला समिति अध्यक्ष डॉ अशोक कुमार मंगलेश ने सभी अतिथियों, साहित्यकारों का अभिनंदन एवं स्वागत किया।

प्रो. नरेश मिश्र ने अपने बीज व्यक्तव्य में हिंदी पखवाडे की शुभकामना देते हुए कहा कि हिंदी के भाषावैज्ञानिक एवं वर्ण व्यवस्था पर प्रकाश डाला। प्रो. रवींद्र कुमार ने कहा हिंदी के विकास में अनुवाद की महत्ती भूमिका है तथा वर्तमान में पूरा विश्व हिंदी को लेकर जागरूक है और हिंदी एशिया महादेश में सबसे बड़ी भाषा है। प्रो. लालचंद मंगल ने ऐतिहासिक नगरी कुरुक्षेत्र की विशेषताओं को चरितार्थ करते हुए हिंदी साहित्य के इतिहास पर व्याख्यान दिया। प्रो पूरनचंद टण्डन ने हिंदी का मतलब भारत की संस्कृति तथा भारतीय चिंतन और आर्थिक विकास का सशक्त माध्यम अनुवाद को बताया। प्रो बाबूराम ने अनुवाद को साहित्य का मेरुदंड कहा तथा हिंदी भाषा को बाजार की सबसे बड़ी भाषा कहा। डॉ धर्मदेव विद्यार्थी ने हरियाणवी लोक साहित्य और हरियाणवी को भाषा बनाने पर बल देते हुए अकादमी की योजनाओं पर प्रकाश डाला। हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के अनुवाद पर बोलते हुए डॉ अशोक कुमार मंगलेश ने कहा कि अनुवाद दो भाषाओं का ही नहीं, अपितु दो संस्कृतियों का होता है। नई शिक्षा नीति के तहत क्षेत्रीय भाषाओं के अनुवाद को बल मिला है। हमें भारतीय भाषाओं के प्रति निष्ठा एवं प्रेम को प्रदर्शित करना होगा जिसका सशक्त माध्यम अनुवाद है। वर्तमान में हरियाणवी और अन्य क्षेत्रीय बोलियों पर प्रचुर मात्रा में सृजन और अनुवाद कार्य हो रहा है। डॉ मधुकांत ने हिंदी और हरियाणवी साहित्य सृजन की श्रेष्ठता पर प्रकाश डाला, डॉ जयभगवान सिंगला ने बताया कि हिंदी पूरे विश्व को जोड़ने वाली श्रेष्ठ भाषा है, यह कार्यक्रम इसका प्रमाण है।

मंच से डॉ रवींद्र कुमार को निर्मला अंतरराष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान, प्रो पूरनचंद टण्डन को अंतरराष्ट्रीय भारत भारती हिंदी साहित्य सम्मान, प्रो लालचंद गुप्त मंगल को  प्रो अमृतलाल मदान, प्रो बाबू राम एवं डॉ रमाकांता को आजीवन हिन्दी साहित्य साधना सम्मान के साअथ-साथ ‘प्रो पूरनचंद टण्डन अनुवाद साहित्यश्री सम्मान’ से हिन्दी के प्रसिद्ध आलोचक और ओडिया से हिन्दी के अनुवादक  दिनेश कुमार माली को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर दिनेश कुमार माली की इंक पब्लिकेशन्स, प्रयागराज से प्रकाशित पुस्तक ‘दिग्गज साहित्यकारों से सारस्वत आलाप’ एवं नमन प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित पुस्तक ‘शहीद बिका नाएक की खोज’ का भी विमोचन हुआ। कार्यक्रम का मंच संचालन मनोज गौतम का रहा तथा संयोजन समिति से आशा सिंगला, रेणु खुग्गर, सुशीला शर्मा, डॉ सविता शर्मा, सुरेखा, ममता गर्ग, ऋचा गौतम आदि का सहयोग रहा


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